- हर रोजगार सहायक से वसूले 10 से 15 हजार रु.
-अर्जुन झा-
बकावंड जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के बाद अब विकासखंड में पदस्थ राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के परियोजना अधिकारी भी अवैध उगाही के आरोप से घिर गए हैं। आरोप है कि प्रोजेक्ट ऑफिसर कौस्तुभ वर्मा ने भारी भरकम राशि की वसूली की है। उन्होंने भी सीईओ श्री मंडावी की तरह ही कांग्रेस के चुनावी फंड के लिए यह वसूली की है।
जनपद पंचायत बकावंड के सीईओ एसएस मंडावी पर बीते विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के चुनावी फंड के लिए जनपद की सभी 93 ग्राम पंचायतों के सचिवों से करीब बीस लाख रुपए संग्रहित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप क्षेत्र के एक बड़े भाजपा नेता ने लगाया है। इस भाजपा नेता के मुताबिक यह चुनावी फंड कांकेर के एक बड़े कांग्रेस नेता के कहने पर इकट्ठा किया गया था। इस मामले की शिकायत उच्च स्तर पर की गई है। अब ऐसा ही गंभीर आरोप रोजगार गारंटी योजना के क्षेत्रीय परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा पर भी लगे हैं। श्री वर्मा द्वारा स्वयं के लिए तथा कांग्रेस के चुनावी फंड के लिए बकावंड जनपद पंचायत की सभी 93 ग्राम पंचायतों में कार्यरत रोजगार सहायकों से 10 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक वसूले जाने की खबर है। पीड़ित रोजगार सहायकों ने क्षेत्र के भाजपा नेताओं के समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त की है। उनका कहना है कि परियोजना अधिकारी ने चुनाव के दौरान ही प्रत्येक रोजगार सहायक से औसतन पंद्रह हजार रुपए तक की उगाही दबाव पूर्वक की है। कहा जा रहा है कि परियोजना अधिकारी कौस्तुभ वर्मा ने भी कांग्रेस के चुनावी फंड जुटाए हैं। इस मामले की भी शिकायत मुख्यमंत्री से की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते आ रहे हैं कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा। मगर मैदानी स्तर पर कार्यरत अधिकारी जमकर खा भी रहे हैं और अपने आकाओं की झोली भी भर रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत निर्माण एवं विकास कार्यों के लिए प्राप्त करोड़ों रुपयों की बस्तर संभाग में खुलेआम बंदरबांट हो रही है। पंचायत सचिव और रोजगार सहायक इतनी बड़ी रकम अपनी जेब से तो दिए नहीं होंगे। रकम जुटाने के लिए उन्हें निर्माण एवं विकास कार्यों में गड़बड़ी करने की खुली छूट दे दी गई होगी, तभी लाखों रुपए जमा किए जा सके होंगे।केंद्र की राशि की बंदरबांट
केंद्र सरकार पोषित राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत निर्माण मूलक कार्यों के लिए हर ग्राम पंचायत को करोड़ों रुपयों का आवंटन प्राप्त होता है। इन कार्यों के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी परियोजना अधिकारी पर होती है। सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक को मोहरा बनाकर परियोजना अधिकारी स्वीकृत राशि में जमकर गड़बड़ी करते हैं। मस्टररोल में फर्जी हाजिरी डालकर लाखों के वारे न्यारे किए जाते हैं। यही वजह है कि सारे के सारे मैदानी अमले लाल हुए जा रहे हैं। परियोजना अधिकारी के संरक्षण में बकावंड विकासखंड में भी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के कार्यों में खूब गड़बड़ी हुई है।अब सरकार बदलते ही पीड़ित रोजगार सहायकों द्वारा अपनी पीड़ा सामने लाई जा रही है।