जगदलपुर।कोविड के महामारी में हम सब ने महसूस किया है कि देश और प्रदेश में बड़ी संख्या में चिकित्सा महाविद्यालय खोले जाये। मोदी सरकार अपनी तरफ से नए चिकित्सा संस्थानों को खोलने की कोई ठोस पहल तो कर नही रही जो राज्य सरकार इस दिशा में ठोस कार्ययोजना बना कर आगे बढ़ रही उसके कामो में भी मोदी सरकार अड़ंगेबाजी कर रही है। एक तरफ जहां पूरे देश में कोविड-19 का संक्रमण फैला हुआ है और केंद्र सरकार प्रभावी कदम नहीं उठा पा रही है। ऐसी विपरीत स्थिति में भी छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अपने संसाधनों से ही इस संक्रमण का डटकर मुकाबला कर रही है।
सरकार की दूरदर्शी नीतियों के चलते ही छत्तीसगढ़ ऑक्सीजन सरप्लस स्टेट के रूप में उभर कर सामने आया है। इसको कोविड संक्रमण काल में भी छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हुई। बल्कि दूसरे राज्यों को भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई छत्तीसगढ़ से की गई। 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार रही लेकिन उन्होंने कभी भी स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के प्रयास नहीं किए।
राज्य में अस्पतालों की कमी को देखते हुए भूपेश बघेल सरकार ने महासमुंद, कांकेर और कोरबा में सौ-सौ सीटों का नया मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी की थी। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और छत्तीसगढ़ में भाजपा के नेता यह कतई नहीं चाहते छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो। इसीलिए जानबूझकर जीएसटी और बेड की कमी का हवाला देकर तीनों मेडिकल कॉलेजों की अर्जी ही रद्द कर दी है। जबकि सरकारी प्रक्रिया के अनुसार अगर आवेदन में कोई कमी थी तो उसे पत्र लिखकर सूचित किया जा सकता था और समस्या को खत्म करने के उपाय भी खोजे जा सकते थे। लेकिन जिस द्वेष की भावना से केंद्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ की जनता के साथ व्यवहार कर रही है यह दुर्भाग्यपूर्ण है।