कोरोना के लड़ाके आयुष चिकित्सा अधिकारियों का छलका दर्द.. स्वास्थ्य मंत्री को लिखा खत

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कोरोना के लड़ाके आयुष चिकित्सा अधिकारियों का छलका दर्द.. स्वास्थ्य मंत्री को लिखा खत.. बताया पहली पंक्ति में कर रहे माहमारी से मुकाबला, दूर कीजिये वेतन विसंगतियां.. और कीजिए नियमतीकरण का वादा पूरा करे

रायपुर ।
वैश्विक महामारी कोविड-19 से समूचा जगत जूझ रहा है. लाखों मरीज अस्पतालों में है जबकि लाखों मरीजों की मौत हो चुकी है. आज जब पूरा मानव जगत इस भारी संकट में फंसा हुआ है तो देव स्वरूप चिकित्सक हमें इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रखने का भरसक प्रयास कर रहे हैं. वे अपनी जान की परवाह किए बिना फ्रंट लाइन पर खड़े रहकर कोरोना से मुकाबला कर रहे हैं. तमाम जोखिम के बीच भी वे अपनी फर्ज अदायगी से पीछे नही हट रहे. जाहिर है ऐसे में इन कोरोना योद्धाओं की हर मांग सुनी जानी चाहिए और जो मांगे की लंबे अरसे से अनदेखी की गई है उन्हें पूरा किया जाना चाहिए.

आयुष चिकित्सक कोरोना काल समाप्त होने के पश्चात इस्तीफा देने का मन बना चुके हैं।

हम चिरायु के आयुष चिकित्सक इस विकट परिस्थिति में राज्य के जनता के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए अपना जान जोखिम में डाल रहे हैं। सरकार का रुख भले हमारे लिए सकारात्मक न हो फिर भी हम कोरोना के समाप्ति तक अपनी सेवा देते रहेंगे। लेकिन सरकार के रूख से हममे बहुत निराशा है और हम सभी आयुष चिकित्सक कोरोना काल समाप्त होने के पश्चात इस्तीफा देने का मन बना चुके हैं।

वेतन विसंगति से जूझ रहा संघ

बात करें छत्तीसगढ़ प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) के तहत सेवारत आयुष अधिकारियों की तो वे भी इस संकटकाल में सरकार का सारथी बनकर आगे बढ़ रहे है. वे पूरी मुस्तैदी से कोविड-19 से दो-दो हाथ कर रहे हैं. लेकिन दुनिया का दर्द मिटाते इन आयुष अधिकारियों का दर्द भी सामने आया है. उन्होंने सूबे के सेहत मंत्री टीएस सिंहदेव को खत लिखकर अपनी वेतन विसंगतियों को दूर करने की गुहार लगाई है. दो पन्ने के इस पत्र में उन्होंने विस्तार से अपनी समस्याओं को सामने रखा है.

विभिन्न भूमिका में आयुष अधिकारी

आयुष चिकित्सकों ने बताया है कि अलग-अलग भूमिका के साथ मैदान में डटे उनके कोरोना योद्धा चिकित्सक रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी), कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन कार्य एक्टिव सर्विलांस, फ्लू ओपीडी, डिस्ट्रिक्ट क्वारंटीन सेंटर सेल, घनी बस्तियों में संदिग्ध रोगी ट्रैकिंग और ऐसे लोगों की सतत निगरानी करने में दिन रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

छह वर्षों से लंबित है मांगे

उन्होंने बताया कि इस वैश्विक आपदा के बीच आयुष अधिकारियों की तकनीकी योग्यता और जुझारू
पन की प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में सिद्ध हो चुकी है. इस तरह अब आप भी हमारे प्रति जो शासकीय व विभागीय दायित्व है उन्हें पूरा कीजिए. उन्हीने बतया है कि छत्तीसगढ़ को कोरोना मुक्त करने मे लगे चिरायु चिकित्सक सरकार के दोहरी नीति के शिकार हो रहे है. विगत छह वर्षो से सेवारत चिरायु के चिकित्सक सरकार से वेतन विसंगति की मांगो के निराकरण को लेकर प्रयत्नशील है. राज्य में संविदा आयुष चिकित्सक एवं स्वास्थ्य विभाग कार्यरत चिकित्सक वेतनमान के एक तिहाई या आधे मे कार्यरत चिरायु चिकित्सक राज्य शासन से सुधार की अपेक्षा मे है.

जीवन संकट में डालने का मिले पारितोषिक

संघ के राजकीय अध्यक्ष डॉ अनुराग साहू के नेतृत्व मे अनेको बार इस ओर शासन का ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास हुआ बावजूद इन कोरोना वारियर्स के इन जायज मांगो की पूर्ति में शासन का रवैया उदासीन बना हुआ है. इन्हें अपना जीवन संकट में डालने के बावजूद किसी भी तरह का राहत नही मिल पा रहा है. प्रदेश शासन से आशा है की आयुष चिकित्सकों के पर मंडरा रहे वेतन विसंगति के आशंकाओं के बादल को दूर करते हुए पूरी इच्छाशक्ति के साथ संघ हितैषी फैसला ले. सरकार व सम्बन्धित प्राधिकरण इनके साथ हो रहे पक्षपातपूर्ण नीति को दुर करते हुये जीविकोपार्जन रुपी संकट को दुर करते हुये इन्हे राज्य संविदा ( आयुष) के समकक्ष वेतन प्रदान कर नियमितीकरण करे।