- प्रमुख राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया टीमें डट चुकी हैं मैदान पर
- सोशल मीडिया प्लेटफार्म से एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की तैयारी
अर्जुन झा
जगदलपुर छत्तीसगढ़ विधानसभा के आसन्न चुनावों में सोशल मीडिया वार की झलक साफ दिखाई देगी। कांग्रेस, भाजपा और आप की सोशल मीडिया टीमें छत्तीसगढ़ पहुंच चुकी हैं। इस बार के चुनावों के दौरान राजनैतिक दल सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों से एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तेजी से सार्वजनिक प्रवचन और जनमत जुटाने के लिए प्राथमिक आधार बनता जा रहा है। यह एक ऐसा माध्यम है, जिसके जरिए लोग प्रतिदिन के जीवन और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बात करने में सक्षम हैं। इसी साल नवंबर माह में छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा अंदरूनी और बाहरी तौर पर मैदान में उतर चुकी हैं। आम आदमी पार्टी अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। छत्तीसगढ़ में आप की पहचान बनाने की कवायद में मुंगेली निवासी आप पार्टी से राज्यसभा सांसद संदीप पांडे जुटे हुए हैं।
आ चुकी कांग्रेस – भाजपा की टीमें
कांग्रेस पार्टी के लिए कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की सोशल मीडिया टीम की आमद छत्तीसगढ़ में हो चुकी है। इस टीम में 100 से अधिक सदस्य हैं। राजधानी रायपुर में इस टीम ने अपना काम भी प्रारंभ कर दिया है। वहीं भाजपा की सोशल मीडिया की टीमें नई दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र से रायपुर पहुंच चुकी हैं। इन टीमों में 90 लोग शामिल हैं। इन टीमों ने भी काम शुरू कर दिया है और वे चौबीसों घंटे सक्रिय रहती हैं।आप पार्टी की सोशल मीडिया टीम भी जल्द रायपुर पहुंचने वाली है।
मतदाता गुमराह होने से बचें
तीनों दलों सोशल मीडिया टीमें मतदान होते तक छत्तीसगढ़ में डटी रहेंगी। इस दौरान वे प्रदेश की जनता के समक्ष सही तथ्य व मुद्दे रखेंगी या वे मतदाताओं को गुमराह करेंगी, इसका आकलन छत्तीसगढ़ के मतदाताओं को करना है। मतदाताओं को गुमराह होने से बचना होगा और उनके लिए सच कौन बोल रहा है उन्हें गुमराह कौन कर रहा है इसका आकलन स्वयं करना होगा। छ्ग अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग बहुल प्रदेश है। इन वर्गों की अपने- अपने जिले में अलग-अलग समस्याएं हैं। उनका निराकरण वर्तमान सरकार कर रही है या नहीं, वे सरकार बदलते हैं तो जिस दल को सत्ता सौंपने का उन्होंने निर्णय लिया है, वह पार्टी उनकी उन समस्याओं का निराकरण कर पाएगी या नहीं, उन्हें अफसरशाही व भ्रष्टाचार से मुक्ति कौन सी पार्टी दिलाएगी, छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों का उनकी जनसंख्या और जातीय समीकरण के अनुरूप उनकी समस्या का निराकरण कौन सी पार्टी करेगी, इसका निर्णय छत्तीसगढ़ के मतदाताओं को करना है। इसलिए वे अपनी समस्याओं को लेकर बिल्कुल मजबूत रहें और अपनी आवाज सभी पार्टियों के समक्ष ताकत से रखें। यदि गुमराह हो गए तो, हमें 5 वर्ष फिर पछताना पड़ेगा।
भविष्य को देख करें मतदान
नवंबर के अंत में मतदान होगा और दिसंबर के पहले हफ्ते में परिणाम आ जाएंगे। जिस पार्टी को मतदाता बहुमत देंगे, उस पार्टी की सरकार का शपथ ग्रहण दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होने की संभावना है। इसलिए ठोक बजाकर निर्णय लेना होगा। गुमराह किसी को नहीं होना है।