कैंपा मद में हुई गड़बड़ी की जांच पूरी, निपटेंगे अनेक अधिकारी

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  • कार्रवाई से बचने राजनेताओं की शरण में पहुंचने लगे दागी अफसर
  • मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर सियासी दबाव बनाने की कोशिश

जगदलपुर बस्तर वन मंडल में कैंपा मद के एक करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि की गड़बड़ी की जांच पूरी हो गई है। जांच रिपोर्ट कैंपा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भेज दी गई है। इस गड़बड़ी में वन मंडल के अनेक बड़े अधिकारी कार्रवाई की जद में आ गए हैं। ये अधिकारी अपनी खाल बचाने राजनेताओं की शरण में पहुंच गए हैं, जहां से उन्हें अभयदान देने का भरोसा भी मिल चुका है। सूत्रों के मुताबिक ये राजनेता कैंपा के सीईओ पर दबाव बनाने में जुट गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार बस्तर वन मंडल के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को 2018 – 19 एवं 2019 – 20 में बिगड़े वनों के सुधार, वृक्षारोपण एवं रोपे गए पौधों में डालने हेतु खाद क्रय करने के लिए एक करोड़ रु. से भी अधिक की रकम कैंपा मद से स्वीकृत की गई थी। इस राशि से काम नाममात्र का कराया गया और पूरी रकम अधिकारियों ने बांट खाई। इसके बाद सन 2022 के अंतिम और सन 2023 के शुरुआती माहों में फिर से बड़ी रकम की बंदरबांट कर ली गई। गड़बड़ी का यह खेल छुपा न रह सका। बात जब कैंपा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तक पहुंची, तब उन्होंने मामले की जांच के लिए कमेटी बिठा दी। इस मामले में बस्तर वन मंडल के एक बड़े अधिकारी की लिप्तता सामने आने पर नाराज मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने उस अफसर से प्रभार छीन लिया और एक अन्य अधिकारी को सारे वित्तीय अधिकार सौंप दिए। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बस्तर के वन संरक्षक को सौंप दी। इसके बाद वन संरक्षक ने अपनी टीप के साथ जांच रिपोर्ट कैंपा के सीईओ को अंग्रेसित कर दी है। जांच रिपोर्ट वन संरक्षक से होते हुए सीईओ तक पहुंचने से मामले से जुड़े अधिकारियों में खलबली मच गई है। ये अधिकारी अपनी खाल बचाने के लिए बस्तर और राजधानी रायपुर के बड़े राजनेताओं के कदमों पे लोटने लगे हैं। खबर है कि इन दागी अधिकारियों ने कुछ नेताओं की अच्छी खासी सेवा कर उन्हें खुश कर दिया है। अब ये नेता अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए सीईओ पर कार्रवाई रोकने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं।

तैयार हो रही है चार्जशीट, उधर आका मार रहे हाथ पांव

उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि कैंपा के रायपुर स्थित मुख्यालय में बस्तर वन मंडल की गड़बड़ी के मामले में चार्जशीट तैयार की जा रही है। खबर है कि चार्जशीट में बस्तर के अनेक बड़े वन अधिकारियों के नाम आ रहे हैं। इसी के साथ इन अधिकारियों की छटपटाहट भी बढ़ गई है और वे अपने आका नेताओं के दरबार में नियमित रूप से हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं। चूंकि ये आका नेता पहले से ही भेंट पूजा अधिकारियों से स्वीकार कर चुके हैं, लिहाजा वे भी अपन खास अधिकारियों को बचाने के लिए हाथ पांव मारने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। महकमे में चर्चा है कि सियासी दबाव के चलते कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाएगी।