ड्रग इंस्पेक्टर की नाजायज मांग से दवा विक्रेता हैं परेशान

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  • फर्जी केस बनाने और लाइसेंस रद्द करा देने की दी जाती है धमकी
  •  नशीली दवा बेचने का झूठा आरोप लगाकर प्रताड़ना
    अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर जिले के मेडिकल स्टोर संचालक  औषधि प्रशासन विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर की धमकियों और नाजायज मांग से परेशान हैं। आरोप है कि मेडिकल स्टोर्स की जांच के नाम पर दुकान संचालकों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। दवा दुकानों में कुछ भी गलत न पाए जाने के बावजूद झूठी रिपोर्ट बनाकर दुकान का लायसेंस रद्द करा देने और तरह तरह के मामलों में फंसा देने की धमकी ड्रग इंस्पेक्टर एवं विभाग की टीम द्वारा दी जाती है। दुकान संचालकों को कार्यालय में आकर मिलने के लिए कहा जाता है। ड्रग इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली से कई मेडिकल स्टोर्स इस कदर परेशान हो चले हैं कि अब वे कारोबार बंद करने का भी मन बनाने लगे हैं।
पूर्व में जगदलपुर के नगर पुलिस अधीक्षक विकास कुमार द्वारा जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह मीणा के निर्देश पर नशीली दवाइयां और सिरप बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। पुलिस की इस कार्रवाई को सभी लोगों ने सराहा था। उस दौरान नशे के ऐसे कई सौदागर जेल भी भेजे गए थे। इनमें एक भी मेडिकल स्टोर संचालक शामिल नहीं था। पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को जिले के ड्रग नियंत्रण विभाग ने उगाही के लिए हथियार बना लिया है। उन्होंने स्थानीय मेडिकल स्टोर्स संचालकों को अब निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। बस्तर जिले में सालों से पदस्थ ड्रग इंस्पेक्टर के नेतृत्व में टीम द्वारा नशीली दवाई की जांच के बहाने शहर के मेडिकल स्टोर्स संचालकों को परेशान किया जा रहा है। बस्तर जिले में करीब 250 से 300 पंजीकृत दवा दुकानें संचालित हैं। मेडिकल स्टोर्स संचालकों का कहना है कि जांच के बहाने जिला औषधि प्रशासन विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर टीम लेकर कभी भी पहुंच जाते हैं और छानबीन करने के बाद दुकान संचालकों को अपने कार्यालय में आकर मिलने के लिए कहते हैं। कार्यालय में आकर मिलने से उनके कहने का सीधा तात्पर्य लेनदेन है। ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दुकान का लाइसेंस रद्द करा देने के साथ ही कई मामलों में फंसा देने ने की धमकी दी जाती है। अनर्गल मांग की जाती है। मांग पूरी न करने पर परेशान किया जाता है। ड्रग इंस्पेक्टर और विभाग के कर्मियों के रवैए से मेडिकल दुकान संचालक त्रस्त हो चले हैं। उनका कहना है कि औषधि प्रशासन विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर ने उनका जीना हराम कर दिया है। मेडिकल स्टोर्स संचालकों का आरोप है कि बिना कोई अपराध किए ही मोटी रकम की मांग की जाती है और मांग पूरी न करने पर प्रकरण बनाकर बर्बाद कर देने की धमकी दी जाती है। दुकान संचालकों ने बताया कि किसी भी मेडिकल स्टोर में प्रतिबंधित नशीली दवाइयां व सिरप की बिक्री नहीं की जाती, फिर भी ड्रग विभाग के अधिकारी दुकान संचालकों को परेशान करने से बाज नहीं आ रहे हैं।. मेडिकल स्टोर्स संचालक इस मामले की शिकायत भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं जगदलपुर के विधायक किरणदेव सिंह तथा केबिनेट मंत्री केदार कश्यप से भी करने वाले हैं। इसके अलावा एंटी करप्शन ब्यूरो से मामले की शिकायत करने की तैयारी में कुछ दुकान संचालक हैं।