- इस्पात सचिव एवं सीएमडी से मिले जय झाडेश्वर समिति के प्रतिनधि
नगरनार नगरनार स्टील प्लांट विजिट पर आए इस्पात सचिव एवं सीएमडी से काफी जद्दोजहद के बाद जय झाड़ेश्वर समिति के प्रतिनिधि मंडल की भेंट हो सकी। यह मुलाकात सकारात्मक रही। इस्पात सचिव के नजरिए से समिति एवं प्रभावित गांवों के लोगों की आस बंधी है।
इस्पात सचिव और सीएमडी का रविवार को नगरनार स्टील प्लांट आगमन हुआ। इसकी खबर स्थानीय भू प्रभावित जय झाड़देश्वर समिति के पदाधकारियों को लगने पर सभी पदाधिकारी व सदस्य तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण इस्पात संयंत्र के गेट नंबर एक के सामने पर एकत्रित होकर दोनों अधिकारियों से मिलने की मांग करने लगे। समिति के लोग काफिले को रोकने बात पर अड़ गए थे। वे शांतिपूर्ण तरीके से मिलने पर ज्यादा जोर दे रहे थे। संयंत्र के अधिकारियों एवं सुरक्षा जवानों के साथ उनकी तीखी नोकझोक भी हुई। फिर सुरक्षा अधिकारियों द्वारा मिलवाने के आश्वासन के बाद जय झाडेश्वर समिति के पदाधिकारी एवं सदस्य एक नंबर गेट से हटे। कुछ ही देर बाद फिर इस्पात सचिव का काफिला बिना रुके गुजरने लगा तो समिति के सदस्य नारेबाजी करते हुए मांगपत्र की कॉपी लहराने लगे। उन्होंने अल्टीमेटम दे दिया कि हमारी बातचीत नहीं कराई गई तो वापसी के दौरान इस्पात सचिव के काफिले को रोककर ज्ञापन दिया जाएगा। इस चेतावनी के बाद स्थानीय प्रबंधन के हाथ पांव फूल गए और आनन फानन में समिति के पांच सदस्सीय प्रतिनधि मंडल को इस्पात सचिव से मिलवाने के लिए प्रबंधन तैयार हुआ। दिनभर चले घटनाक्रम के बाद शाम को पांच सदस्यीय दल जिसमें अमित पांडे, बनमाली नाग, गीता मिश्रा, खगेश्वर पुजारी व लेखन बघेल शामिल थे, ने इस्पात संयंत्र में इस्पात सचिव एवं सीएमडी से मुलाक़ात की। प्रतिनिधि मंडल ने इस्पात सचिव और सीएमडी के समक्ष अपनी मांगों को रखा। इस्पात सचिव ने प्रभावित ग्रामों का समग्र विकास सीधे एनएमडीसी के माध्यम से कराने के निर्देश दिए। नगरनार में हॉस्पिटल अपोलो ग्रुप के द्वारा संचालित कराने की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया एवं अन्य मांगों पर नगरनार इस्पात सयंत्र प्रबंधन को बातचीत कर पूरा करने का निर्देश दिए। इस्पात सचिव ने साफ शब्दों में कहा कि बिना प्रभावितों एवं आसपास की जनता को विश्वास में लिए उद्योग का संचालन संभव नहीं है। इसके लिए समिति सदस्यों ने इस्पात सचिव को धन्यवाद दिया एवं आगे की रणनीति तक एवं प्रबंधन को पहल के लिए दो दिन का समय दिया गया है, अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा।