- ब्लॉक मुख्यालय होते हुए भी पानी, बिजली, सड़क, साफ सफाई के लिए तरस रहे हैं कस्बे के लोग
- सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो गए हैं यहां के ग्रामीण
अर्जुन झा
बकावंड यह बदकिस्मती नहीं तो और क्या है बकावंड के ग्रामीणों के लिए ? यहां की अवाम आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं। ब्लाक मुख्यालय होते हुए भी इस कस्बे में पेयजल आपूर्ति, अच्छी सड़कों, साफ सफाई का सर्वथा अभाव है। बजबजाती गंदी नालियों से उठती बदबू, उबड़ खाबड़ सड़कों और रात ने घिर आने वाले अंधेरे के बीच जिंदगी बसर करने को मजबूर हो गए हैं बकावंड के रहवासी। ग्रामीणों के कल्याण के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के लाभ से भी बकावंड के हकदार ग्रामीणों को पूरी तरह वंचित रखा जाता है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के प्रति लोगों में आक्रोश पनपना तो लाजिमी ही है।बस्तर जिले में बकावंड विकासखंड मुख्यालय की अपनी विशिष्ट पहचान रही है। शैक्षणिक और सामाजिक जागरूकता के मामले में बकावंड ने शुरू से अपना लोहा मनवाया है। दशकों पहले तब के युवाओं द्वारा गठित संगठन बस्तर युवा जागृति समिति बकावंड ने जो कार्य कर दिखाए हैं, उनके दम पर यहां के युवाओं की अलग पहचान स्थापित हो चुकी है, लेकिन आज की पीढ़ी के युवा समस्याओं के बीच अपने भविष्य को लेकर छटपटाते प्रतीत हो रहे हैं। इस कस्बे में व्यवस्थित सड़कें नहीं हैं। सालों पहले बनी सड़कें बदहाल हो चुकी हैं। इन्हीं उबड़ खाबड़ सड़कों पर यहां के बाशिंदों को आवागमन करना पड़ता है। कस्बे की अंदरूनी गलियों का हाल तो और भी बुरा है। छोटे – छोटे गांवों की गलियों में सीसी रोड बनाई जा चुकी हैं, मगर ब्लॉक मुख्यालय बकावंड की गलियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। बारिश के मौसम में गलियां कीचड़ से अटी पड़ी रहती हैं रही सही कसर यहां की टूटी फूटी नालियां पूरी कर देती हैं। ये नालियां भी कई साल पहले की बनी हुई हैं। नालियों की कभी सफाई नहीं कराई गई है। नालियों में गंदगी और कचरे का अंबार लगा हुआ है। वहां से असहनीय बदबू हमेशा उठती रहती है। गलियों की सफाई पर भी ग्राम पंचायत कोई ध्यान नहीं दे रही है।
93 ग्राम पंचायतों का है ब्लॉक मुख्यालय
कहने को तो बकावंड 93 ग्राम पंचायतों का ब्लॉक मुख्यालय है, मगर एक छोटी सी ग्राम पंचायत जैसी सुविधा भी यहां के लोगों को मयस्सर नहीं है। इस ब्लॉक मुख्यालय में क्षतिग्रस्त नालियां, बदहाल सड़कें, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट, जगह जगह कूड़े कचरे का अंबार इस कस्बे की पहचान बन चुके हैं।
योजनाओं का नहीं मिलता लाभ
यहां के ग्रामीणों को केंद्र व राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ नहीं दिलाया जा रहा है। आवासहीनों को आवास, नलजल योजना, नाली, उज्जवला योजना, स्ट्रीट लाइट, स्व रोजगार, उन्नत खेती, शिक्षा, व्यापार से जुड़ी योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। वंचित ग्रामीणों का कहना है कि जब भी हम ग्रामसभा में अपनी समस्या लेकर जाते हैं, तब आवेदन तो ले लिए जाते हैं, मगर अंततः निराशा ही हाथ लगती है। प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भोगना पड़ रहा है। सरपंच रटा रटाया जवाब देते हैं कि जो भी फॉर्म पंचायत में आते हैं, उन्हें भरकर जमा कर देते हैं। ऊपर से काम नहीं होने पर हम कुछ नहीं कर सकते।
ग्राम पंचायत के कार्यों की हो जांच
बकावंड ग्राम पंचायत में व ग्रामसभा के माध्यम से सरपंच सचिव को नाली पेयजल के विषय में आवेदन देने पर भी कोई काम सुचारू रूप से नहीं किया जाता। इन्हीं मसलों की शिकायत जनपद पंचायत में करने पर आवेदन दबा दिया जाता है। ग्रामीण चाहते हैं कि ग्राम पंचायत के माध्यम से जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, 15 वें वित्त आयोग की राशि, मूलभूत राशि, पंचायत निधि, निर्माण निधि, मनरेगा आदि से जितने भी कार्य सन 2000 से लेकर सन 2022 तक कराए गए हैं, उनकी बारीकी से जांच कराई जाए। ग्राम के लकी कश्यप सुरजो कश्यप समारो, लोकनाथ व अन्य ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से बकावंड की समस्याएं दूर करने की मांग की है।