खाना पीना भूल जनसेवा में जुटे रहते हैं संसदीय सचिव रेखचंद

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  • ग्रामीणों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं विधायक जैन
  • दौरे पर न रहने की स्थिति में कार्यालय में बैठ सुनते हैं फरियाद

जगदलपुर संसदीय सचिव व जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन जनसेवा की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। ज्यादातर वे क्षेत्र के दौरे पर रहकर ग्रामीणों की समस्याओं का निदान करते हैं। जिस दिन श्री जैन दौरे पर नहीं रहते उस दिन उनका सारा समय कार्यालय में बैठकर ग्रामीणों की मांगों और समस्याओं का समाधान करते गुजरता है। बुधवार को भी ऐसा ही हुआ। श्री जैन शाम तक अपने कार्यालय में बैठकर अपने निर्वाचन क्षेत्र के गांवों की समस्याओं का समाधान करते रहे। बुधवार को रेखचंद जैन किसी ग्रामीण की समस्या को लेकर अधिकारियों को फोन करते, तो किसी के लिए अधीनस्थ स्टाफ को आवश्यक निर्देश देकर पत्र लिखवाते रहे। किसी को हाथों – हाथ पत्र दिया तो किसी का पत्र संबंधित विभाग के कार्यालय में भिजवाया। आमतौर पर जब भी दौरे पर नहीं होते हैं, विधायक रेखचंद जैन की दिनचर्या ऐसी ही रहती है।

उनकी सेवा भावना तब देखते ही बनती है। जनता के प्रति ऐसा समर्पण भाव कि विधायक जैन खाना पीना तक भूल जाते हैं। यही वजह है कि क्षेत्र के ग्रामीण उन्हें अपनी पलकों पर बिठाए रखने बेताब रहते हैं। बुधवार को जैन ने सबसे पहले आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त को फोन कर कुछ बच्चों के छात्रावास में रहने की व्यवस्था करवाई। तत्पश्चात सीएसईबी के अधिकारी को फोन कर विद्युत कनेक्शन की प्रक्रिया प्रारंभ करवाया। मितानिनों की समस्या सुनने के बाद उनकी तीन माह की प्रोत्साहन राशि प्रदान करने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र भेजा। शहर के एक निजी विद्यालय में अध्ययनरत छात्र के शिक्षण शुल्क को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखा। कुछ युवा खेल सामग्री की मांग लेकर पहुंचे थे। संबंधित पंचायत के माध्यम से व्यवस्था करवाने विधायक जैन ने उन्हें संतोषजनक जवाब देकर संतुष्ट किया। कुछ लोगों ने अपनी व्यक्तिगत व पारिवारिक समस्याओं को लेकर फरियाद की, जिनका समुचित समाधान जैन द्वारा किया गया। दोपहर से शाम तक की अवधि में समय निकालकर वे केंद्रीय सहकारी बैंक मर्यादित के प्रशिक्षण समापन कार्यक्रम तथा सिटी मैदान में आयोजित फुटबाल प्रतियोगिता का उदघाटन करने भी पंहुचे। इस दौरान वे अपने कार्यालय स्टाफ को यह निर्देश देने से भी नहीं चूके कि किसी भी आगंतुक को बैरंग न लौटने दें। उन्हें कार्यालय में सम्मान के साथ बिठाएं, उनकी समस्याएं और मांगें सुनें और रजिस्टर में नोट करें एवं उनसे आवेदन लें।