- निरीह आदिवासियों का दोष मढ़ने वालों का कबूलनामा
- 12 नक्सलियों के घायल होने की भी स्वीकारोक्ति
–अर्जुन झा–
जगदलपुर छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि नक्सलियों ने बस्तर संभाग के नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों के सीमावर्तीअबूझमाड़ के जंगलों में हुई मुठभेड़ में अपने 35 साथियों के मारे जाने की पुष्टि की है। दर्जन भर नक्सलियों के मारे जाने का कबूलनामा भी सामने आया है। यह राज्य के लिए बड़ी बात है। वहीं इसे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा की बड़ी जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। नक्सली संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की पूर्व बस्तर डिवीजनल कमेटी ने इस बात की पुष्टि की है। कमेटी ने अपने मारे गए सभी 35 सदस्यों की सूची भी जारी की है। संगठन ने आरोप लगाया है उसके सदस्यों को अलग अलग जगहों से इकट्ठा कर उनका नरसंहार किया गया है।
इससे पहले पुलिस ने सूची जारी कर 31 नक्सलियों के मारे जाने तथा कई नक्सलियों के घायल होने की बात कही थी। इसके अलावा पुलिस ने 3-4 और घायल नक्सलियों की इलाज के अभाव में मौत हो जाने और उन नक्सलियों का उनके साथियों द्वारा जंगल में ही दाह संस्कार किए जाने की संभावना जताई थी। अब नक्सली संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की पूर्व बस्तर डिवीजन कमेटी ने 35 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि कर दी है। इस नक्सली संगठन ने अपने मारे गए साथियों की जो सूची जारी की है उसमें शीर्ष पर नीति उर्फ उर्मिला एसजेडसीएम पूर्व बस्तर डिवीजन इंचार्ज सचिव का नाम रखा है। नीति पर 25 लाख का ईनाम घोषित था और वह बीजापुर जिले के
ग्राम हिरमागुंडा की निवासी थी। इसके अलावा नक्सली संगठन की सूची में नंदू मंडावी सीवायपीसी कंपनी नंबर 6 कमांडर निवासी ग्राम कोतराम, जिला बीजापुर, मुरली मतलामी ग्राम मंडानार अंतागढ़, सुरेश उर्फ जानकू सलाम छोटे फरसगांव, मीना अजिता उर्फ श्यामबती मड़काम ग्राम मोहंदी ओरछा, महेश मंडावी ग्राम घोटिया भैरमगढ़, जुगनी कौड़ो ग्राम किलेनार अंतागढ़, विजय उर्फ सुकलू कोर्राम ग्राम कोंगेरा नारायणपुर, बसंती वडद्दा ग्राम आलदंड कोयलीबेड़ा कांकेर, अर्जुन लेकाम ग्राम फल्ली भैरमगढ़ बीजापुर, जगनी वड्डे ग्राम अड्डेमपाड़ नारायणपुर, सोनू कोर्राम ग्राम सुलेंगा नारायणपुर, सीमा उर्फ जोगाय कोर्राम ग्राम सुलेगा नारायणपुर, जमली मंडावी ग्राम तोयामेट्टा नारायणपुर समेत सभी 35 मृत नक्सलियों के नामों का उल्लेख है। इससे पहले यही होता रहा है कि जब भी मुठभेड़ में नक्सली मारे जाते थे नक्सली संगठन पुलिस और सरकार पर निरीह आदिवासियों की हत्या करने का दोष मढ़ना शुरू कर देते थे। इसके बाद विपक्ष आक्रामक हो उठता था। नक्सलियों की बातों पर यकीन कर विपक्षी नेता विधवा विलाप करने लग जाते थे, जांच दल गठित कर संबंधित गांवों में भेजे जाते थे। दोनों प्रमुख दलों की यही रीत रही है। पहली बार हमने मुठभेड़ में मौतों के आंकड़ों और मारे गए लोगों के नक्सली होने का कबूलनामा किसी नक्सली संगठन की ओर से आया है। हालांकि यह कबूलनामा जारी करने वाला नक्सली संगठन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की पूर्व बस्तर डिवीजन कमेटी का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथियों को अलग अलग जगहों से इकट्ठा कर एक स्थान पर गोलियों से भूना है। यह आरोप अपनी जगह है, मगर इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि अबूझमाड़ की यह मुठभेड़ इतिहास रच गई है। यह साय सरकार की बड़ी उपलब्धि है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में और डिप्टी सीएम एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की रणनीतिक कुशलता और पुलिस के अधिकारियों की सूझबूझ से पहली बार ऎसी बड़ी कामयाबी हाथ लगी है कि नक्सलियों को खुद मानना पड़ गया कि हां हमारे 35 साथी मारे गए हैं।
हमदर्दी के साथ जनसेवा
डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा की दाद देनी होगी कि वे नक्सल पीड़ितों के साथ पूरी हमदर्दी रखते हुए उनकी सेवा में जुटे रहते हैं। वे गाहे बगाहे नक्सल प्रभावित गांवों में जाकर ग्रामीणों का दुख दर्द साझा करते हैं, उनकी समस्याओं का निदान करवाते हैं। इसका असर यह हो रहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था, सरकार और प्रशासन तंत्र के प्रति ग्रामीणों का भरोसा काफी बढ़ गया है। यही भरोसा नक्सलियों के खिलाफ अचूक हथियार साबित हुआ है। साफ बात है कि बस्तर वासियों का दिल जीतकर ही नक्सलियों पर विजय पाई जा सकती है। विजय के इस फार्मूले को उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने बखूबी अपनाया है।गृहमंत्री विजय शर्मा को जब पता चला कि बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर जिलों के पचासों ग्रामीण नक्सलियों द्वारा प्लांट किए गए आईईडी की चपेट में आकर अपने हाथ पैर गंवा बैठे हैं, तो शर्मा ने उनके कृत्रिम हाथ पैर लगवाने का फैसला किया। दर्जनभर लोगों के कृत्रिम पैर रायपुर में लग भी गए। ये लोग नकली पैरों के सहारे चलकर गृहमंत्री विजय शर्मा के निवास में मुख्यमंत्री साय और उप मुख्यमंत्री शर्मा के प्रति आभार जताने पहुंचे थे। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की यही संवेदनशीलता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा नक्सल समस्या के खात्मे के लिए दी गई डेड लाइन की ओर सरकार, पुलिस और सुरक्षा बलों को निरंतर आगे बढ़ा रही है।