बस्तर जिले के दूरस्थ गांवों के ग्रामीणों लिए वरदान बन गई हैं बीसी सखियां

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  • घर बैठे बैंकिंग सेवा मिलने से आ रहा है लोगों के जीवन में बदलाव
  •  एक साल में ग्रामीणों को किया 37 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर बस्तर जिले के दूरस्थ और पहुंच विहीन गांवों के ग्रामीणों के लिए कलेक्टर विजय दयाराम के. की एक पहल वरदान बन गई है। इस पहल से ग्रामीणों को अब घर बैठे बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिल रहा है और आर्थिक रूप से सक्षम बनते जा रहे हैं। बीसी सखियों की इसमें बड़ा रोल है।
    बस्तर जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा प्रशिक्षित कुल 150 बीसी सखियों के माध्यम से 433 ग्राम पंचायतों के ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। यह सुविधा बस्तर के दूरस्थ अंचलों के गांवों के ग्रामीणों के लिए बड़ी ही मुफीद साबित हो रही है। बस्तर के कलेक्टर विजय दयाराम के. के निर्देशानुसार जिले के दूरस्थ इलाकों में बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता के विकल्प के रूप में इन बैंक सखियों द्वारा जरूरतमंद ग्रामीणों को महत्वपूर्ण बैंकिंग सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। जिसके अंतर्गत व्यक्तिगत खाता खोलना, खाते से राशि निकासी करना, खाते में राशि जमा करना, राशि का हस्तांतरण करना, सामाजिक सुरक्षा बीमा एवं पेंशन योजनाओं का नामांकन करना, बिजली बिल भुगतान, मोबाईल रिचार्ज, टीवी रिचार्ज करना आदि सेवाएं सम्मिलित हैं। जिले में सामाजिक सहायता कार्यक्रम के पेंशन भुगतान, मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी भुगतान, ग्रामीण आवास योजना के हितग्राहियों को भुगतान, महतारी वंदन योजना के हितग्राहियों को भुगतान सहित स्व सहायता समूहों की जमा- निकासी, व्यक्तिगत जमा- निकासी के तहत बड़ी संख्या में राशि के अंतरण उपरांत बैंकों में बढ़ते ग्राहकों की संख्या और बैंकर्स के कार्यभार को देखते हुए गांवों में ही बीसी सखी के माध्यम से भुगतान की व्यवस्था की गई है।

जिससे ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर ही बैंक की जरूरी सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं। कलेक्टर विजय के सार्थक प्रयासों के फलस्वरूप इस दिशा में विगत वित्तीय वर्ष 2023-24 में मनरेगा श्रमिकों को 20 करोड़ 22 लाख रूपए, विभिन्न पेंशन योजनाओं के हितग्राहियों को 15 करोड़ 11 लाख रूपए और महतारी वंदन योजना के हितग्राहियों को एक करोड़ 94 लाख रूपए कुल 37 करोड़ 27 लाख रुपए का भुगतान बीसी सखियों के द्वारा आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम का उपयोग कर संबंधित ग्राम पंचायत में ही किया गया। जिससे इन हितग्राहियों की समय के साथ धन की भी बचत हुई। बीसी सखियां ग्राम पंचायत भवनों में हितग्राहियों को राशि का भुगतान, राशि जमा करने सहित अन्य कार्य सम्पादित करती हैं, ताकि ग्रामीणों को सहूलियत हो सके। वहीं प्रशासन द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि सप्ताह में कम से कम दो दिवस बीसी सखियां संबंधित ग्राम पंचायत में अवश्य उपलब्ध रहें। बैंक सखियों की संबंधित ग्राम पंचायतों में निर्धारित दिवस उपस्थिति का प्रचार- प्रसार भी वाल पेंटिंग के माध्यम से किया गया है। साथ ही ग्राम पंचायतों में स्व-सहायता समूहों की बैठक तथा सार्वजनिक कार्यक्रम इत्यादि में उक्त जानकारी दी जाती है। जिससे ग्रामीणों और हितग्राहियों को इस संबंध में पूरी जानकारी रह सके।

आजीविका मिशन बना सहारा
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सामूहिक गतिविधियों के संचालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके माध्यम से महिलाओं को स्व-सहायता समूह गठित करने सहित नियमित बैठक, बचत, आपसी लेनदेन, बैंक की सहायता इत्यादि के साथ ही आर्थिक गतिविधियों के जरिये आय संवृद्धि को बढ़ावा दिया जाता है। एनआरएलएम से स्व- सहायता समूहों की इच्छुक महिलाओं को बैंकिंग सेवाओं एवं बैंक की सहायता की जानकारी के साथ ही बैंक सखी का प्रशिक्षण भी जिला एवं ब्लॉक स्तर पर दिया जाता है। कोडे़नार की विनीता ने बताया कि वह स्नातक की पढ़ाई कर चुकी हैं, लेकिन कोई रोजगार नहीं होने से गांव की दीदियों के साथ महिला समूह गठित किया। स्व-सहायता समूह से जुड़े रहने के फलस्वरूप बैंक सखी की सेवाएं देने प्रेरित हुई। इसी तरह हर्राकोड़ेर की संतोषी ठाकुर को कलेक्टर विजय दयाराम के. ने उक्त दूरस्थ इलाके के भ्रमण के दौरान बैंक सखी की सेवा देने प्रोत्साहित किया, तो संतोषी तुरंत तैयार हो गई। संतोषी भी पहले से एनआरएलएम से जुड़ी हुई है। संतोषी को एनआरएलएम द्वारा बैंक सखी का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। अब संतोषी इस सुदूर इलाके में ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं दे रही है।

हर माह 8 हजार तक की आय
बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को सुलभ करवाने में महति भूमिका निभाने वाली बैंक सखियां घर- परिवार के कार्यों के साथ ही हर महीने 7 से 8 हजार रुपए आय अर्जित कर रही हैं। जिससे वे परिवार की देखभाल में सहायक साबित हो रही हैं। इस बारे में बास्तानार ब्लॉक के कोड़ेनार में 2 साल से बैंक सखी की सेवा दे रही विनीता कोमरा बताती हैं कि वह प्रत्येक माह 15 से 16 लाख रुपए का लेनदेन कर लेती है, जिससे उसे बैंक 6 से 7 हजार रुपए कमीशन मिल जाता है।विनीता बैंक सखी के साथ लोक सेवा केंद्र संचालन का भी करती है और 5 से 7 हजार रुपए कमा लेती है। इसी तरह लोहंडीगुड़ा विकासखंड के सुदूर इलाके हर्राकोड़ेर की बैंक सखी संतोषी ठाकुर इस क्षेत्र में पेंशन, मनरेगा मजदूरी भुगतान कर ग्रामीणों के लिए मददगार साबित हो रही है। तोकापाल ब्लॉक के डोंगरीगुड़ा की बैंक सखी ललिता बघेल बताती हैं कि वह 2019 से बैंक सखी की सेवाएं देकर प्रत्येक माह 7 से 8 लाख रुपए का लेनदेन करती है। जिससे बैंक द्वारा हर महीने 3 से 4 हजार रुपए कमीशन प्रदान किया जा रहा है। ललिता स्व- सहायता समूह से भी जुड़ी है और साग-सब्जी उत्पादन एवं विक्रय के माध्यम से अपने समूह की दीदियों के साथ ही स्वयं के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बना चुकी है।