अपने ही घर में घिर गए हैं कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश, हो रहा है प्रबल विरोध

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  • सुकमा जिले के युवाओं की नाराजगी कांग्रेस को पड़ सकती है भारी
  •  पिता -पुत्र से नाराज हो चले हैं कोंटा के युवा मतदाता
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर पूर्व मंत्री तथा कोंटा के मौजूदा विधायक कवासी लखमा और उनके पुत्र हरीश कवासी का अपने ही घर में घिर गए हैं। उनका प्रबल विरोध शुरू हो गया है। सुकमा जिले के युवा इन दोनों पिता पुत्र के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। युवा मतदाताओं की नाराजगी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है
    कांग्रेस नेता कवासी लखमा बस्तर संभाग के सुकमा जिले में स्थित कोंटा विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतते आए हैं। इसकी एक बड़ी वजह है कोंटा क्षेत्र के मतदाताओं का भोलापन।दरअसल कवासी लखमा राजनीति के बड़े ही चतुर और शातिर खिलाड़ी बन चुके हैं।कोंटा विधानसभा क्षेत्र में सुकमा शहर भी आता है और इस विधानसभा क्षेत्र के 90 फीसदी मतदाता अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। समाज का यह तबका बड़ा ही सीधा, सरल और हर किसी पर आंख मूंद कर विश्वास करने वाला तबका है। उनके इसी भोलेपन के बेजा फायदा अब तक कवासी लखमा उठाते आ रहे हैं। भोले भाले आदिवासियों को ठगने की कला में कवासी लखमा माहिर हैं।

आदिवासी अपनी आस्था, संस्कृति और परंपरा से बेइंतहा प्यार करते हैं और उसके संरक्षण के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तत्पर रहते हैं। चूंकि कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी भी आदिवासी हैं। इसलिए वे आदिवासियों के गुण को अच्छी तरह से जानते हैं। मगर राजनीति में आने के बाद उनका आदिवासी प्रेम दिखावे भर का रह गया है। कवासी लखमा ने आदिवासियों को अपनी राजनीति चमकाने का आधार बना लिया है। इसके लिए वे साम, दाम, दंड, भेद, आस्था, पर्व परंपराओं तक का सहारा लेने से भी नहीं चूकते। दिल के साफ आदिवासी कवासी लखमा के ‘छद्म आदिवासी प्रेम’ के जाल में उलझ कर रह जाते हैं। वे उन्हें अपना मसीहा मान बैठते हैं और उन्हें हर बार के चुनाव में अपने वोटों से निहाल कर देते हैं। कवासी लखमा की जीत का एक सबसे बड़ा कारण कांग्रेस और इंदरा दाई (इंदिरा गांधी) भी है। कम्युनिस्ट पार्टी से विमुख होने के बाद कोंटा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की ओर ज्यादा हो गया है। मगर कांग्रेस के पाले में आ चुके आदिवासी मतदाताओं से भी पिता पुत्र की जोड़ी छल करने पर आमादा हो गई है। इस चरित्र को कोंटा के आदिवासी युवा अब समझ चुके हैं और कवासी लखमा एवं हरीश लखमा के विरोध में मुखर हो उठे हैं।

 

इसलिए नाराज हैं आदिवासी युवा
कवासी लखमा और हरीश कवासी के प्रति कोंटा क्षेत्र के आदिवासी युवाओं की नाराजगी बेवजह नहीं है। इन युवाओं का कहना है कि 2018 के विधान सभा चुनाव के दौरान कोंटा क्षेत्र में अपने पिता के कवासी लखमा के पक्ष में प्रचार के लिए पहुंचे हरीश कवासी लखमा ने युवा पीढ़ी से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया और अपने चहेते लोगों को उपकृत करने का काम किया है। यही वजह रही कि जब 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान फिर से पहुंचे हरीश कवासी को युवाओं ने उनकी क्लास लगाकर काफी खरी खोटी सुनाई थी। युवाओं का कहना था कि पांच साल तुमने सरकार का मजा लिया ओर अब वोट मांगने आए हो, जब काफी देर तक ग्रामीण उन्हें घेरे रहे तब अंत में बड़ी मुश्किल से वे वहां से किसी तरह निकल भागे। अब लोकसभा सीट से टिकट की मांग करने पर भी युवा विरोध करने लगे हैं। युवा ही नहीं, बल्कि हर आयु वर्ग के मतदाता हरीश कवासी के विरोध कर रहे हैं। इन लोगों का आरोप है कि कांग्रेस पार्टी के नाम पर वर्षों से सुविधा भोगने वाले अब इसी पार्टी को नेस्तानाबूद करने पर तुल गए हैं। अपने किए कर्मो से बचने बीजेपी की गोद में बैठकर पार्टी को हराने प्रयास कर रहे हैं।