मितान’ के बैरी बन गए हैं कर्मचारी

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  • मुख्यमंत्री की मितान योजना का सरेआम उड़ाया जा रहा मखौल
  • शुल्क पटाने के बाद भी बच्चे के आधार कार्ड ढाई माह में नहीं बना

अर्जुन झा

जगदलपुर मुख्यमंत्री के मितान के उनके ही सरकारी मुलाजिम दुश्मन बन बैठे हैं। ये कर्मचारी कामचोरी की हदें पार करते हुए बहु आयमी मितान योजना का मखौल उडाने पर आमादा हो गए हैं। इसके कारण सरकार की साख को बट्टा लग रहा है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के आम नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की परेशानी से मुक्ति दिलाने के लिए मितान योजना शुरू की है। यह योजना बहु आयामी परिणाम देने वाली है, लेकिन सरकारी कर्मचारी इसको सफलता पूर्वक अमलीजामा पहनाने में बाधक बन रहे हैं। लोगों को राशन कार्ड, आधार कार्ड, जन्म – मृत्यु प्रमाण पत्र, निवास, जाति, आय प्रमाण पत्र एवं अन्य दस्तावेज घर बैठे उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में मितान योजना आरंभ की है। पहले इन दस्तावेजों को बनवाने के लिए लोगों को एक सरकारी दफ्तर से दूसरे सरकारी दफ्तर के कई कई चक्कर लगाने पड़ते थे। इसके चलते लोगों के श्रम, समय और धन का अपव्यय होता था और मानसिक परेशानी भी झेलनी पड़ती थी। इससे लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए ही मुख्यमंत्री ने मितान योजना शुरू की है। मितान योजना के काउंटर शहरों और गांव, कस्बों में खोले हैं, जहां कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है।काउंटर में महज 50 रु. का शुल्क जमा करने पर वांछित दस्तावेज घर पहुंचा कर दिए जाने का प्रावधान है। काउंटर में नियुक्त कर्मचारी अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण राजधानी रायपुर में सामने आया है। यहां एक व्यक्ति ने अपने परिवार के एक बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए 50 रु. का शुल्क जमा किया था। प्रावधान के मुताबिक आधार कार्ड एक हफ्ते के अंदर बनाकर आवेदक के घर भेज देना चाहिए था, मगर ढाई माह बीत जाने के बात भी आधार कार्ड का कोई अता पता नहीं है।

ऑडियो सुनिए

शिकायत करने पर अभद्रता

रायपुर के एक मितान योजना काउंटर से जुड़ा एक ऑडियो इन दिनों जमकर वायरल हो रहा है। इस ऑडियो में बच्चे का आधार कार्ड बनाने के लिए आवेदन करने वाले शख्स और काउंटर की महिला कर्मचारी की बातचीत रिकार्ड है। इसमें शख्स कह रहा कि मैडम मैंने बच्चे के आधार कार्ड के लिए ढाई माह पहले 50 रु. शुल्क जमा किया था। आधार कार्ड अब तक नहीं मिला है। चॉइस सेंटर की मदद ली होती तो आधार कार्ड हफ्ते पंद्रह दिन में मिल जाता। इस पर महिला कर्मचारी रूखे अंदाज में जवाब देती है कि शुल्क दिए हो तो क्या हुआ, अभी कार्ड नहीं बना है, केंद्र सरकार की ओर से आधार कार्ड बनकर नहीं आया है तो हम क्या कर सकते हैं। आपको जहां शिकायत करनी है, कीजिए। मितान योजना का कुछ ऐसा ही हाल बस्तर संभाग में देखने को मिल रहा है। यहां भी लोगों को वांछित दस्तावेजों के लोगों को घुमाया जाता है।