सरकार के नक्सलियों से सुझाव मांगने पर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने उठाए सवाल

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  •  सरकार बताए नक्सलियों से सुझाव मांगने के पहले कोई चर्चा हुई है क्या?

जगदलपुर भाजपा सरकार द्वारा नक्सलियों से पुनर्वास नीति के तहत सुझाव मांगने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि नक्सलवाद को लेकर सरकार दिग्भ्रमित है। सरकार को यह समझ ही नहीं आ रहा है उसे करना क्या है? अभी तक सरकार ने 5 माह में कोई नक्सल नीति नहीं बना पाई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की नीति जो पूरी तरह से सफल थी विश्वास, विकास, सुरक्षा की नीति को भाजपा सरकार ने खारिज कर दिया है। पुरानी नीति खारिज करने के बाद अभी तक वर्तमान सरकार ने नक्सलवाद को लेकर अपनी कोई नीति घोषित नहीं की है। सरकार पुनर्वास नीति लेकर आये उसके पहले नक्सल नीति तो घोषित किया जाये। जब नक्सल नीति घोषित करेंगे तब पुनर्वास नीति बनेगी, यह उसका अंश है। अभी नक्सल नीति नहीं बनाई है और दावा कर रहे पुनर्वास नीति लेकर आयेंगे। अनिर्णय वाली स्थिति से इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं हो सकता

दीपक बैज ने उठाए ये सवाल

दीपक बैज ने साय सरकार के कदम को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार बताए कि पुनर्वास नीति के लिए सुझाव मांगने से पहले सरकार की नक्सलियों से कोई वार्तालाप हुई है क्या? सुझाव मांगने के पहले परस्पर विश्वास का वातावरण बनाया जाना चाहिये, सरकार ने ऐसी कोई पहल की है क्या, यदि की है तो नक्सलियों की तरफ से क्या कोई सकारात्मक जवाब आया? दोनों पक्षों में नीति बनने तक युद्ध विराम (शांति की पहल) पर कोई सहमति बनी है क्या? यदि बनी है तो सरकार उसको सार्वजनिक करें। सरकार के द्वारा मांगे गए सुझाव के दौरान यदि उधर से कोई वारदात हो गई तो सरकार का उस बारे में क्या योजना है? सरकार की यह पहल एकतरफा है या दूसरा पक्ष भी इससे सहमत है, सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए।

शांति की पक्षधर है कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट मानना है कि राज्य में शांति की स्थापना होनी चाहिए। हिंसा पर विराम लगना ही चाहिए। नक्सलवाद एक संवेदनशील मसला है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पांच सालों में विश्वास, विकास, सुरक्षा के मूलमंत्र को लेकर शांति स्थापना में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी। राज्य में नक्सलवादी घटनाओं में 80 प्रतिशत तक कमी आई। प्रभावित क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य जैसे मसलों को प्राथमिकता के आधार पर हल किया गया। जिससे वहां के स्थानीय लोगों ने सरकार का साथ दिया और शांति स्थापना में मदद मिली।