- वयोवृद्ध और कृशकाय पुजारी पर चारित्रिक लांछन का सच आखिर क्या है ?
जगदलपुर बस्तर को अमन पसंद और लोगों की सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए जाना जाता है। विगत कुछ समय से देखा जा रहा है कि कतिपय लोगों द्वारा यहां की शांति और सामाजिक सौहार्द व समरसता को बिगाड़ने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। विशेषकर इन लोगों के सबसे ज्यादा टारगेट पर सनातन धर्म ही है। यह चलित मान्यता भी है कि सनातन धर्म के लोग सहज और सरल होकर लोगों को आत्मसात करने का भाव रखते हैं। सनातन में कट्टरता वाला भाव कम ही देखने को मिलता है। ऐसा ही एक मामला जगदलपुर में सामने आया है, जिसमें वयोवृद्ध और कृशकाय पुजारी पर चारित्रिक लांछन लगाया गया है। यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है। लोगों को शक है कि इसके पीछे गहरी साजिश हो सकती है।
हाल के दिनों में शहर में घटित एक घटना ने फिर से कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक महिला ने बजरंग बली मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से मना करने पर बुजुर्ग पुजारी पर छेड़छाड़ करने का आरोप लगा दिया। पुजारी की उम्र 80 वर्ष के आसपास है। अपने से दुगुनी उम्र के शख्स पर मंदिर में सुंदरकांड पाठ चलने के दौरान और अच्छी भीड़ होने के बावजूद छेड़खानी का आरोप लगाना कहीं न कहीं पूरे घटनाक्रम पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर का चोला और अन्य श्रृंगार अक्सर पंडितों के माध्यम से ही किया जाता है। मंदिर के गर्भगृह अन्य लोगों को प्रवेश न करने देने के पीछे मूर्ति और उसके आसपास के क्षेत्र की साफ सफाई और शुद्धता बरकरार रखने की मंशा निहित होती है।
लेकिन इस तरह से एक उम्रदराज पंडित पर सीधे छेड़खानी का आरोप लगाना कई सवालों को जन्म दे रहा है
पुलिस कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
जगदलपुर कोतवाली थाना अंतर्गत घटी उक्त तथाकथित घटना में पुलिस द्वारा महिला की तहरीर पर छेड़छाड़ समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया और आनन फानन में जांच की कई बिंदुओं को अनदेखा करते हुए सीधे गिरफ्तारी करने की जल्दबाजी दिखाना पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। लोग पुलिस जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि बड़े बड़े और गंभीर अपराधों में भी पुलिस की वैसी तत्परता देखने को नहीं मिलती, जैसी बजरंग बली मंदिर की कथित घटना में नजर आ रही है।
विवाद से हुआ सुंदरकांड पाठ प्रभावित
उक्त घटनाक्रम के बाद मंदिर में एकाएक लोगों की भीड़ और शोर शराबे से भक्तों द्वारा किया जा रहा सुंदरकांड पाठ भी मजबूरीवश बंद करना पड़ गया, जो कि बेहद दुर्भाग्य जनक है। इसे लेकर लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों ने उक्त घटना को लेकर यह भी आशंका व्यक्त की है कि कहीं छेड़खानी का आरोप लगाने
लगाने वाली महिलाएं किसी ईसाई मिशनरी से संबंध रखने वाली अथवा प्रेरित तो नहीं है। जिनके द्वारा किसी साजिश के तहत सनातन धर्म को बदनाम करने उम्रदराज पुजारी को सहजता से माध्यम बनाया गया है। लोगों ने इन तमाम बिंदुओं पर भी गौर करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है।