कैंपा मद के सवा करोड़ रुपए डकारने वाले अफसर पर कार्रवाई कब?

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  • बचने के लिए राज्य के एक मंत्री के दर पर जा पहुंचा यह वन अधिकारी
  • वित्तीय अधिकार छीन जाने के बाद भी तेवर ढीले नहीं पड़े अफसर के
  • अर्जुन झा

जगदलपुर फर्जी बिलों के जरिए तथा भंडार क्रय नियमों को ताक पर रखकर फर्जी तरीके से बिल पेश कर कैंपा मद के लाखों रुपयों के वारे न्यारे करने वाले बस्तर वन मंडल के एक अफसर पर अब तक कोई कार्रवाई न होने से तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं। आरोप है कि यह अफसर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाकर सवा करोड़ से अधिक राशि डकार चुके हैं। इसका खामियाजा अफसर को अपने वित्तीय प्रभार गंवाकर भोगना पड़ा है। फर्जीवाड़ा पर पर्दा डालने राजधानी में दीगर विभाग के मंत्री के दर तक दौड़ लगा चुके इस अफसर का हौसला इस कदर बुलंद है कि वे सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों पर भी भारी पड़ने लग जाते हैं। वे इन जनप्रतिनिधियों के आदेश निर्देश को दरकिनार करने में पीछे नहीं रहते। इस अफसर की कार्यप्रणाली से सत्ताधारी दल के नेता भी नाराज हैं और मुख्यमंत्री से भी उनके खिलाफ शिकायत कर चुके हैं। कैम्पा मद की राशि की बंदरबांट को लेकर बस्तर वन मंडल का एक अफसर इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनके कारनामों की चर्चा राजधानी स्थित वन विभाग के दफ्तरों में भी है। जानकारी के अनुसार जांच में एक करोड़ 30 लाख रु. की गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है। मामले की जांच की फाईल राजधानी में कैंपा मद के सीईओ के पास दबी पड़ी है। खबर है कि दीगर विभाग के एक मंत्री के करीबी होने के कारण मामला फाइलों में दब गया है। यदि किसी सामान्य कर्मचारी ने ऐसा कृत्य किया होता, तो वह अब तक बर्खास्त कर जेल भेज दिया गया होता। साथ ही उससे रिकवरी का फरमान में जारी हो चुका होता। एक मंत्री के दबाव में मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।*बॉक्स**इस तरह किया गया फर्जीवाड़ा*फर्जी बिलों के जरिए सरकारी खजाने में सेंधमारी की गई है। अक्टूबर 2022 और जनवरी 2023 के बस्तर वन मंडल के प्रमाणकों की जांच के बाद मामला सामने आया। जांच में पाया गया है कि एनुअल एलन ऑफ ऑपरेशन (एपीओ ) के तहत वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में वृक्षारोपण मद की अवशेष राशि को वर्तमान वित्तीय वर्ष में सीधे वन मंडल अधिकारी स्तर पर खर्च कर गंभीर अनियमितता बरती गई है। बीते वर्ष की बचत राशि को खर्च करने में राज्य कैम्पा के जारी दिशा-निर्देशों को दर किनार करते हुए इन दो महीनों में कागजों में एक कंपनी को सवा करोड़ से अधिक का भुगतान कर बंरदबाट का खेल खेला गया है।*बॉक्स**बिगड़े वनों को सुधार में भी खेल* राज्य कैम्पा मद की राशि से बिगड़े वनों का सुधार किया जाना था। इसके लिए एक तथाकथित कंपनी को वृक्षारोपण, एएनआर क्षेत्र में रासायनिक खाद, ग्रोथ हॉर्मोन एवं रासायनिक खाद के बदले सवा करोड़ का भुगतान की बात उजागर हुई है। कहा जा रहा है कि न पेड़ लगाए गए, न खाद खरीदी न ही कोई काम कराया गया। हवाई किला खड़े कर राशि हजम कर ली गई।*जांच में अफसर पाया गया है दोषी*कैम्प मद के सीईओ व्ही श्रीनिवास राव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के संचालक एवं अन्य दो सहयोगियों से कराई गई थी। आईएफएस द्वारा की गई जांच में भी डीएफओ को जिम्मेदार ठहराया जा चुका है। इनके अधीनस्थ कर्मचारियों को निर्दोष पाया गया है। जांच रिपोर्ट कैम्पा सीईओ तक पहुंच चुकी है।*बॉक्स**मातहतों को भी लपेटने की तैयारी*वित्तीय प्रभार छीन लिए जाने के बाद वन मंडलाधिकारी ने राजधानी तक दौड़ लगाई थी, लेकिन वित्तीय प्रभार वापस पाने में वे सफल नहीं हो पाए।इस मामले में पूरी तरह दोषी एक ही अफसर को ठहराया गया था, लेकिन अब उनके अधीनस्थ कर्मचारियों को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराए जाने की खबर है। ऐसी चर्चा है कि उक्त अफसर राजधानी में आकाओं से संपर्क कर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी संलिप्त कराने में सफल हो चुका है। जांच रिपोर्ट तैयार हुए दो माह से अधिक का वक्त निकल चुका है, लेकिन राजधानी के अफसर भी गोलमोल जवाब देने लगे हैं। वहीं सत्ताधारी दल के अनेक बड़े नेता वन मंडल अधिकारी की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे हैं। ये नेता पूरे मामले की शिकायत जल्द ही मुख्यमंत्री से करने वाले हैं।

दोषियों पर होगी कार्रवाई

प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि जांच रिपार्ट प्राप्त हो चुकी है। दोषियों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया जा रहा है जो बहुत जल्द जारी होगा।