- भैंसगांव में दो साल से निर्माणाधीन है शाला भवन
- सीएम के समक्ष भी उठ चुका है लेटलतीफी का मुद्दा
बस्तर विकासखंड बस्तर की ग्राम पंचायत भैंसगांव के नौनिहालों को एक अदद शाला भवन भी नहीं मिल पा रहा है। जो भवन बन भी रहा है, वह सरपंच, पंचायत सचिव और ठेकेदार की तिकड़ी के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। दो साल में भी भवन बन नहीं पाया है। मुख्यमंत्री के सामने भी ग्रामीण इस मसले को उठा चुके हैं, मगर नतीजा सिफर ही रहा। भवन न रहने से शासकीय प्राथमिक शाला की कक्षाएं गांव में स्थित देवगुड़ी के बरामदे में संचालित करनी पड़ रही हैं।
कहने को तो भैंसगांव ग्राम पंचायत मुख्यालय है लेकिन यह गांव प्राथमिक शिक्षा की सुविधा से भी लगभग वंचित हो गया है। यहां शासन ने प्राथमिक शाला खोल रखी है और दो शिक्षक भी पदस्थ हैं, मगर गांव के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांव में जो पुराना प्राथमिक शाला भवन है, वह काफी जर्जर हो चला है। यह भवन महज एक कमरे वाला था, जहां प्राथमिक शाला की पांच कक्षाओं का संचालन संभव नहीं था। इन हालातों को देखते हुए शासन ने बीते शिक्षा सत्र के दौरान नए शाला भवन निर्माण की मंजूरी दी थी। ग्राम पंचायत ने गांव में स्थित माता रुपशिला देवी की देवगुड़ी के पास शाला भवन का निर्माण शुरू कराया था। सरपंच और सचिव ने शाला भवन का निर्माण कार्य एक व्यक्ति को ठेके पर दे रखा है। सरपंच, सचिव और ठेकेदार मिलकर भवन निर्माण के लिए स्वीकृत राशि की हेराफेरी करने में इस कदर लिप्त हो गए कि लाखों रुपए खर्च हो जाने के बावजूद दो साल में भी भवन बनकर तैयार नहीं हो पाया है। भवन की छत ढलाई का काम हो चुका है, प्लास्टर नहीं हो सका है। छत और दीवारों का प्लास्टर न होने तथा फ्लोरिंग का काम न कराए जाने के कारण यह भवन खंडहर बनता जा रहा है। दरवाजे खिड़कियां भी नहीं लगाई गई हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सालभर पहले भेंट मुलाकात कार्यक्रम के सिलसिले में भैंसगांव आए थे। उस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और क्षेत्रीय विधायक लखेश्वर बघेल के समक्ष भवन निर्माण में गड़बड़ी और विलंब का मुद्दा उठाया था। दोनों जनप्रतिनिधियों ने भवन निर्माण जल्द पूरा करा लिए जाने की बात कही थी। उनकी बातों का भी असर नहीं हुआ।
घट गई है शाला की दर्जसंख्या
गांव के रमेश मौर्य ने बताया कि दो साल से भवन का काम लटका हुआ है। प्लास्टर न कराए जाने के कारण छत और दीवारों से बरसाती पानी का रिसाव हो रहा है। दरवाजे खिड़कियां भी अब तक नहीं लग पाई हैं। वहीं शाला के शिक्षक जमुना प्रसाद बघेल ने बताया कि पुराना शाला भवन जर्जर हो गया है। अधिकारियों ने नया भवन के तैयार हो जाते तक वैकल्पिक व्यवस्था कर शाला संचालन हेतु निर्देश दे रखा है। इसलिए माता रुपशिला देवी की गुड़ी के बरामदे में कक्षाएं लगाई जा रही हैं। शिक्षक और विद्यार्थी जमीन पर बैठकर अध्ययन -अध्यापन करते हैं। जबसे देवगुड़ी में शाला लग रही है, तबसे दर्जसंख्या में काफी गिरावट आई है। अभी महज 23 बच्चे ही यहां दर्ज हैं।