आदिवासियों को न्याय देना ही होगा , शन्नी गावडे , ब्लाक अध्यक्ष नारायणपुर ।
सैय्यद वली आज़ाद – नारायणपुर
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने बयान जारी करते हुए कहा कि 17 मई को सुरक्षा बलों के द्वारा आदिवासी ग्रामीणों को उनके जमीन पर पुलिस शिविर स्थापना के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने ग्रामीणों पर गोलाबारी की थी जिसमें 3 ग्रामीण आदिवासी मारे गए।
घटना की जांच हेतु आम आदमी पार्टी का जांच दल आज सुबह सिलेगर गांव के लिए रवाना हुआ । जांच दल को पुलिस ने कोडनार थाने में ही रोक लिया है ।, करोना का बहाना बना रोकने पर जांच दल का कोरोना टेस्ट करवाया गया लेकिन टेस्ट नेगेटिव आया । इतना होने पर भी उन्हें जाने नही दिया गया और उसके बाद उन्हें थाने में बैठा लिया गया और गाड़ी की चाबी भी छीन कर गाड़ी थाना परिसर के अंदर रख ली गई है । जो निंदनीय है।
क्यों जांच दल को घटना स्थल पर ग्रामीणों से मिलने व जानकारी लेने से रोका जा रहा है।
आम आदमी पार्टी ब्लाक अध्यक्ष शन्नी गावडे ने कांग्रेस सरकार व भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए तीखे शब्दो में कहा कि बीजापुर जिले के सिलगेर में ग्रामीणों के ऊपर हुई गोलीबारी की उच्चस्तरीय जांच एवं दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग लगातार हो रही है लेकिन भूपेश सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
बीजापुर जिले के सिलगेर गांव में स्थानीय ग्रामीण आदिवासियों द्वारा पुलिस कैम्प खोलने का विरोध किया जा रहा था,जिनके ऊपर पुलिस की गोलीबारी से तीन लोगों की मौत हो गई।दो दर्जन से अधिक ग्रामीण घायल हो गए।
नक्सली उन्मूलन के नाम पर बस्तर में आदिवासियों को लगातार इसी तरह परेशान किया जा रहा है।इस तरह की घटना में कई बहनों की सुहाग उजड़ जाता है और कई माताओं को अपना बेटा खोना पड़ता है। बस्तर में लागू पांचवीं अनुसूची व पेसा कानून का सरकार लगातार उल्लंघन कर रही है।
गोलीबारी मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा के रूप में एक करोड़ रु व घायलों के परिजनों को ₹ पचास लाख मुआवजा देना चाहिए ।
बस्तर क्षेत्र में जहाँ भी पुलिस या सैन्य बल का कैम्प बनाया जाता है वहाँ स्थानीय निवासियों द्वारा विरोध किए जाने पर उन्हें शासन/प्रशासन द्वारा सीधे सीधे नक्सली समर्थक करार कर दिया जाता है और इसी दृष्टि से उनसे निपटा जाता है।कोई भी यह जानने की कोशिश नहीँ करते कि आखिर लोग पुलिस/सुरक्षा बलों के कैम्पों का विरोध क्यों करते हैं।
हकीकत यह है कि जहाँ जहाँ इस तरह के कैम्प हैं वहाँ वहाँ कैम्प के जवानों द्वारा स्थानीय लोगों के साथ आर्थिक शोषण एवम युवा आदिवासी बालाओं को यौन शोषण के लिए मजबूर करने की कोशिश की जाती है।
अतः जिन जिन स्थानों पर पुलिस/सुरक्षा बलों के कैम्प चल रहे हैं उन जगहों पर कैम्प के जवानों के स्थानीय लोगों से व्यवहार की जाँच के लिए भी उच्चस्तर की कमेटी बनाई जानी चाहिए।
जांच दल में प्रदेश सह संगठन मंत्री देवलाल नरेटी , जगदलपुर जिलाध्यक्ष तरुणा बेदरकर,नारायणपुर जिलाध्यक्ष नरेंद्र नाग और चित्रकोट विधानसभा प्रभारी समीर खान , उमेश पोटाई यूथ विंग जिला अध्यक्ष कांकेर शामिल थे। उन्होंने आक्रोशित होकर कहा कि
भाजपा की राह पर ही कांग्रेस भी चल रही है। कांग्रेस सरकार आदिवासी समाज के हित में भाषण बाजी करके सत्ता में और ऐसे फर्जी एनकाउंटर की बात चुनाव के दौरान मंच से पानी पी पीकर करती थी, आज सत्ता पाने के बाद मदहोशी में यह भूल गई कि पांचवी अनुसूची को कैसे लागू किया जाना है और आदिवासी विकास की जमीनी योजनाओं पर क्रियान्वयन किस तरह से होना है। बजाय लोकतांत्रिक प्रक्रिया से परे किसी भी तरह इस घटना पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है।
शन्नी गावडे ने आगे कहा कि अब भूपेश सरकार के शासन में पुलिस व्यवस्था पूरी तरह बेलगाम हो गई है, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू पर अपने ही अधीन डिपार्टमेंट में व्याप्त भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में उनकी असफलता एक तरह से भ्रष्टाचार का संरक्षण ही है । अतः आम आदमी पार्टी यह भी मांग करती है कि उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए। जांच दल को घटना स्थल पर जायजा लेने जाने दिया जाए व आदिवासियों को उचित न्याय मिले।