करपावंड क्षेत्र में जंगल के रखवाले करा रहे जंगलों का सफाया

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  •  करपावंड परिक्षेत्र से सागौन की ओड़िशा तक तस्करी
  •  जैबेल बीट में काटे जा चुके सैकड़ों हरे भरे सागौन पेड़
  •  गिरोह को विभाग के अधिकारियों का संरक्षण
    अर्जुन झा
    बकावंड बस्तर जिले के बकावंड अनुविभाग में स्थित करपावंड वन परिक्षेत्र के जंगलों का सफाया जंगल के रखवाले ही करवा रहे हैं। वन माफिया सक्रिय हैं विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में सागौन, बीजा समेत अन्य कीमती प्रजातियों के पेड़ों की कटाई कर ईमारती लकड़ियों की तस्करी ओड़िशा राज्य में कर रहे हैं। वन परिक्षेत्र की जैबेल बीट के जंगल सैकड़ों से हरे भरे पेड़ काटकर बाहर भेजे जा चुके हैं।


बस्तर वन मंडल के जंगलों में वन माफिया लंबे समय से सक्रिय हैं। ओड़िशा राज्य की सीमा बस्तर से जुड़ी हुई है। इसका बेजा लाभ लकड़ी तस्कर उठा रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का संरक्षण पाकर जंगल माफिया के हौसले बुलंद हैं। वे इलाके के जंगलों को उजाड़ने में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। लकड़ी तस्करों से मोटी कमाई मिलने के कारण विभागीय अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। करपावंड वन परिक्षेत्र की जैबेल बीट अंतर्गत कक्ष क्रमांक 1210 में सागौन तथा अन्य उत्कृष्ट प्रजातियों के सैकड़ों पेड़ काटे जा चुके हैं। वन माफिया हरे भरे पेड़ों को कटवा कर ओड़िशा ले जा रहे हैं। उन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। विरोध करने वाले स्थानीय ग्रामीणों को डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है। तस्कर रात गहराते ही ईमारती लकड़ियों को ट्रैक्टरों और मिनी ट्रकों के जरिए ओड़िशा भेज रहे हैं। जैबेल बीट में पेड़ों के ठूँठ अवैध कटाई की दास्तां सुना रहे हैं। वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों और अंतर राज्यीय वन माफिया की सांठगांठ के कारण हर दिन करोड़ों की बेशकीमती लकड़ी पार हो रही है। वन परिक्षेत्र करपावंड के अंतर्गत जैबेल बीट के कक्ष क्रमांक 1210 में सागौन के अनगिनत विशालकाय पेड़ों की काटाई हो चुकी है और वन माफिया के लोग अभी भी धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। जानते बूझते हुए भी रेंज के वन अधिकारी आंखें बंद किए बैठे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि जंगलों का सफाया उनके ही संरक्षण में किया जा रहा है।

नाली निर्माण की आड़ में खेल
जंगल में नाली नुमा लंबा गड्ढा खोदा जा रहा है। इस गड्ढे की गहराई बमुश्किल आधा फुट होगी। कहा जा रहा है कि इस कथित नाली के रास्ते में आने वाले पेड़ पौधों को काटा जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि नाली से दस से लेकर पचास फीट दूर स्थित विशालकाय पेड़ भी सैकड़ों की तादाद में काट दिए गए हैं। पेड़ों के लट्ठों से लदे ट्रेक्टर और मिनी ट्रक गांवों से गुजरी सड़कों का सत्यानाश कर रहे हैं। वाहनों की लगातार आवाजाही के कारण सड़कों की बुरी गत बन गई है। ग्रामीणों को आवागमन में असुविधा हो रही है। साथ ही दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है। बीते दिनों ऐसे ही अवैध तरीके से काटे गए पेड़ों के लट्ठों को उलनार से जप्त कर एक ट्रेक्टर के जरिए वन विभाग के डिपो में ले जाया गया।