दल्लीराजहरा – श्री नव दुर्गा पूजा की शुरुआत पंडर दल्ली मैदान पर सन् 1993 से स्वर्गीय रंजन घोष और स्वर्गीय पी.एस .आहलूवालिया जी ने पंडरदल्ली के युवाओं के साथ मिलकर किया था। इससे पहले श्री नव दुर्गा पूजा सप्तगिरि पार्क के सामने , फिर पंडर दल्ली चौक में की जाती थी पंडर दल्ली श्री नव दुर्गा पूजा का गौरवशाली इतिहास रहा है ।जब माता रानी की पूजा मैदान में भव्य स्तर पर करने का युवाओं के साथ बैठकर निर्णय लिया गया उसके बाद सभी वार्ड वासियों ने इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया खासकर युवा वर्ग ने इसमें विशेष रूचि दिखाई। पंडर दल्ली श्री दुर्गा पूजा में माता की मूर्ति सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार माना कैंप रायपुर में बनवाई जाती थी और उसे रायपुर माना से सड़क के रास्ते दल्ली राजहरा लाया जाता था जो भक्तों के लिए
आकर्षण का केंद्र रहती थी। आज की स्थिति में माता की मूर्त्ति कलकत्ता के कलाकारों द्वारा दल्ली राजहरा में आकर मंच पर ही बनाई जाती है। माता की पूजा अर्चना के लिए पंडित जी हर साल कलकत्ता से आकर पूजा-पाठ करते हैं। रामू पंडित जी को हिंदी ठीक से नहीं आती है फिर भी सभी वार्ड वासियों के साथ पंडित जी का पारिवारिक संबंध बना हुआ है। इस वर्ष पंडित जी और मूर्तिकार दोनों ही बहुत दुखी है कि कोविड-19 के कारण वो दल्ली राजहरा आ नहीं पा रहे हैं। साथ ही समिति ने भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें इस वर्ष ना आने को कहा है। माता की पूजा में ढाक बजाने के लिए ढाक वाले दादा हर वर्ष पखांजूर से आते हैं।इन सब बातों के कारण ही पंडर दल्ली श्री नव दुर्गा पूजा को विशेष स्थान प्राप्त है। इस मैदान पर एक से एक आकर्षक पंडाल हर वर्ष बनाया जाता है ।बालोद जिले का सबसे बड़ा मंच व माता का पंडाल श्री नव दुर्गा उत्सव समिति पंडर दल्ली द्वारा ही बनवाया जाता रहा है। साथ ही लोगों के मनोरंजन की बात करें तो माता के प्रांगण में पूरे भारतवर्ष के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी है। जिसमें प्रमुख रुप से कल्पना जैन नाइट कोलकाता, नागपुर की कव्वाली, छत्तीसगढ़ के जसगीत सम्राट श्री दुकालू यादव,श्री दिलीप सारंगी ,ममता चंद्राकर, रंग सरोवर, कुलकर्णी बंधु जबलपुर आदि बड़े से बड़े कलाकार एवं साथ ही स्थानीय कलाकारों एवं बच्चों को भी इस मंच ने अपनी
प्रतिभा दिखाने का पूरा अवसर प्रदान किया है। साथ ही इस मंच पर अब डांडिया का भी आयोजन किया जाता है। एक से एक आकर्षक झांकी इस मंच पर रखी गई है जिन्हें नांदगांव, धमतरी अंजोरा दुर्ग से मंगवाया जाता रहा है। आज जो इतना बड़ा मंच बनकर तैयार हुआ है उसमें सभी की मेहनत और माता का आशीर्वाद है ।प्रथम वर्ष सन् 1993 में जब माता की पूजा मैदान पर करने का निर्णय लिया गया तब वहां मंच का नामोनिशान नहीं था ,समतल मैदान था। फिर सब के सहयोग से पहले एक छोटा सा मंच बनाया गया और उसमें ऊपर बीएसपी से तिरपाल मांग कर पूजा की शुरुआत की गई और आज माता की कृपा से और माता के भक्तों की मेहनत से बीएसपी और नगरपालिका के सहयोग से इतना बड़ा मंच बनकर तैयार
है जो बालोद जिले का सबसे बड़ा मंच है। श्री नव दुर्गा उत्सव समिति के संस्थापक सदस्य प्रमुख रूप से स्वर्गीय रंजन घोष जी, स्वर्गीय पी.एस . आहलूवालिया जी ,स्वर्गीय पितवास कुमार भुईयां जी, एस पी सिंग, बी एस एन मुर्ति,कुलदीप सिंग अंजयन पिल्ले ,डी.एस बिजौल, संदीप साखिया, ओ.पी सोनी ,. आर. रामारेड्डी जी , जी शेखर ,पीयूषकांत द्विवेदी,अशोक बांबेशवर,अजय मोहन मिश्रा ,सुरेश रुपाणी,सुरेश अन्ना, अजित बांबेशवर, रामगणेश यादव, नारायण भाई टंडेल जयंत चक्रवर्ती,आलोकपटनायक, किशोर कुमार मायती, रामकुमार शर्मा, सुरेन्द्र यादव, प्रदीपकुमार, राजेश मिश्रा,बुलुप कुमार, धर्मेंद्र सिंग,सुब्रत चक्रवर्ती,अनिश अग्निहोत्री, श्याम शर्मा ,माधव जयसवाल, महेश पांडे,
और विगत कुछ वर्षों से श्री नव दुर्गा उत्सव समिति पंडरदल्ली में माता की सेवा करने वालों में प्रमुख रूप में जी एस पन्नीवेल मुकुल वर्मा, रतिराम कोषमा,एस के गुत्ता, रामेश्वर साहु, मंजीत सिंह,तरूण टंडन,बादल तिवारी, गौतम वर्मा,टी पी साहु,रेखराम मराई,पुरोषत्तम तारम,सी हरी, हितेश टंडन, कृष्णा गावड़े,बी पी कश्यप, महेंद्र सिंह राठौर, अश्वनी सिंह,राजा जयसवाल, देवेन्द्र टंडेल, एवं वार्ड क्रमांक 01 के सभी युवा भक्तगण
ईस वर्ष श्री नव दुर्गा उत्सव समिति पंडरदल्ली ने शासन प्रशासन से मिली गाईड लाईन के अनुसार माता की मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया है, और साथ ही सभी नगरवासियों से अपील भी करती हैं कि सभी भक्त गण माता के दर्शन करने मास्क लगाकर आये और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।