अच्छाई और बुराई के बीच फर्क सिर्फ दोनों के रूप का है – संत श्री राम बालक दास जी

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प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा किया गया, ऑनलाइन सत्संग में ऋचा बहन के मीठा मोती का प्रेषण से सभी को प्रतिदिन जीवन दर्शन का ज्ञान प्राप्त होता है आज के मीठा मोती में रिचा बहन ने संदेश प्रदान किया कि अच्छाई और बुराई के बीच फर्क सिर्फ दोनों के रूप का है, अच्छाई गंगा समान पवित्र और बुराई गंदे नाले जितना मैला है।

पुरुषोत्तम अग्रवाल जी, पाठक परदेसी जी रामफल जी शिवाली साहू, तन्नू साहू, डुबोवत्ती यादव, अपर्णा,भूषण साहू जी का पूरा परिवारअपनी मधुर भजनो के साथ प्रस्तुति प्रदान करते हैं, छोटी छोटी नन्ही नन्ही बच्चों की मधुर वाणी में भी हमें प्रतिदिन सुंदर भजनों का श्रवण प्राप्त होता है,प्रतिदिन बाबा जी द्वारा उनके सम्मान में प्रोत्साहन कर आभार व्यक्त किया जाता है एवं बाबा जी द्वारा भजनों की प्रस्तुति से प्रसन्नता भी व्यक्त की जाती है, सत्संग में जुड़ने वाले प्रतिदिन सत्संगी भाई बहनों के सम्मान में उनके नाम का उद्घोषण बाबाजी द्वारा किया जाता है,और यह आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु सभी भक्तगण तत्पर रहते हैं एवं अपनी जिज्ञासाओं को भी उनके समक्ष रखते हैं एवं उनका समाधान भी प्राप्त करते है तथा उसके अनुसार धर्म जीवन समाज दर्शन व्यवहार में लाने को प्रतिबद्ध होते हैं भक्तों की जिज्ञासा यथोचित किसी भी विषय पर प्रस्तुत हो जाती है कभी रामचरितमानस से तो कभी गीता से तो कभी पूजा पद्धति से तो कभी किसी तीर्थ से संबंधित होती है तो कभी संत समुदाय पर भी तो कभी जीवन दर्शन के प्रत्येक पहलू चाहे वह पारिवारिक हो सामाजिक हो सभी पर वह अपनी जिज्ञासा प्रस्तुत करते हैं बाबा जी के ज्ञान द्वारा उनका प्रत्युत्तर भी प्राप्त कर, वे अपने को धन्य करते हैं |

आज की सत्संग परिचर्चा में बाबा जी से पाठक परदेसी जी ने जीवन के उस तीर्थ के विषय में जानने की जिज्ञासा रखी जिससे हम सद्गति को प्राप्त कर सकें, इसे स्पष्ट करते हैं बाबा जी ने बताया कि यह ऐसा विषय है जिसका उत्तर सभी का कल्याण करेगा वैसे तो सभी तीर्थों के लिए कहा गया है कि गंगा में नहाए तो सद्गति प्राप्त होगी हरिद्वार जाए तो सद्गति प्राप्त होगी काशी जाए तो सद्गति प्राप्त होगी ऐसा सभी तीर्थों के लिए कहा जाता है परंतु संसार में जो जीवित तीर्थ हैं हम उनके बारे में विषय रखते हैं जिससे हमें सद्गति प्राप्त होती है इनमें हमें स्नान अवश्य करना चाहिए उनकी शरण में अवश्य जाना चाहिए अगर हम ऐसा नहीं करते तो हमें सद्गति कभी प्राप्त नहीं हो सकती वे तीर्थ हमारे पास ही है हमारे माता-पिता ही हमारे जीवन के तीर्थ हैं जिनकी चरणों में हमें सद्गति प्राप्त होती है और हमारे दोनों लोक सुधर जाते हैं, और इन्हीं जीवित तीर्थों में गुरु आचार्य संतो के चरण भी आते हैं जो हमें सद्गति प्रदान करते हैं |

इस प्रकार आज का सत्संग संपन्न हुआ
जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम