नव पदस्थ संभागायुक्त जीआर चुरेन्द्र ने कार्यभार ग्रहण किया, अधिकारी-कर्मचारियों को बेस्ट वर्किंग तथा पूरी कर्मठता के साथ कार्यों का संपादन करने को कहा

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जगदलपुर, 18 नवम्बर। नव पदस्थ संभागायुक्त शजीआर चुरेन्द्र ने आज 18 नवम्बर को सुबह संभागयुक्त कार्यालय जगदलपुर में पहुंचकर अपना कार्यभार ग्रहण किया। इस दौरान कलेक्टर एवं प्रभारी संभागायुक्त रजत बंसल ने नव पदस्थ संभागायुक्त चुरेन्द्र को विधिवत कार्यभार सौंपा। इस अवसर पर कलेक्टर श्री बंसल एवं अधिकारी-कर्मचारियों ने श्री चुरेन्द्र को बधाई एवं शुभकामनाएं भी दी। नव पदस्थ संभागायुक्त ने कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात अधिकारी-कर्मचारियों से परिचय प्राप्त किया एवं बस्तर संभाग को अग्रणी बनाने हेतु कार्यालय एवं संभाग के सभी अधिकारी-कर्मचारियों के साथ टीम भावना के साथ काम करने की बात कही। उन्होंने कार्यालय के सभी अधिकारी-कर्मचारियों को शासकीय कार्यों का समय पर सम्पादन करने हेतु बेस्ट वर्किंग तथा पूरी कर्मठता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करने को कहा। इस अवसर पर सहायक कलेक्टर सुश्री रेना जमील, उपायुक्त श्रीमती माधुरी सोम, बीएस सिदार एवं जदुबीर राम तथा संयुक्त संचालक कोष, लेखा एवं पंेशन दीवाकर सिंह राठौर सहित अधिकारी-कर्मचारीगण उपस्थित थे।


संभागायुक्त ने कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात अपने कार्यालय में उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों से उनके कार्यों के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने कार्यों के सफल सम्पादन हेतु आवश्यक सुझाव दिए तथा निरंतर अपने क्षमताओं का विकास करते हुए कार्य करने को कहा। श्री चुरेन्द्र ने अधिकारी-कर्मचारियों को कार्यालय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने तथा सभी कार्यों को व्यवस्थित ढंग से करने के निर्देश दिए। सभी अधिकारी-कर्मचारियों को दैनिक कार्य विवरणी बनाने को कहा। जिससे कार्यलय की कार्य संस्कृति का पता चल सके। उन्होंने शाखा लिपिक को सभी नस्तियों को अपडेट रखने तथा नस्तियों की परिशिष्ट विवरणिका तैयार करने को कहा। श्री चुरेन्द्र ने कहा कि संभागायुक्त कार्यालय संभाग के सभी कार्यालयों की धूरी ह,ै इसलिए कार्यालय के सभी अधिकारी-कर्मचारी अपने बेहतर कार्यों से मिशाल प्रस्तुत करें। जिससे की अन्य कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी भी सीख ले सकें। उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग में अधिकारी-कर्मचारियों के पास बेहतर कार्य करने की अपार संभावना हैं। संभाग आयुक्त ने अधिकारी-कर्मचारियों के कार्य क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता बताते हुए इसके लिए तीन-चार माह के अंतराल में प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित करने की बात भी कही।