चेरामंगी गांव के छात्रावास में सातवीं के छात्र ने लगा ली फांसी

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  •  आजाकवि के छात्रावासों के छात्र -छात्राएं झेल रहे हैं मानसिक यंत्रणा
  • विभाग के सहायक आयुक्त की भूमिका शक के घेरे में

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में आदिम जाति विकास विभाग में अव्यवस्था का आलम है। विभाग के कन्या आश्रमों और छात्रावासों में बदइंतजामी के कारण छात्र छात्राओं को मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजरना पड़ रहा है। मासूम बच्चे आत्मघाती कदम उठाने लगे हैं। बीजापुर में पदस्थ विभाग के सहायक आयुक्त की भूमिका और कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में है।

बीजापुर जिले के उसूर विकासखंड अंतर्गत चेरामंगी स्थित बालक छात्रावास में रहकर सातवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे तेरह वर्षीय छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। प्री मैट्रिक बालक छात्रावास चेरामंगी में अध्ययनरत छात्र जेवियर कुजूर ने गमछे का फंदा बनाकर छात्रावास के रूम में ही फांसी लगा ली। बताते हैं कि छात्र दो दिनों से स्कूल नहीं जा रहा था। छात्र ने आत्महत्या क्यों की है, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है।छात्रावास अधीक्षक ने मृत छात्र के परिजनों और सहायक आयुक्त बीजापुर तथा अन्य संबंधित अधिकारियों को घटना की सूचना दे दी है। उसूर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी संतोष गुप्ता मुख्यालय में नहीं हैं। आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के सहायक आयुक्त केएस मसराम ने बताया कि घटना की जानकारी मिली है और आवापल्ली थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट व जांच के बाद सही जानकारी का पता चलेगा। सहायक आयुक्त केएस मसराम ने बताया कि मौके पर जांच टीम गई है। उसूर के मंडल संयोजक राम सारके ने बताया कि कक्षा सातवीं का छात्र जेवियर कुजूर की ख़ुदकुशी के कारणों का पता लगाया जा रहा है। परिजनों को छात्र के स्कूल नही पहुंचने की जानकारी दी गई थी। मंगलवार को उक्त छात्र ने सभी छात्रों के साथ नाश्ता किया था और खाना भी खाया था। परिजन समीप के गांव नुकनपाल में रहते हैं, उन्हें मामले की जानकारी दे दी गई है।

सहायक आयुक्त की लापरवाही

बीजापुर में पदस्थ आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के सहायक आयुक्त केएस मसराम की लापरवाही, भर्राशाही और मनमानी की चर्चा आम है। सूत्र बताते हैं कि श्री मसराम के अधीन विभागीय शालाओं, कन्या आश्रमों, छात्रावासों में सुविधाओं का व्यापक अभाव है। छात्रावासों और कन्या आश्रमों में टॉयलेट, पानी, भोजन आदि में बेतहाशा खामियां हैं। इन इंतजामों के लिए मिलने वाले फंड की बंदरबांट चल रही है। सहायक आयुक्त के संरक्षण में यह सारा खेल चल रहा है। केएस मसराम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरियां कर रहे लोगों को संरक्षण देने का भी आरोप है। बीजापुर जिले के निवासी शिक्षक के. रामा यशवंत के जाति प्रमाण पत्र के मामले की भी जांच में श्री मसराम जानबूझ कर कोताही बरत रहे हैं। के. रामा यशवंत वर्तमान में सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत उच्चतर माध्यमिक शाला एर्राबोर में प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। आरोप है कि के. रामा यशवंत ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी पाई है। उनके जाति प्रमाण पत्र की जांच जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति बीजापुर द्वारा की जा रही है। इस छानबीन समिति में बीजापुर के सहायक आयुक्त केएस मसराम सर्वेसर्वा हैं। बताया जाता है कि श्री मसराम द्वारा के. रामा यशवंत को बचाने की कोशिश की जा रही है। के. रामा यशवंत को समिति के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस तो जारी किया जाता है, लेकिन अंदर से उन्हें सपोर्ट किया जा रहा है। यही वजह है कि के. रामा यशवंत आज तक एक भी बार समिति के समक्ष पेश नहीं हुए हैं।