हद हो गई, नक्सलियों की दखल अब शिक्षण संस्थाओं में भी!

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  • कॉलेज के अंदरूनी मामलों में करने लगे हैं हस्तक्षेप
  • महाविद्यालय के मसलों को लेकर संघर्ष का आह्वान =
    अर्जुन झा
    जगदलपुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले से एक बड़ी चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यह मामला ऐसा है, जिस पर यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन हुआ कुछ ऐसा है कि उस पर यकीन करना ही होगा। नक्सलियों ने पहली बार शिक्षण संस्थाओं के अंदरूनी मामलों में दखल देने की कोशिश की है, वह भी बाकायदा लिखित फरमान जारी कर।
    नक्सली संगठन अब तक शासन, प्रशासन, पुलिस, सुरक्षा बलों, ठेकेदारों, निजी माल वाहक गाड़ियों, यात्री बसों, रेलवे लाईनों, निर्माण एजेंसियों आदि को ही टारगेट करते रहे हैं। वनवासियों और आदिवासियों के अधिकारों और जल, जंगल, जमीन की तथाकथित रक्षा की बात करते रहे हैं। इन सबकी आड़ लेकर वे सैकड़ों दफे खून की होली खेल चुके और अरबों खरबों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा चुके हैं। छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाएं अब नई बात नहीं रह गई हैं। यहां के लोग इन सबके अभ्यस्त भी हो चुके हैं। मगर इस सोमवार को नक्सलियों ने एक नया और अप्रत्याशित फरमान जारी कर दिया, जो बस्तर संभाग के साथ ही समूचे छत्तीसगढ़ और देश में भी खलबली मचाने वाला है। दरअसल यह मामला बस्तर संभाग के जिला मुख्यालय बीजापुर केएक कॉलेज से जुड़ा हुआ है। बीजापुर में संचालित शहीद वेंकट शासकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय बीजापुर से जुड़े कुछ तथाकथित मसलों को लेकर माओवादी संगठन भारत की काम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव मोहन ने संगठन के लेटरहेड में कंप्यूटर से प्रिंटेड पत्र जारी किया है। इस पत्र में लिखा है कि बीजापुर महाविद्यालय में छात्रों से ली जाने वाली मेस राशि की वसूली बंद कर शासन से मिलने वाली राशि मेस राशि से पीजी कालेज का मेस चलाया जाए, कॉलेज के रूल्स के नाम पर छात्र छात्राओं को प्रताड़ित करना, घोटालेबाजी करना बंद किया जाए। कहने को तो यह नक्सली संगठन की प्रेस विज्ञप्ति है, लेकिन उसमें जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उसे देखते हुए यह एक कड़ा फरमान लगता है। कथित विज्ञप्ति में कहा गया है कि शहीद वेंकट पीजी कालेज बीजापुर जिले में पिछले कई सालों से संचालित है। इस कालेज के हास्टल में हायर सेकंडरी स्कूल की 11वीं व 12वीं के छात्रों की सीट 20 है, एमएससी छात्रों के लिए 30 सीट स्वीकृत है। इस कालेज के लिए जिला प्रशासन द्वारा छात्रों के लिए मेस की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसके चलते कॉलेज के छात्र नायक राकेश ताती पालनार गांव व मद्देड़ क्षेत्र के अंगनपल्ली गांव के रहने वाले उप छात्र नायक अर्जुन अंगनपल्ली पीजी कॉलेज में अध्ययनरत छात्र- छात्राओं पर अपनी मर्जी थोपते हुए बेजा हरकतें कर रहे हैं। इस कॉलेज में रेगिंग की जाती है, मेस चलाने हर छात्र से 1000 रू. की वसूली प्रतिमाह की जा रही है, अनुपस्थिति टैक्स के नाम से पैसा वसूला जा रहा है और व डरा – धमकाकर छात्रों को पीजी कॉलेज से भगाया जा रहा है। इस हरकत से परेशान होकर कई छात्रों को स्कूल कॉलेज छोड़ना पड़ा है। पीजी कॉलेज के प्रोफेसरों को भी धमकी दी जाती है और उन्हें दबाकर रखा जाता है। घोटालेबाजी करना, डराना धमकाना, पीजी कालेज के रूल के नाम से प्रताड़ना बंद किया जाए, छात्रा नायक और उप छात्र नायक से इस्तीफा लिया जाए, हायर सेकंडरी, बीएससी, एमएससी के छात्रों के लिए अलग-अलग हास्टल, मेस की सुविधा को मांग लेकर संघर्ष के लिए सभी आगे आएं।

    छात्र नेताओं की जान को खतरा
    नक्सली नेता मोहन ने जो पत्र जारी किया है, उससे लगता है कि उनके टारगेट पर कॉलेज के दोनों छात्र नेताओं ताती राकेश और अर्जुन अंगनपल्ली आ गए हैं। नक्सलियों से उनकी जान को खतरा पैदा हो गया है। नक्सली नेता मोहन के पत्र का मजमून इस प्रकार है – शहीद वेंकट पीजी कालेज बीजापुर में रैगिंग लेना बंद करो, हर छात्र के पीछे मेस फीस लेना बंद करो, ताती राकेश और अर्जुन अंगनपल्ली जैसे भ्रष्टाचारी छात्रों को नायक और उप नायक नहीं बनाना चाहिए, कालेज के प्रोफेसरों को दबाकर रखना बंद करो। बयान में कहा गया है कि इन दोनों छात्र नेताओं से कॉलेज प्रोफेसर भी परेशान हैं। हर छात्र से मेस चार्ज वसूली, एब्सेंट टैक्स की वसूली, रैगिंग, छात्रों को प्रताड़ित करने, प्राध्यापकों पर दबाव डालने जैसे सारे आरोप छात्र नेता ताती राकेश और अर्जुन अंगनपल्ली पर ही मढ़े गए हैं। लिहाजा इन दोनों छात्र नेताओं को नक्सलियों से गंभीर खतरा पैदा हो गया है। उनकी सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन को कदम उठाना होगा।

    नक्सलियों का मुखबिर कौन?
    नक्सली संगठन के पत्र को पढ़ने और दोनों छात्र नेताओं का उनके पद व नाम सहित उल्लेख किए जाने से यह सवाल उठने लगा है कि अगर कॉलेज में सचमुच इस तरह के क्रियाकलाप हो रहे हैं, तो यह बात नक्सलियों तक आखिर कैसे पहुंची? तब जेहन में यही बात उठती है कि कॉलेज की तमाम गतिविधियों की खबर पीड़ित छात्रों या किसी पीड़ित प्राध्यापक ने नक्सलियों तक पहुंचाई होगी। या फिर ऐसा भी संभव है कि पीड़ित छात्रों ने अपने पालकों को कॉलेज की बातें बताई होगी। उसके बाद किसी पालक ने सारी बातें नक्सली संगठन तक पहुंचा दी होगी। नक्सलियों तक कॉलेज की बातें चाहे जिस भी स्त्रोत से पहुंची हो, मसला बड़ा गंभीर है। हो सकता है कुछ विद्यार्थी, कोई प्रोफेसर या कॉलेज का कोई कर्मचारी नक्सलियों से मिले हुए हों। इस बात की भी तस्दीक पुलिस को करनी होगी। अन्यथा बीजापुर शहर के अंदर कभी भी अनचाही और अप्रिय वारदात हो सकती है। बीजापुर के पुलिस टीआई संजय सिंह ठाकुर ने कहा है कि कॉलेज की गतिविधियों के संबंध में नक्सली संगठन द्वारा जारी किए गए पत्र की जानकारी उन्हें मिली है। वैसे यह कॉलेज का प्रशासनिक मामला है। फिर भी अपने स्तर पर पूछताछ करेंगे।
    वर्सन
    उठाएंगे जरूरी कदम
    माओवादी संगठन द्वारा जारी विज्ञप्ति अथवा पत्र के बारे में पूरी जानकारी ली जाएगी और हर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
    -चंद्रकांत गवर्ना
    अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, बीजापुर