- जिला चिकित्सालय में आधी रात मच गई अफरा तफरी
- मरीजों के परिजनों को टॉर्च पकड़ा कर इलाज करते रहे डॉक्टर
जगदलपुर /कोंडागांव जिला अस्पताल कोंडागांव की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। यहां बिजली गुल होने पर मरीज, उनके परिजन और डॉक्टर सभी परेशान होते रहते हैं। बीती रात बारिश के चलते जिला अस्पताल में बिजली गुल हो गई, लेकिन मानसून के दौरान भी जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा पावर बैकअप को लेकर प्री प्लानिंग नहीं की गई है। ऐसे में तीन घंटे तक जिला अस्पताल परिसर पूरी तरह से अंधेरे में डूबा रहा। नतीजतन जिला अस्पताल के मरीज, डॉक्टर, स्टॉफ, मरीज के परिजन सभी गर्मी मच्छर और इलाज में हो रही असुविधा से परेशान दिखाई दिए।
लापरवाही का यह पहला किस्सा नहीं है, जब जिला अस्पताल में ऐसा हुआ हो। कई बार ऑपरेशन के दौरान भी ऐसी स्थिति सामने आ चुकी है। जिला अस्पताल से कई बार गंभीर और लापरवाही के किस्सा सामने आते रहते रहते हैं। इसके बाद भी जिला अस्पताल प्रबंधन इसे लेकर गंभीर नजर नहीं आता। जिला मुख्यालय कोंडागांव में बीती रात तेज बारिश हुई। इसके चलते बांधा तालाब से चिखलपुट्टी तक पावर ब्रेक डाउन की वजह से बिजली गुल हो गई। रात लगभग 10 बजे से लेकर 1 बजे तक बिजली गुल रही । बिजली गुल रहने का सबसे बुरा असर चिखलपुट्टी स्थित जिला अस्पताल में दिखाई दिया।कहीं टॉर्च की रोशनी से इलाज करते डॉक्टर तो कहीं गर्मी और मच्छर से बचने भटकते दिखे मरीज। जिला अस्पताल और शिशु एवं मातृत्व अस्पताल में बिजली गुल होने से मरीज परेशान दिखाई दिए। डॉ. सुनील कुजूर मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में करते व प्रिस्क्रिप्शन लिखते हुए दिखाई दिए। स्टॉफ अंधेरे में ही इंजेक्शन लगाते दिखे।
जनरेटर में नहीं था डीजल
इस दौरान कुछ मरीजों से इस संवाददाता ने चर्चा की। अपने परिजन का इलाज करा रहे कोंडागांव के राजेश शर्मा ने कहा कि रात 9.30 बजे बिजली गुल हुई। बिजली गुल होने से निपटने के लिए जिला अस्पताल में पहले से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी।यहां जनरेटर में डीजल नहीं होने की बात कही जाती रही। कोई इलेक्ट्रीशियन जिला अस्पताल में नहीं होने से गार्ड जनरेटर में डीजल डालते व जनरेटर की मरम्मत करते नजर आए।
बच्चे होते रहे परेशान
मालगांव से बेटे के इलाज के लिए पहुंचे गंगाराम पोयाम ने कहा कि जिला अस्पताल में गंदगी का आलम है। बिजली गुल होने से आईसीयू में भर्ती बेटे को मच्छर और उमस से परेशानी होती रही। बाहर निकला तो ताजी हवा में थोड़ी राहत मिली है। जिला अस्पताल का जब नया भवन था तब स्थिति सही थी, अब पूरी बिल्डिंग कबाड़ बन चुकी है। वहीं एक अन्य मरीज के परिजन रामप्रसाद मरकाम ने कहा कि मेरे बेटे को चाइल्ड वार्ड की एचडीयू में रखा गया है। यह यूनिट पूरी तरह एयर कंडीशंड है, लेकिन बिजली गुल होने से वहां उमस और गर्मी बढ़ गई। इससे मेरे बेटे को काफी परेशानी होती रही। बच्चा चिल्ला चिल्ला कर रोने लगा था। अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था नहीं है। संतोषी मरकाम ने बताया कि उसकी दूधमुही बच्ची को जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया है। यहां उपचार तो काफी अच्छा मिल रहा है, लेकिन व्यवस्थाओं में लापरवाही का आलम है। बिजली गुल होने पर कई घंटे तक हम अंधेरे में बैठे रहे। मच्छर और उमस से परेशानी होती रही। अस्पताल प्रबंधन से भी कोई नहीं बता पा रहा था कि बिजली कब आएगी।
नदारद दिखे जिम्मेदार अधिकारी
एक ओर कोंडागांव जिला अस्पताल में बिजली गुल होने और पावर बैकअप नहीं होने से मरीज और उनके परिजन परेशान होते रहे, दूसरी ओर अस्पताल से जिम्मेदार अधिकारी सिविल सर्जन या कोई अन्य अधिकारी दिखाई नहीं दिए। हालांकि जनरल सर्जन डॉ. एस नगुलान व डॉ. शैलेश कुमार जिला अस्पताल के बाहर मरीजों की समस्या से अवगत होते और जनरेटर जल्द से जल्द चालू करने स्टाफ को निर्देशित करते हुए दिखाई दिए।
वर्सन
अचानक आई ऐसी स्थिति जिला अस्पताल का जनरेटर हमेशा फंक्शन पर रहता है। कल अचानक बैटरी डाउन होने से जरनेटर ऑन नहीं हो पाया। इस पर मैं क्या कर सकता हूं। एमसीएच बिल्डिंग के जनरेटर का डीजल खत्म हो गया था। मॉनसून पूर्व हमेशा तैयारी कर ली जाती है। कल अचानक ऐसी स्थिति निर्मित हुई थी।