- ताजा हो गईं चमोली के चिपको आंदोलन की यादें
- पेड़ों से चिपक कर कटाई का किया पुरजोर विरोध
- मोहल्ले की संजीवनी हैं पेड़, इन्हें न काटें आनंद झा
अर्जुन झा-
जगदलपुर जो नजारा सन 1973 में अविभाजित उत्तरप्रदेश के चमोली में देखने को मिला था, वैसा ही दृश्य जगदलपुर शहर के इंदिरा वार्ड 16 के इतवारी बाजार में आज शनिवार को देखने को मिला। वार्ड के युवा, महिलाएं और बुजुर्ग पेड़ों से चिपक कर खड़े हो गए। उन्हें काटने का विरोध कर रहे नागरिकों ने प्रशासनिक अमले को जमकर खरी खोटी सुनाई।
आज एकबार फिर जमकर इतवारी बाजार के मोहल्ले वासियों ने जिला प्रशासन का विरोध किया। इंदिरा वार्ड के इतवारी बाजार में प्रशासन द्वारा मल्टी लेवल पार्किंग प्लेस और दुकानें बनाई जा रही है। इन निर्माण कार्यों के लिए मोहल्ले के कई घरों को प्रशासन द्वारा तोड़ा जा चुका है। उस वक्त भी स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया था। अब वहां मौजूद पुराने और विशाल पेड़ों की कटाई करने प्रशासन द्वारा वन विभाग के कर्मचारियों को भेजा गया था, जिसका मोहल्ले वासियों ने जमकर विरोध किया। जानकारी देते हुए वार्डवासी आनंद झा ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा विगत कुछ वर्षों में इतवारी बाजार के लोगों के सिर से उनकी छत का साया छीना गया था। जिसे लेकर अपनी हक के लिए हमने लड़ाई लड़ी थी। विगत कुछ माह पहले भी पेड़ की कटाई को लेकर हमने विरोध किया था। जिस पर प्रशासन द्वारा पेड़ न काटने का आश्वासन दिया गया था। इसके बावजूद आज एकबार फिर जिला प्रशासन के कहने पर वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा इतवारी बाजार पहुंचकर पेड़ों को काटने का काम प्रारंभ किया जा रहा था, जिसका मोहल्ले वासियों ने जमकर विरोध किया। मोहल्ले में मौजूद यह पेड़ सभी मोहल्लेवासियों का आसरा है। ये पेड़ मोहल्ले के लोगों के लिए देवतुल्य और आस्था के प्रतीक हैं। लोग इन पेड़ों की पूजा करते हैं। इन पेड़ों की कटाई से जन भावना और आस्था पर प्रहार हो रहा है।
एक ओर शहर में पेड़ों की कमी होती जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन मोहल्ले वालों के लिए संजीवनी स्वरूप इन पेड़ों को भी काटने का कार्य कर रहा है। एक ओर सरकार पर्यावरण के लिए पेड़ लगाने हेतु जनता को जागरूक कर रही है तो दूसरी ओर प्रशासन पेड़ों को काटने पर तुल गया है।
यह था चिपको आंदोलन
आज मोहल्ले के लोग विख्यात पर्यावरण प्रेमी एवं समाजसेवी सुंदरलाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद और गौरादेवी की भूमिका में नजर आए। इन तीनों हस्तियों के नेतृत्व चमोली के लोगों पेड़ों की कटाई के विरोध को विशाल आंदोलन का स्वरूप दे दिया था। चमोली के नागरिक पेड़ों को अपनी बांहों में भरकर खड़े हो जाते थे। नतीजतन प्रशासनिक अमला बेबस होकर लौट जाता था। तब इसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया था और यह आंदोलन पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। इतवारी बाजार के नागरिक भी आज पेड़ों पर हाथ रख खड़े होकर कटाई का विरोध करते नजर आए। इन दौरान वार्ड के सोनाधर, कृष्णा ठाकुर, कृष्णा, गनपत, बाबा खान, मधु, कुमति, उषा, राजमणि सहित बड़ी संख्या में वार्डवासी मौजूद थे।