- मामला जनपद पंचायत भानुप्रतापपुर का
- जनप्रतिनिधियों का संरक्षण, अधिकारियों का आशीर्वाद मिला ठेकेदार को
-दीपक शर्मा-
भानुप्रतापपुर खनिज न्यास निधि (डीएमएफटी) राशि का दुरुपयोग कैसे किया जाना है, इसका कांकेर जिले से बेहतर और कोई उदाहरण नही मिल सकता। जिले के सभी ब्लाकों में खनिज न्यास निधि से करोड़ों रू. का खुलकर भ्रष्टाचार किया गया है। हल्की क्वालिटी की सामग्रियों की खरीदी जनप्रतिनिधि के चहेते ठेकेदार द्वारा तीन- तीन गुना अधिक दर पर किया जाना बताया गया है। वहीं इस कार्य मे भारी भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायत करने के बावजूद जांच व कार्रवाई नहीं होने से अधिकारियों की भी संलिप्तता की संभावना को बल मिल रहा है।
जनप्रतिनिधि, अधिकारी और ठेकेदार मिलकर माल ए मुफ्त दिल ए बेरहम की कहावत को चरितार्थ करने में लगे हुए हैं। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों के आधार पर भानुप्रतापपुर जनपद पंचायत द्वारा खनिज न्यास निधि से 52 पंचायतों में एक- एक लाख रुपए की सांस्कृतिक गतिविधियों के नाम से
टेंट, शामियाना प्रति नग 1400 रू, लोहे का खंभा प्रति नग 850 रू, लोहे का आड़ी खंभा प्रति नग 750 रू, मेट प्रति नग 1050 रू, पर्दा प्रति नग 1300 रू, ट्रंक प्रति नग 3900 रू एवं कुर्सी प्रति नग 480 की दर से पंचायतों को वितरित की गई है। इसके लिए 5 सितंबर को गुपचुप तरीके से अल्प प्रसार संख्या एवं भानुप्रतापपुर में वितरित न होने वाले दैनिक अखबार में निविदा का प्रकाशन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत भानुप्रतापपुर द्वारा करवाया गया। बता दें कि हो हल्ला न हो उसके लिए जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं उनके चहेते ठेकेदार द्वारा निविदा का प्रकाशन सिटी एडिशन में कराया गया, जो भानुप्रतापपुर में आता नहीं
है। जनप्रतिनिधि के चहेते ठेकेदार द्वारा तगड़ी सेटिंग्स व प्लानिंग के तहत गुपचुप तरीके से कार्य को अंजाम दिया गया। भ्रष्टाचार के इस कार्य में कुछ स्थानीय नेताओं ने भी ठेकेदार का भरपूर साथ दिया है। आखिर क्यों साथ दिया है इसका मतलब बताने की जरूरत नहीं है। लोग इसे भलीभांति समझ सकते हैं।
बता दें कि भानुप्रतापपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत कुल 52 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से 21 ग्राम पंचायतों में अभी तक ठेकेदार द्वारा सामग्री दी जा चुकी है। विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू होने के कारण 31 पंचायतों में सामग्रियों का वितरण नहीं हो पाया था। अब ठेकेदार इन पंचायतों में सामग्री पहुंचाने की तैयारी में है।
कुछ सरपंचों एवं सचिवों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वितरण की गई सामग्री बहुत ही हल्के दर्जे की है। इनका बाजार मूल्य आंका जाए तो उक्त सामग्रियों की अधिकतम कीमत 25 से 30 हजार रू. होगी। जबकि इसी सामग्री का प्रति पंचायत एक लाख रुपए की दर से भुगतान करना दर्शाया गया है। वहीं सुनने में आ रहा है कि कुछ सरपंचों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें भी प्रलोभन देकर मना लिया गया। अगले अंक में कौन ठेकेदार एवं किन किन पंचायतों में सामग्री वितरण किया गया है, विस्तार से विवरण दिया जाएगा।