- खरीदारी से ज्यादा जरूरी लोकतंत्र की पहरेदारी
- मतदान के प्रति ग्रामीणों में दिखा जबरदस्त उत्साह
अर्जुन झा-
जगदलपुर दक्षिण बस्तर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में साप्ताहिक बाजार ग्रामीणों के जीवन का हिस्सा है। परिस्थिति चाहे कितनी भी विपरीत और विषम क्यों न हो, ग्रामीण बजार जाते ही हैं। इन बाजारों में वे दैनिक उपयोग की सामग्री की खरीदारी करते हैं। लेकिन शुक्रवार को कई गांवों में लगने वाले साप्ताहिक बाजार सूने रहे। वजह थी चुनई तिहार। इसीलिए ग्रामीणों और आदिवासियों ने खरीदारी से ज्यादा लोकतंत्र की पहरेदारी को अहमियत दी। मतदान का व्यापक असर सुकमा जिले के साप्ताहिक बाजारों में देखने को मिला।
शुक्रवार को बस्तर संभाग के सुकमा जिले में केरलापाल व बुडदी में साप्ताहिक बाजार लगते हैं। इन बाजारों में सुबह से ही ग्रामीण वनोपज लेकर पहुंच जाते हैं और उसे बेचकर दैनिक उपयोगी सामग्री की खरीदारी करते हैं। लेकिन शुक्रवार को बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान प्रक्रिया जारी रहने के कारण दोनों बाजारों में गिनती के ग्रामीण पहुंचे थे। बाजार सुनसान रहे। खरीदारी न होने के कारण व्यापारी जल्द अपनी दुकानें समेट कर वापस अपने घर लौट गए। गांव लौटकर व्यापारियों ने भी मतदान किया। दरअसल दक्षिण बस्तर में साप्ताहिक बाजार करीब आधा दर्जन गांवों के ग्रामीण पहुंचते हैं और वनोपज बेचने के साथ -साथ दैनिक उपयोगी की सामग्री की खरीदारी करते हैं। लेकिन मतदान के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की समझ के कारण ग्रामीण पहले मतदान करने पहुंचे।