छत्तीसगढ़ में जबसे कांग्रेस सत्ता में आयी है, तबसे क़ानून-व्यवस्था बदहाल होती जा रही है। प्रदेश की बहन-बेटियों के विरुद्ध नृशंस अपराधों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। शान्ति का टापू कहलाने वाला अपना छत्तीसगढ़ देखते ही देखते अशांत और असुरक्षित कर दिया गया है। यहां बहन-बेटियों समेत किसी की भी जान/सम्मान यहां सुरक्षित नहीं रह गया है। समाज के कमजोर तबके के लोगों से अत्याचार चरम पर है। अभी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का संरक्षण प्राप्त कोरवा जनजाति की नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म और पिता-बहन समेत उनकी नृशंस ह्त्या ने, इस तिहरे हत्याकांड ने तो प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। ख़बरों के अनुसार 16 वर्ष की कोरवा किशोरी से दूसरी शादी करने का मंसूबा ध्वस्त होने पर हैवानों ने सामूहिक दुष्कर्म कर उसके पिता और बहन समेत नृशंस ह्त्या कर दी। सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि बावजूद इसके प्रदेश सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
ऐसा ही जशपुर का एक अमानवीय और घृणित मामला सामने आया है जहां अंचल की बेटी को छः बार अलग-अलग लोगों के हाथ बेचा गया, और आजिज़ आ कर सातवीं बार में अंततः युवती ने आत्महत्या कर ली। दुखद है कि इस संबध में पड़िता के पिता ने पुलिस थाने में 6 माह पूर्व शिकायत थी। इस सबके बाद भी पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नही किया। प्रदेश को मानव तस्करी का एक केन्द्र भी बनाया जा रहा है। कई मामलों में तो कांग्रेस के नेताओं या कांग्रेस समर्थित/संरक्षित लोगों की सीधी संलिप्तता भी सामने आ रही है।
पिछले दिनों ही एक दर्दनाक घटना बस्तर के केशकाल से सामने आई थी। वहां नाबालिग आदिवासी किशोरी के साथ न केवल 7-7 लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया बल्कि कहीं से न्याय नहीं मिलने पर उसने आत्महत्या भी कर ली। फिर भी मामले को दबाने की भरसक कोशिश की गयी। अंत में आजिज़ आ कर किशोरी के पिता ने भी आत्महत्या की कोशिश की, तब मामला बाहर आ पाया है। इससे पहले प्रदेश के सरगुजा संभाग के धरमजयगढ़ में कांग्रेस नेता और पूर्व जनपद सदस्य, कोल माफिया अमृत तिर्की द्वारा किये दुष्कर्म की बात हो, सुकमा, रायगढ़, बलरामपुर आदि की नृशंस घटना हो। नर्रा, महासमुंद में हुए वारदात की बात हो या अन्य हज़ारों मामले, कहीं भी शासन के किसी जिम्मेदार व्यक्ति के कान पर जूं नहीं रेंगी है। बलरामपुर की खबर देख कर तो रोंगटे खड़े हो जायें, वहां एक पिछले आंकड़े के अनुसार 9
माह के भीतर 104 ऐसे केस सामने आये, जिनमें 79 तो केवल नाबालिगों के खिलाफ दुष्कर्म के थे। इसी तरह बिलासपुर में पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी से 30 अक्टूबर तक जिले के 20 थाना क्षेत्रों में 6 हजार से अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं। इनमें हत्या, चोरी, लूट, बलात्कार, मारपीट सहित अन्य माइनर एक्ट के अपराध भी शामिल हैं।
लगातार ऐसी घटनाएं होना और उसकी रिपोर्ट तक नहीं लिखाने से ऐसा लगता है मानो सरकार ने यह अलिखित आदेश दे दिया हो कि ऐसी घटनायें दर्ज न किये जायें। क्योंकि जिस तरह प्राथमिकी दर्ज कराने में हीलाहवाली की जाती है। ज़ाहिर है ऐसा इसलिए किया जता होगा क्योंकि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े में प्रदेश में अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि का खुलासा हो रहा है। ऐसे में अपराध कम करने और दोषियों के खिलाफ कारवाई करने से अधिक प्रशासन की प्राथमिकता मामले को छिपाने पर होती है, यह स्पष्ट हो रहा है।
बावजूद इसके दर्ज हुए अपराधों के आंकड़े भी भयावह हैं। सदन में सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य में एक जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक डकैती, लूट, हत्या, बलात्कार और अन्य अपराधों के 17,009 मामले सामने आये हैं। इस दौरान यहां केवल बलात्कार के ही 2,575 मामले प्रकाश में आये हैं। यानि दुष्कर्म की लगभग 7 घटनाएं रोज सामने आ रही हैं। एक अन्य नए आंकड़े के अनुसार पिछले दो वर्ष में 5347 बलात्कार और 4038 अपहरण के मामले सामने आये हैं। यहां फिर यह दुहराना होगा कि ये आंकड़े तो वे हैं जो दर्ज हुए हैं। जिन वारदातों को प्रदेश भर में दर्ज ही नहीं किया जाता है, उसकी तो सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। हर 3 घंटे में अनाचार का मामला सामने आना वास्तव में भयावह है।
कांग्रेस सरकार इन मामलों को कितनी गंभीरता से लेती है, इसका दुर्भाग्यजनक उदहारण सामने आया था जब शासन के प्रतिनिधि कैबिनेट मंत्री शिव डहरिया ने इन लोमहर्षक घटनाओं को ‘छोटा अपराध’ कहा था। दुखद यह कि किसी अन्य प्रदेश में घटी घटना अगर राजनीतिक दृष्टि से अनुकूल हो तो तुरंत उस पर भी प्रतिक्रया देने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी न तो ऐसे बयानों से असहमति जताते हैं और न ही खुद कुछ बोलते है, ज़ाहिर है यहां की घटनाएं सीएम को भी छोटी ही लगती है। ऐसी मंशा वाली कांग्रेस सरकार से कोई भी उम्मीद रखना बेमानी है। महज़ सस्ती राजनीति के लिए अन्य प्रदेशों की घटनाओं पर मुखर रहने वाले सीएम का अपने ही प्रदेश में रोज घटित हो रही इन तमाम घृणित घटनाओं पर मौन वास्तव में निंदनीय है।
अतः अब अंततः उम्मीद प्रदेश के संरक्षक के रूप में महामहिम से ही है, अब आपका हस्तक्षेप अनिवार्य हो गया है। इस दुर्भाग्यपूर्ण समय में एकमात्र संतोष की बात बस यह है कि प्रदेश की आप जैसी संवेदनशील संरक्षक हैं। ऐसी प्रमुख जो स्वयं महिला और आदिवासी समाज से आने के कारण यहां के दुःख-दर्द को बेहतर समझती हैं। अतः आपसे भाजपा विनय पूर्वक यह मांग करती है :-
कांग्रेस शासन में अभी हुए तमाम संज्ञेय अपराधों पर श्वेत पत्र जारी करने का निर्देश शासन को देने का कष्ट करें। श्वेत पत्र में सरकार खासकर यह बताये कि तमाम घटनाओं पर उसने कितने दिनों में क्या-क्या कारवाई की।
ऐसी सभी जघन्य घटनाओं की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन करने आदेशित करें। जघन्य कांड के सभी दोषियों पर फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमा चले।
पीड़ित परिवारों को समुचित मुआवजा और उनके परिवार को नौकरी/संरक्षण दिये जाय।
किसी भी संज्ञेय या अन्य अपराध की प्राथमिकी दर्ज किये जाने में हीलाहवाली के दोषी अधिकारियों/पुलिसकर्मियों को दण्डित किये जायें। उन्हें बर्खास्त कर उनके खिलाफ मुकदमा चले।
राष्ट्रपति महोदय को उनके दत्तक पुत्र अर्थात संरक्षित कोरवा जनजाति के साथ हो रहे अपराधों की रिपोर्ट देने महामहिम की तरफ से पहल हो। उन्हें पर्याप्त संरक्षण दिये जायें।
इन तमाम बिन्दुओं पर महामहिम से कारवाई अपेक्षित है।