नगरनार इस्पात संयंत्र की बोली से बाहर रखें अदाणी को : जैन

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  • प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र भेजकर रेखचंद जैन ने की मांग
  • कहा – स्टील लांट का गैर सरकारी संचालन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

जगदलपुर संसदीय सचिव एवं जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर नगरनार स्टील प्लांट की नीलामी प्रक्रिया से प्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अदाणी व उनकी किसी भी कंपनी व फर्म को बाहर रखने की मांग की है। जैन ने कहा है कि बस्तर क्षेत्र के 40 लाख लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए निर्माणाधीन स्टील प्लांट का संचालन की जिम्मेदारी किसी भी गैर सरकारी संस्था को न दी जाए।प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री को भेजे पत्र में संसदीय सचिव रेखचंद जैन ने लिखा है कि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा उद्योगपति गौतम अदाणी की व्यापारिक कंपनियों को लेकर जो खुलासा किए गए हैं, उससे न केवल विश्व में उनकी रैकिंग घटी है, अपितु भारत की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हो रही है। गौतम अदाणी, उनके संबंधियों व कंपनियों को लेकर रोजाना नए- नए खुलासे हो रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग को लेकर आंदोलित हैं। अदाणी की कंपनियों में नियम व प्रक्रिया विरुद्ध भारतीय स्टेट बैंक समेत अन्य सरकारी बैंकों व भारतीय जीवन बीमा निगम से भारी रकम निवेशित करने के आरोप भी लग रहे हैं। इन सब आरोपों के परिप्रेक्ष्य में नगरनार स्टील प्लांट के लिए शुरू होने वाली नीलामी प्रक्रिया से श्री अदाणी से सम्बद्ध कंपनियों को अलग रखना देशहित में सर्वथा उपयुक्त होगा। श्री जैन समाचार माध्यमों का हवाला देते हुए कहा है कि नगरनार स्टील प्लांट संचालन के लिए पांच कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इनमें गौतम अदाणी की कंपनी, फर्म का नाम भी शामिल है। उन्होंने इस आशय की खबर वाले समाचार पत्र की छाया प्रति भी अपने पत्र के साथ भेजी है। उन्होंने पत्र के माध्यम से निवेदन किया है कि बस्तर जिले के नगरनार में एनएमडीसी द्वारा स्थापित किए जाने वाले स्टील प्लांट का संचालन किसी भी निजी क्षेत्र को न दिया जाए। चूंकि वर्ष 2002 व उसके पश्चात अलग-अलग समय में स्टील प्लांट के लिए अधिग्रहित भूमि क्षेत्रीय किसानों ने इस उम्मीद से दी थी कि इस स्थान पर सार्वजनिक उपक्रम के रूप में स्टील प्लांट की स्थापना होगी। रेखचंद जैन ने कहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में केंद्र सरकार के विनिवेशीकरण की नीति से बस्तर क्षेत्र की 40 लाख जनता स्वयं को ठगा महसूस कर रही है। इस प्लांट का संचालन गैर सरकारी क्षेत्र को देने की प्रक्रिया को बस्तर के लोग व क्षेत्रीय जनता के साथ भू- प्रभावित कृषक स्वयं के साथ किए जाने वाले विश्वासघात के रूप में देख रहे हैं। यदि ऐसा किया जाता है तो जन आंदोलन होना तय है। श्री जैन ने कहा है कि एनएमडीसी संचालित नगरनार स्टील प्लांट की बोली तत्काल प्रभाव से रोकी जाए।