- टंकी का दूषित पानी पीने और कीड़ेयुक्त भोजन खाने मजबूर हैं नौनिहाल
–अर्जुन झा–
बकावंड बस्तर जिले के बकावंड विकासखंड सबसे शिक्षित ब्लॉक माना जाता है ब्लॉक के आश्रमों व छात्रावासों में साफ सफाई व खान पान में बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बकावंड के सुदूर गांव मारीगुड़ा विमल विद्या आश्रम बालक बालिका छात्रवास में इन दिनों खान पान व साफ सफाई में भारी अनियमिता बरती जा रही है।
इस आश्रम में साफ सफाई का सर्वथा अभाव है।कुछ पालकों व बाललों ने जानकारी चाही गई उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर अव्यवस्था का भंडाफोड़ किया। उन्होंने कहा कि यह पहले जैसा स्कूल नही रह गया है। यहां कीड़े लगे चावल का भात पकाकर बच्चों को खिलाया जाता है।यहां स्वच्छ भारत मिशन का भी मजाक बनाकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। मीनू चार्ट के आधार पर खाना बच्चों नही खिलाया जा रहा है।साउथ इंडियन के टीचर यहां ज्यादातर होने के चलते बच्चों को लेंग्वेज समझने में कठिनाई होती है। मैदान पर घास व झाड़ियां उग आई हैं।पूरे कैंपस में मच्छर पनप गए हैं। मलेरिया, डेंगू रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है। पानी टंकी की कभी सफाई नही कराई जाती है। स्कूल में वाटर प्यूरीफायर भी नहीं है। टंकी का दूषित पानी बच्चों को पीना पड़ रहा है। लाइट पंखे का भी कोई ठिकाना नही है। ब्लाक के बीहड़ अंदरूनी क्षेत्र में स्थित होने के कारण उच्च अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का मारीगुड़ा में आना जाना नही होता है। पिछले वर्षों में भी गलत खाना खाने से कई बच्चे फ़ूडपाईजनिंग का शिकार हो गए थे और बीमार पड़ गए थे। बच्चों को मेडिसिन तो उपलब्ध है, किंतु बच्चों के बीमार होने पर भी उन्हें दवाएं नही दी जाती हैं। पालकों का कहना है कि इस स्कूल की जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए
कैंपस में सुअर पालन
बकावंड विकासखंड में सुदूर स्थित इस हायर सेकंडरी स्कूल विमल विद्या आश्रम में अनेकों अनियमितताओं के साथ ही एक बड़ी विसंगति यह भी देखने को मिली है कि यहां कैंपस में ही सुअर पालन भी किया जा रहा है। इसका पालकों ने पुरजोर विरोध किया था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।घटिया खाद्य पदार्थ से होने वाली गड़बड़ी के अलावा सुअर भी बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। सुअर कई बीमारियों के जन्मदाता माने जाते हैं, बावजूद सुअर पालन बंद नहीं किया जा रहा है। इस तरह की खामियों के चलते इस आश्रम में कभी भी बड़ी अनहोनी हो सकती है।