क्रिकेट का ऐसा जुनून कि बना डाला अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम

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  • बेटे को कामयाब क्रिकेटर बनाने के लिए एक पिता ने रच दिया इतिहास
  • बेटे की प्रेक्टिस के लिए बनाया निजी खर्च पर शानदार स्टेडियम
  • बस्तर के बच्चों को दिया जा रहा है इंटरनेशनल लेवल का प्रशिक्षण

अर्जुन झा

बस्तर अपने बेटे को कामयाब क्रिकेटर बनाने और अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए एक क्रिकेटर पिता ने क्रिकेट के मामले में सुविधा विहीन बस्तर जिले में अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के अनुरूप इंटरनेशनल लेवल का क्रिकेट मैदान बना डाला। इसके लिए इस शख्स ने न सरकार से, न किसी क्रिकेट संस्था से और न ही किसी संगठन से आर्थिक मदद ली। और तो और मैदान बनाने के लिए अपने चार एकड़ रकबे वाले खेत को ही क्रिकेट के दीवाने इस शख्स ने होम कर दिया।

बस्तर जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर ग्राम कालीपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाया गया है। यह स्टेडियम सरकारी खजाने से नहीं बना है और न ही इसे क्रिकेट एकेडमी या क्रिकेट एसोसिशन ने बनाया है। क्रिकेट स्टेडियम एक पूर्व खिलाड़ी ने अपने स्वमं के खर्चें से बनाया है। क्रिकेट के इस दीवाने शख्स का नाम है प्रदीप गुहा। गुहा ने अपने क्रिकेट प्रेमी बेटे के प्रेक्टिस करने के लिए जो मैदान बनाया था, वह अब क्रिकेट इंस्टीट्यूट में तब्दील हो चुका है। क्रिकेट से पागलपन की हद तक मोहब्बत करने वाले 43 वर्षीय प्रदीप गुहा स्वयं एक अच्छे क्रिकेटर हैं। वे वेतरन क्रिकेट खिलाड़ियों में शुमार हैं। छत्तीसगढ़ के वेटरन क्रिकेटर्स के प्रदर्शन के मामले में प्रदीप गुहा का रैंक नौवां है। श्री गुहा ने बताया कि कुछ दिनों पहले रायपुर में आयोजित वेटरन खिलाड़ियों के दो मैचों में उन्होंने चार विकेट लिए थे। क्रिकेट के प्रति जुनून को लेकर प्रदीप गुहा से इस संवाददाता ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि मुझे क्रिकेट खेलने का बचपन से ही शौक था, लेकिन बस्तर में किसी तरह की सुविधा या मार्गदर्शन नहीं मिलने से क्रिकेट में आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल पाया। अपने बेटे और बेटी को क्रिकेट के क्षेत्र में लाने का प्रयास किया। गांव में ही बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते हुए उन्हें हर उस मैच में ले जाता था, जहां खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देख बच्चे भी अच्छा खिलाड़ी बनने के अपने सपने को परवान चढ़ा सकें।बेटी को लड़कों के साथ मैच खेलते हुए देखकर लोग टीका टिप्पणी भी करते थे, लेकिन मेरी सोच थी कि मैं अच्छा खिलाड़ी नहीं बन सका तो क्या हुआ, बच्चों को आगे बढ़ाकर ही दम लूंगा। इसके लिए बच्चों को देश के कई महानगरों में ले जाकर भारतीय टीम के नामी खिलाड़ियों के संस्थानों में फीस देकर दाखिला दिलवाया। अभी बेटा अंडर -16 की स्टेट टीम में खेल रहा है और बेटी पत्नी की इच्छा के अनुरूप एमबीबीएस में दाखिला ले चुकी है।उन्होंने कहा- क्रिकेट के प्रति मेरा जुनून जरा भी कम नहीं हुआ है। गांव में स्टेडियम बनाने का उद्देश्य बस्तर के खिलाड़ियों को भारतीय टीम का हिस्सा बनाना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैच तक पहुंचाना है।

चार एकड़ में बनाया खुद का मैदान

कालीपुर गांव निवासी प्रदीप गुहा को क्रिकेट का ऐसा जुनून है कि उन्होंने अपने 4 एकड़ के खेत को क्रिकेट ग्राउंड में तब्दील कर दिया है, जहां टर्फ बनाने के लिए राजस्थान और रायपुर से मिट्टी मंगवाई गई और छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के एक्सपर्ट की देखरेख में पिच बनाई गई। प्रदीप गुहा ने बताया कि स्टेडियम में ही रेसीडेंसियल क्रिकेट अकादमी तैयार किया गया है। बस्तर के दूर-दराज के क्रिकेट खिलाड़ी यहां रहकर अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं। अभी सुकमा क्षेत्र के 10 आदिवासी बच्चे हॉस्टल में रहकर ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस क्रिकेट ग्राउंड में लगभग 50 बच्चे रोजाना अभ्यास करने आते हैं। ये बच्चे शहर से 7-8 किलोमीटर दूर के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि मात्र 1500 रूपए महीने की फीस ली जाती है। इस राशि के एवज में ट्रेनीज को क्रिकेट किट देते हैं। यदि कोई आर्थिक रूप से गरीब बच्चा है और जिसमें क्रिकेट खेलने की प्रतिभा है, उसे फ्री में जूते, जर्सी और हॉस्टल- भोजन सब कुछ दिया जाता है।उन्होंने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले बच्चे किसी भी समय मैदान में अभ्यास कर सकते हैं। उन्हें सिखाने के लिए बीसीसीआई लेवल का रजिस्टर्ड कोच उपलब्ध हैं, जो सुबह शाम निर्धारित समय में बच्चों और युवाओं को बैटिंग, बॉलिंग, फील्डिंग समेत क्रिकेट के मंजे हुए खिलाड़ी बनने के सारे गुर सिखा रहे हैं। जो अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी मैच में अपनाते हैं, वह सारी व्यवस्थाएं इस मैदान में उपलब्ध कराई गई हैं।

तीन साल की मेहनत रंग लाई

कोलकाता के ईडन गार्डन मैदान की तरह कालीपुर का क्रिकेट मैदान पूरी तरह हरी घास से भरा हुआ है। गांव के खेत की भूमि को मैदान का रूप देने के लिए 3 साल तक की गई मेहनत रंग लाई। उबड़ खाबड़ खेती जमीन को क्रिकेट का मैदान बनाने के लिए सैंकड़ों ट्रक मिट्टी का उपयोग किया गया, मैदान को समतल करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र से 4 रोलर मंगवाए, वहीं विदेशी कंपनी के ड्रिप सिस्टम से पूरे मैदान पर पानी का छिड़काव किया जाता है। ग्रास कटर मशीन भी बाहर से मंगवाई गई है। रायपुर के परसदा स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट ग्राउंड के बाद कालीपुर का यह क्रिकेट ग्राउंड, अंतर्राष्ट्रीय मैच के स्तर का बन सका है। यहां क्रिकेट के गुर सीखने आ रहे स्वर्ण राज बाफना, पुलकित जैन और खुशबू मजूमदार का कहना है कि बस्तर मुख्यालय में अच्छा क्रिकेट मैदान नहीं है। कहीं है भी तो वहां उनमें सविधाएं नहीं हैं। कालीपुर में मैदान बन जाने से खेलने का मौका मिल रहा है। यहां अच्छे कोच हैं जो खेल की बारीकियां सिखा रहे हैं।इन बच्चों ने अपने प्रदीप गुहा अंकल के प्रति आभार जताते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा बेहतरीन मैदान हम बच्चों के लिए उपलब्ध कराया है। ये बच्चे रोज सुबह शाम दो दो घंटे प्रेक्टिस करते हैं।

बीसीसीआई के नार्म्स पर कराई जा रही प्रेक्टिस

कालीपुर में प्रदीप गुहा द्वारा निर्मित नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्टेडियम में बीसीसीआई मान्यता प्राप्त कोच करणदीप भी बच्चों और युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। उनका कहना है कि यहां करीब 50 बच्चें रेगुलर अभ्यास कर रहें हैं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की तरह प्रेक्टिस कराई जा रही है। मैदान में प्रवेश के बाद पहले व्यायाम कराया जाता है। फिर दो टीमें बना कर रेगुलर मैच कराया जाता है। ताकि उनके खेल में अच्छी पकड़ बन सके। इतना ही नहीं, उन्हें अच्छी डाईट भी दी जाती है।करणदीप का कहना है कि बस्तर के बच्चों की कद काठी जबरदस्त है। उनमें दौड़ने की क्षमता भी अधिक है।कीक्रिकेट की बारीक से बारीक टेक्नीक को वे तुरंत पकड़ लेते हैं।

रणजी प्लयेर भी करते हैं यहां प्रेक्टिस

हाल ही में बनकर तैयार हुये नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्टेडियम कालीगांव के संचालक प्रदीप गुहा ने सिर्फ बच्चों को ही बड़ा प्लेटफार्म नहीं दिया है, बल्कि बड़े और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी इस मैदान का आपयोग कर रहे हैं। रणजी प्लेयर सौरभ सरकार अपनी प्रतिभा को और भी दुरुस्त करने के मकसद से इस मैदान में पसीना बहा रहे हैं। वे कहते हैं कि बस्तर में अच्छे क्रिकेट मैदान की कमी हमेशा से ही रही है।संसाधन कम थे फिर भी मेहनत कर मैं रणजी तक खेला। क्रिकेट को मैं जी भरकर जीना चाहता हूं। मैदान की कमी और सुविधाएं नहीं होने से प्रेक्टिस करने में दिक्कतें आती थीं।पता चला कि कालीपुर में प्रदीप भैया ने मैदान बनाया है, तो यहां पहुंच गया और अब मैं यहां नियमित प्रेक्टिस करता हूं। इससे मुझे काफी राहत मिली है।

फ्लड लाइट और एलईडी सुविधा भी जल्द

प्रदीप गुहा ने बताया कि रात में भी मैच हो सके, इसके लिए फ्लड लाइट की सुविधा पर काम चल रहा है, वह भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैदान के मानक स्तर का होगा। साथ ही एलईडी भी लगेगी, जिससे रन आउट होने के बाद खिलाड़ी अपने पिछले एक्शन को देख सकेंगे। कुल मिलाकर कालीपुर का यह अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम एक व्यक्ति के जुनून के साथ तैयार हुआ है। इसे बस्तर का ईडन गार्डन कहना उचित होगा। प्रदीप गुहा बताते हैं कि 65 मीटर की बाउंड्रीवाल है, जहां तक महेंद्र सिंह धोनी चौका -छक्का मारते हैं। इसका मतलब है अंतर्राष्ट्रीय मैच वाले देश के क्रिकेट मैदानों के बराबर कालीपुर के इस मैदान में मापदंड के अनुसार काम किया गया है।