- सरकार चलाने में नाकाम साबित हुई भाजपा : बैज
जगदलपुर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आज यहां प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि साय सरकार राज्य के लोगों को पूरे समय बिजली नही दे पा रही है। ऊपर से सरकार ने बिजली के दामों में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है। यह जनता पर सरासर अत्याचार है।
जगदलपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि बिजली दर में 8 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी राज्य सरकार को वापस लेनी चाहिए। प्रदेश की जनता महंगाई से पीड़ित है। ऎसी स्थिति में बिजली दर में बढ़ोतरी करना महंगाई से जख्मी जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। सरकार भले ही कहती है कि बिजली के दाम में 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, मगर हकीकत में पिछले दो माह से बिजली के बिल दोगुने ने आ रहे हैं। आम आदमी बिजली के दाम बढ़ने से परेशान है।
स्मार्ट मीटर लगाकर उपभोक्ता को लूटने कि तैयारी भाजपा सरकार कर रही है। कांग्रेस इसका विरोध करती है। दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने 5 वर्षो तक विपरीत परिस्थितियों में भी बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए बिजली बिल हाफ योजना शुरू की थी, जिसका सीधा लाभ प्रदेश के 44 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को मिलता था। इससे 5 साल में प्रत्येक उपभोक्ता का 40 से 50 हजार रु. तक की बचत हुई है। पिछले 6 माह में विद्युत सरप्लस वाला छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कटौती का केंद्र बन गया है। कोई ऐसा दिन नहीं जाता जब बिजली दो-चार घंटे के लिए बंद न होती हो। रात में तो बिजली की स्थिति और भी भयावह हो जाती है। घंटों बिजली गुल हो जाती है।पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि भाजपा से न सरकार संभल पा रही और न ही व्यवस्थाएं। सरकार एक तो पूरे समय बिजली नहीं दे पा रही है, ऊपर से उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ डाल रही है। प्रदेश के अनेक जिलों में तो पूरी रात बिजली कटौती हो रही है। भाजपा सरकार में आम जनता को मांग के अनुसार बिजली नहीं मिल रही है। बिजली कटौती और लो वोल्टेज की समस्या से शहर और गांव की जनता जूझ रही है। दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होती थी। गर्मी के दिनों में मांग बढ़ने पर दूसरे राज्यों से बिजली की खरीदी कर आम जनता को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती थी। रबी फसल लेने वाले किसानों को भी बोरवेल चलाने के लिए बिजली निःशुल्क मिलती थी। कांग्रेस की सरकार के दौरान बिजली आपूर्ति निर्बाध गति से हो इसके लिए ट्रांसफार्मर के पावर बढ़ाए गए थे, नए ट्रांसफार्मर लगाए गए थे। ट्रांसमिशनों को अपग्रेड किया गया। भाजपा की सरकार में 6 माह में ही बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है। आम जनता सड़कों पर उतरकर बिजली की समस्या को लेकर आंदोलन कर रही है।
कानून व्यवस्था बदहाल
कांग्रेस नेता दीपक बैज ने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में भी राजधानी के अंदर आदिवासी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। राज्य में एसपी कलेक्टर कार्यालय जलाए जा रहे हैं, मॉब लीचिंग हो रही है, थाने में चाकूबाजी हो रही है। वहीं साय सरकार सुशासन का राग अलाप रही है। आखिर ये कैसा सुशासन है? श्री बैज ने कहा यह बेहद दुर्भाग्यजनक है कि आदिवासी मुख्यमंत्री के राज में आदिवासी सुरक्षित नहीं है। बस्तर का आदिवासी अब रायपुर में भी सुरक्षित नहीं है। आदिवासी बच्चे को पीट-पीट कर मार डाला जा रहा है। दीपक बैज ने पूछा कि बस्तर के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र के निवासी 21 साल के छात्र मासूम बच्चा मंगल मुराया का कसूर क्या था? उसने पढ़ाई करने नया रायपुर के एक निजी कॉलेज में एडमिशन लिया था। उसका सिर्फ इतना ही कसूर था कि वह मासूम आदिवासी था। उसने बड़ी मासूमियत से रास्ता पूछा था, लिफ्ट मांगा था। उसको अपराधी तत्व सरेआम गाड़ी में बिठाकर ले गए और पीट- पीटकर मार डाला गया। हत्यारों ने उसका एटीएम कार्ड छीन लिया पिन मांग रहे थे। उस गरीब के बच्चे ने पिन नहीं बताया तो मार डाला गया। क्या यही है कानून का राज? जहां पर रास्ता पूछने पर एक कॉलेज के छात्र को मार डाला जाता है। निरीह आदिवासी मां-बाप ने अपने बच्चे को पढ़ाने का सपना देखा था। उन्हें क्या पता था छत्तीसगढ़ में कानून का नहीं जंगल राज चल रहा है। उसका बच्चा पढ़ लिखकर अपना करियर नहीं बना पाएगा, भाजपा के राज में उसकी लाश घर वापस आएगी। पुलिस निष्क्रिय और निकम्मी बन गई है। मुख्यमंत्री को समझ ही नहीं आ रहा कि करना क्या है? अनुभवहीन गृहमंत्री दिग्भ्रमित हैं। कानून का राज कौन स्थापित करेगा? 6 माह में ही प्रदेश की जनता को यह लगने लगा है कि राज्य में कोई सरकार है ही नहीं है? दीपक बैज ने कहा कि जबसे राज्य में भाजपा की सरकार बनी है, नागरिकों को भय के माहौल में जीवन जीना पड़ रहा है। अपराधी बेलगाम हो गए हैं। साय सरकार के राज में महिलाओं के प्रति अपराधों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो गई है। 6 माह में राज्य में 300 से अधिक बलात्कार, 80 सामूहिक बलात्कार, 200 से अधिक हत्याएं, चाकूबाजी, लूट, डकैती, चेन स्नेचिंग की घटनाएं हो चुकी हैं। राजधानी में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अपराधी बिना किसी वाहन के पैदल चलते हुए चेन खींचकर भाग जाते हैं। राजधानी के थाने में चाकू मार दिया जाता है। पुलिस असहाय हो गई है। नक्सलवादी घटनाएं 6 माह में बढ़ गई हैं। रोज प्रदेशभर से 3-4 मासूम अबोध बच्चियों के साथ कुकर्म तथा सामूहिक दुराचार की घटनाओं की खबरें सामने आ रही हैं।
मानव तस्करी भी बढ़ी
दीपक बैज ने कहा कि राजधानी से लगे आरंग में मॉब लीचिंग में तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है। सरकार अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय उनको संरक्षण देने में लगी है। हत्यारों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने के बजाय सरकार ने सदोष मानव वध का मुकदमा दर्ज करवाया है ताकि अपराधियों को बचाया जा सके। बैगा जनजाति के पूरे परिवार को जलाकर मार डाला गया।महिलाओं बच्चियों को बहला फुसला कर प्रदेश के बाहर ले जाया जाता है। राजनांदगांव के स्टेशन पर 21 महिलाओं बच्चियों को तस्कर ले जा रहे थे जिन्हें रोका गया। लेकिन अपराधियों के सत्तारूढ़ दल के लोगों से संबंध थे, वे थाने से छोड़ दिए गए। गृहमंत्री का गृह जिला तो हत्या, लूट, मानव तस्करी का केंद्र बन गया है। 6 माह में एक दर्जन से अधिक निर्मम हत्याएं कवर्धा में हुई हैं। हर दिन बलात्कार की घटना हो रही है। गृहमंत्री अपना गृह जिला नहीं संभाल पा रहे हैं। हाई कोर्ट ने भी राज्य की कानून व्यवस्था पर दो बार सवाल खड़ा किए हैं। 6 माह में छत्तीसगढ़ अपराध का गढ़ बन गया है। गुंडे, अपराधी, लुटेरे, चोर बेलगाम हो गए हैं।इन घटनाओं को रोकने की दिशा में सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सत्तारूढ़ दल के लोग अपराधियों के पैरोकार बन गए हैं। पुलिस की पीसीआर वैन तो वसूली वैन बन चुकी है जो नशाखोरों, अपराधियों को चंद रुपयों के बदले संरक्षण देती है।
ठगा गया आदिवासी
महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो गयी, पोटाकेबिन में बच्ची की जलकर मौत, अबोध बच्ची मां बनी, नारायणपुर में मासूम बच्चियों से स्कूल में छेड़खानी। बलात्कार, सामूहिक बलात्कार की घटनाएं बढ़ गई हैं। लूट, अपराध, डकैती, चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ गई हैं। अपराध और अपराधी बेलगाम हो चुके हैं। भाजपा के राज में आम आदमी और आदिवासी अपने कोbअसहाय महसूस कर रहे हैं। कहने को तो प्रदेश का मुखिया आदिवासी है, लेकिन वह आदिवासियों को ही सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। आदिवासी समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है।