- संसद के बाहर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, भीतर जनहित का मुद्दा मुखर होकर उठाया
- कुरमतराई – अरकर सड़क के चौड़ीकरण का मामला खटाई में
बस्तर कुरमतराई – अरकर सड़क के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण का मामला खटाई में पड़ गया है। केंद्र सरकार ने इस सड़क के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण के अनुमोदन का प्रस्ताव राज्य सरकार से प्राप्त न होने का हवाला देते हुए इस पर विचार न किए जाने की बात कही है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज गुरुवार को संसद के बाहर और भीतर दोनों ही जगहों पर बेहद सक्रिय नजर आए। बैज 16 मार्च को सदन के बाहर संसद परिसर में अडानी प्रकरण को लेकर विपक्षी दलों के सांसदों के साथ प्रदर्शन करते दिखे। तमाम विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा अडानी प्रकरण की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी ) से कराने की मांग को लेकर मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में सांसद दीपक बैज ने प्रखरता के साथ भाग लिया।
इस दौरान बैज मोदी सरकार हाय हाय के नारे प्रतिभागी सांसदों से लगवाते रहे। वहीं दूसरी ओर संसद के भीतर दीपक बैज अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े मसले पर सरकार से जवाब तलब करते रहे। बैज ने संसद में छत्तीसगढ़ की एक महत्वपूर्ण सड़क का मामला उठाया था। उन्होंने केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री से जानना चाहा कि क्या कुरमतराई, कोर्रा, सलौती, अरकर सड़क के 22 किलोमीटर हिस्से के चौड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण का कोई प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, अगर हां तो इस कार्य में विलंब क्यों हो रहा है? उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों में देरी होने से कार्य की लागत बढ़ जाती है और विकास बाधित होता है। उन्होंने सड़क से संबंधित पूरा ब्यौरा विभागीय मंत्री से मांगा था। बैज के इस प्रश्न के जवाब में सड़क परिवहन मंत्री गडकरी का जवाब आया कि केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय मूलतः राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव का काम कराता है। साथ ही मंत्रालय केंद्रीय सड़क और अवसंरचना निधि ( सीआरआईएफ ) के अंतर्गत राज्यीय सड़कों के सुधार की भी स्वीकृति प्रदान करता है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिसंबर 2019 में सीआरआईएफ योजना के तहत कुरमतराई, कोर्रा, सलौती, अरकर सड़क के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़करण के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। फरवरी 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सीआरआईएफ योजना के तहत अनुमोदन के लिए अनुशंसित अपनी प्राथमिकता सूची में उक्त सड़क को नहीं रखा है। इसलिए सड़क के चौड़ीकरण और सुदृढ़करण पर मंत्रालय द्वारा कोई विचार नहीं किया जा सका है।