- केंद्रीय सहायता राशि की खुलकर हो रही बंदरबांट
- राशि आहरण का निकाल लिया है अजब फार्मूला
-अर्जुन झा-
बकावंड गांवों के विकास और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय मद के 15वें वित्त की राशि का ग्राम पंचायतों में गजब घोटाला किया जा रहा है। इस मद के करोड़ों रुपयों की बंदरबांट सरपंच, सचिव और जनपद पंचायत के अधिकारी कर रहे हैं। इस मद की राशि के आहरण की भी गजब तोड़ इस तिकड़ी ने निकाल ली है। कहा जाता है कि सरकारी धन हड़पने का ऐसा खेल एक अकेले बकावंड विकासखंड या बस्तर संभाग में ही नहीं, बल्कि पूरे देश की ग्राम पंचायतों में चल रहा है। यही वजह है कि अधिकांश सरपंच खाक से फलक तक जा पहुंचे हैं।
15वें वित्त की राशि में हेराफेरी का एक बड़ा मामला बकावंड जनपद की ग्राम पंचायत मरेठा में सामने आया है, जहां बिना कोई काम कराए तीन महीने में 20 लाख रुपए का आहरण कर लिया गया है। 15वें वित्त की इस राशि से पंचायत में एक रुपए का भी काम नहीं हुआ है। 15वें वित्त आयोग की राशि के उपयोग और आहरण के लिए सरकार की गाइड लाइन के अनुसार यदि किसी को 50 हजार से ऊपर का भुगतान करना है तो उसके लिए तकनीकी स्वीकृति जरूरी होती है। इससे बचने के लिए लेकिन हमारे चालक सचिवों और जनपद के अफसर ने गजब तोड़ निकाल ली है। इस तोड़ के अनुसार 49 हजार, 45 हजार रुपए का आहरण किया जाने लगा है। इस योजना में एक विशेष बात यह भी है कि जीओ टैग जरूरी होता है, लेकिन यहां इस फार्मूले पर भी धता बताया जा रहा है। 50 हजार के नीचे की राशि में न तकनीकी स्वीकृति की आवश्यकता होती है न ही जीओ टैग की। सचिव सरपंच अपनी मनमानी से मनचाहे हिसाब से खर्च दर्शाकर राशि का गबन कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि बकावंड ब्लॉक की मरेठा ग्राम पंचायत में अप्रैल से जुलाई महीने तक 15वें वित आयोग के लगभग 20लाख रुपयों का सरपंच,सचिव एवं जनपद सदस्य ने बंदरबाट की है। ग्रामीणों का आरोप है की सड़क निर्माण, नाली सफ़ाई, मुरूम डलवाने, हैंडपंप के पास सोख्ता गड्ढा निर्माण, आंगनबाड़ी भवन मरम्मत जैसे कार्यों के नाम पर मूलभूत निधि और 15वें वित्त की राशि आहरण कर के हजम कर ली गई है और तो और इन सभी कार्यों का भौतिक सत्यापन 26 सितंबर को होने के बाद भी आज तक दोषियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है।
बच्चों के नाम पर 20 हजार हजम
हमने मरेठा ग्राम पंचायत में ग्राउंड जीरो पर एक भी कार्य नजर नहीं आया। मगर एक चौंकाने वाली यह बात जरूर सामने आई कि बीते 15 अगस्त के दिन 20 हजार रूपए का एक बिल लगाकर उसका भुगतान भी प्राप्त कर लिया गया है। यह रकम ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को बूंदी और सेव मिक्चर का वितरण करने का बोगस बिल लगाकर निकाली गई है। इस बाबत जब हमने ग्रामीणों से पूछा तो उन्होंने बताया कि 15 अगस्त को स्कूल की ओर से 3 किलो लाई और बूंदी लाकर बांटी गई थी। इसी से पता चलता है कि केंद्रीय और राज्य मद की राशि की किस कदर बंदरबाट हो रही है। सोचने वाली बात है कि 20 लाख रुपए की हेराफेरी तीन महीने के अंदर हो जाती है और प्रशासन के लोगों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है।
ग्रामसभा का अनुमोदन नहीं
15वीं वित्त योजना में प्रावधान है कि सरपंच सचिव को ग्रामसभा में अनुमोदन कराकर ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम में चयनित कार्य को 60 -40 के रेसियो में कराना होता है। इसके तहत स्वच्छता में 30, शिक्षा में 30, अधो संरचना में 40 प्रतिशत प्लान के तहत केंद्रीय सहायता राशि 15वें वित्त से ग्राम पंचायत का विकास करना होता है लेकिन जीपीडीपी कुछ और बनाते हैं और खर्च कुछ और करते हैं। यह पूरे छत्तीसगढ़ पूरे देश में से प्लान बनाई जाती है। लेकिन ग्राम पंचायत में सरपंच सचिव ही ग्रामसभा में अनुमोदन कराए बिना राशि का दुरुपयोग करते हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियां अगर जांच करती हैं तो पूरे देश में अरबों रुपयों का घोटाला सामने आ जाएगा।