जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के तत्तकालीन रमनसिंह सरकार के कार्यकाल में प्रशासनिक आतंकवाद का ढ़ोल पिटने वाले कांग्रेसियों को भूपेश बघेल सरकार के प्रशासनिक आतंकवाद नजर नहीं आ रहें हैं जिसके कारण कांग्रेसियों की किरकिरी हो रही है और तो और यह जनता भी भयाक्रांत है।जिन अधिकारियों पर कानून पालना की जिम्मेदारी है वह ही प्रशासनिक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इस मामले की जानकारी सत्ता पक्ष के लोगों को भी है किंतु वह मौन है तथा विपक्षी दलों को भी इसका भान है किंतु इनकी रहस्यमय चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है।
बस्तर जिले के जगदलपुर अनुविभागीय अधिकारी जी.आर.मरकाम की कारगुज़ारियों से आम जनता के साथ पत्रकार व वकील भी भय खा रहें हैं और इनके मातहतों द्वारा दबी जुबान से इनके किस्से सुनाते हुए जिला कलेक्ट्रोरेट में कहीं भी मिल जाएंगे। एसडीएम जी.आर.मरकाम तबसे सुर्खियों में हैं जबसे वह कोविड-19 के दौरान एक वकील के साथ मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया और उसके बावजूद उन पर तत्तकालीन कलेक्टर अयाज तंबोली द्वारा कार्यवाही नहीं करने से उनके हौसले बुलंद हो गये।इन सबके बीच जब कोई व्यक्ति एसडीएम जीआर मरकाम से टेलीफोन या व्यक्तिगत तौर पर अपनी समस्याओं को सामने रखता है तो उसका निपटारा करने की बजाय वह सिधे तौर पर धमकाते हुए देखे जा सकते हैं।
इसी प्रकार कई अन्य मामलों की जानकारी भी कलेक्टर रजत बंसल को लगी है किंतु इन पर कार्रवाई न होने से एसडीएम के हौसले बुलंद हैं। एसडीएम की कारगुज़ारियों की जानकारी सत्तारूढ़ कांग्रेस कमेटी के जिम्मेदारों को भी है किंतु वह सब खामोशी की चादर ओढ़े हुए है तो भाजपाई हार के भंवर से अभी तक बाहर नहीं निकल पा रहें हैं या फिर जनसरोकार से मुंह मोड़ लिया है।कुल मिलाकर प्रशासनिक आतंकवाद का बोलबाला फिर हिलोरें मार रहा है यदि अभी सरकार या उच्च प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं देते हैं तो फिर से यह चिंगारी कहीं दावानल न बन जाए। यहां उल्लेखनीय है कि प्रशासनिक आतंकवाद को लेकर छत्तीसगढ़ की विधानसभा पिछले रमनसिंह कार्यकाल में ठप्प कराई गई थी अब फिर यह भूपेश बघेल सरकार के लिए लेने के देने न पड़ जाए।