नगरनार स्टील प्लांट पर मंडरा रहा नक्सली आतंक का खतरा

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  • 28 जुलाई 2019 को नगरनार थाना क्षेत्र में हुई थी बड़ी वारदात
  • मामले में अब तक चार आरोपियों को धर चुकी है राष्ट्रीय जांच एजेंसी

अर्जुन झा

नगरनार नगरनार इस्पात संयंत्र नक्सली आतंक के साये में है। क्या इस विशाल प्लांट को नक्सली टारगेट बना सकते हैं? यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि अंचल का रक्तरंजित इतिहास इस तरह की आशंका कुशंका को जन्म दे रहा है। कुछ साल पहले ही नगरनार के बिल्कुल नजदीक के जंगलों में नक्सलियों का बड़ा जमावड़ा लगा था। उस समय सुरक्षा बलों और नक्सलवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में छह नक्सलियों के मारे जाने की बात सामने आई थी। मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( एनआईए ) मुठभेड़ में लिप्त रहे चार माओवादियों को गिरफ्तार कर चुकी है। नगरनार अंचल नक्सली गतिविधियों के मामले में संवेदनशील माना जाता है। अंचल में आएदिन नक्सलियों की पदचाप सुनाई देती रहती है। हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों के चलते नक्सली गतिविधियों पर काफी हद तक लगाम लग चुका है, लेकिन ऐसी गतिविधियां पूरी तरह थमी नहीं हैं। नक्सलियों की पैठ अभी तक अंचल के दर्जनों गांवों में बनी हुई है। वे निरीह और भोले भाले आदिवासियों को आगे कर अपने मंसूबों को अंजाम देने की कोशिशों में लगे रहते हैं। नक्सलियों के डर के कारण ग्रामीण उनका साथ देने मजबूर हो जाते हैं। चार साल पहले ही नक्सलियों ने अंचल में बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। बात 28 जुलाई 2019 की है, जब नक्सलियों ने एंटी नक्सल ऑपरेशन पर निकले सुरक्षा बलों पर अचानक हमला बोल दिया था। उस समय नक्सली शहीद सप्ताह मनाने नगरनार थाना क्षेत्र के तिरिया गांव के पास जंगलों में इकट्ठा हुए थे। इस आशय की सूचना मिलने के बाद डीआरजी, एसटीएफ और सीआरपीएफ की ज्वाइंट फोर्स ऑपरेशन और सर्चिंग गश्त के लिए निकली थी। इसी दौरान नक्सलियों ने फोर्स पर जबरदस्त फायरिंग शुरू कर दी थी। जवानों ने भी तुरंत पोजीशन लेकर जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। नक्सली ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और घने जंगलों की आड़ लेकर भाग निकले। मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने छह नक्सलियों को ढेर कर दिया था। इस मुठभेड़ के बाद फोर्स ने जंगलों ने घटना स्थल से बड़ी मात्रा में गोला, बारूद व अन्य विस्फोटक पदार्थ, नक्सली साहित्य, हाथ से लिखे दस्तावेज आदि बरामद किए थे। उस समय नगरनार पुलिस ने इस मामले में आर्म्स एक्ट और यूए (ए ) एक्ट को अपराध पंजीबद्ध किया था। बाद में यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया। तबसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) तिरिया नक्सली हमले की जांच कर रही है। इस मामले में एनआईए अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। दो आरोपी पहले ही पकड़े जा चुके थे तथा एक महिला एवं एक पुरुष आरोपी को 18 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया। हालिया पकड़ी गई महिला आरोपी का नाम बीसीएच पदमा उर्फ मोडेम पदमा उर्फ ललिता और पुरुष आरोपी का नाम दुबासी देवेंद्र बताया गया है। बताया गया है कि ये दोनों आरोपी देश विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेतृत्व के साथ सक्रियता से जुड़े हुए थे। एनआईए ने इससे पहले दोनों आरोपियों के आवास परिसरों पर की तलाशी के दौरान सीपीआई (माओवादी) कैडरों की गतिविधियों से संबंधित कई आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद की थीं। बीसीएच पद्मा पहले भाकपा माओवादी की मंडल समिति सदस्य के रूप में सक्रिय थी और वर्तमान में अग्र संगठनों और भाकपा (माओवादी) के बीच समन्वयक के रूप में कार्य कर रही थी। वह भाकपा (माओवादी) की विचारधारा का प्रसार भी कर रही थी। दूसरा आरोपी दुबासी देवेंद्र कोर क्षेत्र में सक्रिय भाकपा (माओवादी) कैडरों से निकटता से जुड़ा हुआ है। वह सीपीआई (माओवादी) के लिए कुरियर का भी काम कर रहा था और गुप्त रूप से उनके कागज आधारित और डिजिटल संचार में सहयोग कर रहा था।*बॉक्स**प्लांट की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले*हालांकि नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण की कवायद चल रही है, लेकिन फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उद्योगों की तरह इस प्लांट की भी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को सौंप दी गई है। कुछ माह पहले ही यहां सीआईएसएफ ने मोर्चा सम्हाल लिया है। सीआईएसएफ का मूल कार्य उद्योगों की आंतरिक सुरक्षा करना और उद्योगों की संपत्तियों को चोरी होने से बचाना है। आतंकी और नक्सली हमलों जैसे बाह्य खतरों से निपटने के लिए सीआईएसएफ के पास उतने अधिकार और संसाधन नहीं हैं, जितने कि दीगर केंद्रीय सुरक्षा बलों के पास होते हैं। लिहाजा कहा जा सकता है कि अगर कभी अप्रिय स्थिति आ गई तो प्लांट को भारी नुकसान पहुंच सकता है।*बॉक्स**दल्ली राजहरा में हो चुकी है घटना*स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की दल्ली राजहरा स्थित लौह अयस्क खदान इलाके में नक्सली हमले की घटना हो चुकी है। कुछ साल पहले नक्सलियों ने दल्ली राजहरा के उस बोईरडीह डेम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश और डेम में स्थापित पंप हाउस में तोड़फोड़ की थी, जहां से लौह अयस्क खदान को पानी की आपूर्ति की जाती है। तब नक्सलियों ने पंप हाउस के कर्मचारी को बंधक बना लिया था और उसकी जमकर पिटाई भी कर दी थी। दल्ली राजहरा की खदानों से भिलाई स्टील प्लांट को लौह अयस्क की आपूर्ति की जाती है।यहां यह बताना जरूरी है कि दल्ली राजहरा की खदानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सीआईएसएफ ही सम्हाल रही है। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि दल्ली राजहरा अंचल में नक्सली गतिविधियां न के बराबर हैं। जबकि नगरनार अंचल कुछ ज्यादा ही संवेदनशील माना जाता है। ऐसे में नगरनार इस्पात संयंत्र को बाहरी खतरे से बचाने के लिए विशेष सतर्कता और इंतजाम जरूरी है।