मीठ लबरा हावे जिला के एक झन बड़े अधिकारी बच के रहु नवा कलेक्टर साहब

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  • गलती थी जिला पंचायत सीईओ की नप गए बेचारे बेकसूर कलेक्टर
  • सरकार के इस फैसले से हर कोई है हतप्रभ

अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. के तबादले से हर कोई हैरान है। सरकार के फैसले पर लोग सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस कथित गलती के लिए विजय दयाराम के. को बस्तर से हटाया गया है, उसके लिए जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पूरी तरह जिम्मेदार हैं। हटाना सीईओ को था, लेकिन हटा दिए गए कलेक्टर। अब तो यहां लोग नए कलेक्टर को नसीहत दे रहे हैं कि ‘बड़ मिठलबरा हे जिला के बड़े अधिकारी, बचके रहू नवा कलेक्टर साहब।’

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को बदलने का अधिकार सरकार को है, लेकिन बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. को जिस प्रकार मनरेगा में मानव दिवस सृजित नहीं करने का आरोप लगाते हुए हटाया गया वह किसी के गले नहीं उतर रहा है। जबकि इसके लिए सीधे- सीधे जिम्मेदार जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रकाश सर्वे हैं। तत्कालीन कलेक्टरों को अपने मकड़जाल में फंसाने में माहिर इस अधिकारी से नए कलेक्टर हरीश एस. को बचने की जरूरत है।छत्तीसगढ़ में एक वाक्य है मीठ लबरा जिसका मतलब स्वीट पाईजन या चिकनी चुपड़ी और मीठी -मीठी बातें करने वाला। नए कलेक्टर को स्थानीय अधिकारी कर्मचारी भी कह रहें हैं कि अब्बड़ मिठलबरा हावे जिला के बड़े अधिकारी बच के रहु नवा कलेक्टर साहब। नगरीय निकाय की तरह जिला पंचायत भी स्वतंत्र निकाय मानी जाती है। जिले की ग्राम व जनपद पंचायतों से जुड़े सारे काम सीधे तौर पर जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के मार्गदर्शन में संचालित होते हैं। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के कार्य भी जिला पंचायत सीईओ की ही निगहबानी में संपादित होते हैं। यानि रोजगार मानव दिवस सृजित करने की जवाबदेही भी पूरी तरह जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की होती है। ऐसे में इसके लिए कलेक्टर को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है। पंचायतों, रोजगार गारंटी, गांवों में कराए जाने वाले कार्यों की प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति के सारे अधिकार जिला पंचायत सीईओ के पास ही होते हैं। स्व सहायता समूह की बात करें या प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण, मनरेगा जैसे काम कराने की जिम्मेदारी उनकी होती है लेकिन मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्य में बस्तर जिला फिसड्डी रहा है। यह हम नहीं कह रहे ब्लकि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कलेक्टर कांफ्रेंस में यह गड़बड़ी पकड़ी और इसके नाम पर बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. को हटा दिया गया जबकि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रकाश सर्वे इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं। ज्ञात हो कि तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की सरकार में स्व सहायता समूह को फंड आबंटित करने के दौरान यह अफसर नेताओं में झगड़ा करा बैठे तथा स्थानीय नेताओं ने कलेक्टर विजय दयाराम को कोप भाजन बनाया था। तो अब इसी जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के चक्रव्यूह में फंसे कलेक्टर विजय दयाराम का राज्य सरकार ने बलि का बकरा बना दिया। इसीलिए नागरिक और अधिकारी कर्मचारी नवागत कलेक्टर हरिस एस. को मिठलबरा यानि स्वीट पॉयजन इस अधिकारी से सचेत रहने के लिए आगाह कर रहे हैं।