सरगुजा जिला स्थित मैनपाट में, संस्कृति मंत्रालय के सहयोग तले, सरगुजा जिला प्रशासन के तत्वाधान में प्रतिवर्ष मैनपाट महोत्सव आयोजक समिति द्वारा मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है। ऐसे शासकीय आयोजनों का उद्देश्य स्थानीय लोक कलाकारों को मंच प्रदान कर, छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति से, प्रदेश के हर भाग को अवगत कराने के साथ साथ, स्थानीय परम्पराओं को संरक्षित एवं संवर्धित करने का होना चाहिये।
मुझे स्मरण है, छत्तीसगढ़ राज्योत्सव २०१९ में माननीय मुख्यमंत्री जी ने, समस्त आगामी शासकीय आयोजनों में, छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को अधिक से अधिक बढ़ावा देने की बात कही थी। जहाँ एक ओर समूचा देश वोकल फॉर लोकल की बात कर रहा है। छत्तीसगढ़ में लोकल को विस्मृत कर अन्य जगहों के कलाकारों को प्रमोट करने का सिलसिला निरंतर जारी है।
विगत वर्ष के आयोजन में भी मुख्य कलाकारों के रूप में पंजाबी गायक परमिश वर्मा और भोजपुरी अदाकारा अक्षरा सिंह को सेलेब्रिटी गेस्ट के रूप में बुलाया गया था । इसी परिपाटी को पुनः चलाते हुए इस बार भोजपुरी गायक खेसारी लाल, भोजपुरी अदाकारा काजल राघवानी, भोजपुरी अदाकारा अक्षरा सिंह, पंखिड़ा गायक राजेश मिश्रा, पंजाबी गायक करण रंधवा सहित अन्य बाहरी कलाकारों को सेलेब्रिटी गेस्ट गेस्ट के रूप में बुलाया गया है । मुख्य कार्यक्रमों में गिनती के ३ छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।
इसका दूरवर्ती परिणाम दुखद होगा। ऐसे मौकों पर हमे चाहिए कि हम प्रदेश के कोने कोने में, प्रदेश की समृद्ध लोक संस्कृति एवं परम्पराओं का प्रचार एवं प्रसार करें तथा नवीन पीढ़ी को हमारी संस्कृति एवं परम्पराओं से अवगत कराने हेतु बड़े पैमाने पर कार्य करें। और यही नवसृजित छत्तीसगढ़ शासन का ध्येय वाक्य कहता है,“गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ “। परन्तु विडंबना यही है कि मैनपाट में हो रहे इस प्रदेश स्तर के शासकीय आयोजन में नवा छत्तीसगढ़ नहीं बल्कि बिहार गढ़ा जा रहा है।
समय समय पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ,छत्तीसगढ़ में ही, छत्तीसगढ़ियों की जा रही ये उपेक्षा, प्रदेशवासियों की जनभावनाओं को आहत करती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो हम प्रदेश की मूल संस्कृति व परम्परों का समूल विनाश कर बैठेंगे।