जगदलपुर । मानसूना प्रारंभ होते ही बस्तर में साल वृक्ष के आसपास निकले वाले कंद जिसे आम बस्तरिया सरई बोड़ा के नाम से पुकारता है उसकी आवक अब शुरू हो चुकी है।
बरसात मौसम में बस्तर के मानसून का मजा लेने आने वाले पर्यटक इस दुर्लभ सरई बोड़ा को देखने एवं इसके स्वाद का मजा लेने आतुर रहते हैं। बाजार में लगभग 2000 रूपए कीमत से बिकने वाली इस बोड़ा कंद की खासियत तो आम बस्तर निवासी ही बता सकते हैं किंतु इतनी मंहगी इस कंद को खरीदने आस-पास के लोग अलसुबह ही संजय बाजार पहुंचकर सरईबोड़ा की खोज खबर लेने लगते हैं।
जगदलपुर जिले के अलावा शहर में कोंडागांव से आये हुए सरई बोड़ा की काफी मांग देखी जाती है। इस बोड़ा कंद में आखिर किस प्रकार के खनीज तत्व पाये जाते हैं जिससे इतनी ऊंची कीमत अदा कर लोग अपने घर की रसोई में इस ले जाना चाहते हैं, यह तो खरीदने वाले ही बता पाएंगे किंतु इस बोड़ा कंद की सब्जी जिस किसी के घर भी बनती है वह आसपास के अपने इष्ट मित्रों को देकर अपने आप को गौरान्वित समझता है। इस बात की महिलाओं में खुसूरफुसूर रहती है कि आज पड़ोसी के यहां बोड़ा कंद की सब्जी किसी विधि से बनाई गई है। शहर के कुछ प्रमुख होटल में भी इस मानसून सत्र के दौरान आने वाले पर्यटकों के लिए बोड़ा कंद की सब्जी बनाकर उन्हें परोसने का आफर दिया जाता है।
हालांकि काफी मंहगी सब्जी होने के कारण अक्सर कम लोग ही इसका स्वाद चख पाते हैं। ङ्क्षकतु अक्सर बस्तर आने वाले पर्यटक इस मौसम में इस सरई बोड़ा कंद का स्वाद लेना नहीं भूलते हैं। बस्तर के कुछ प्रबुद्ध लोगों के अनुसार समूचे बस्तर संभाग में जहां-जहां बोड़ा कंद पाये जाते हैं उस क्षेत्र को विकसित करने छत्तीसगढ़ सरकार को सामने आना चाहिए। जिस प्रकार तेंदूपत्ता से सरकार को करोड़ों की आमदानी होती है अगर उसी प्रकार वनविभाग साल वृक्ष के तले पाये जाने वाले सरई बोड़ा कंद का संरक्षण करे तो जंगल में निवासकर अपना इन्हीं कंदमूल के सहारे जीवन यापन करने वाले लोगों को इस समय बोड़ा जैसे कंद को बेचकर बाजार में ज्यादा मुनाफा मिल सकेगा।