एक योग्य प्रशासक ईमानदारी से काम करे तो आमजन की तकलीफ काफ़ी हद तक दूर कर सकता है

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला मुख्यालय से 55km आगे भोपालपट्टनम नाम की जगह है। वहाँ से 16km अंदर भद्रकाली मार्ग पर एक छोटा सा गाँव है नरोनापल्ली। कल उस गाँव में गया था और उस गाँव के बसने की कहानी सुना जो शायद हमारे देश का इकलौता मामला होगा कि किसी गाँव का नाम उस गाँव को बसाने वाले तत्कालीन कलेक्टर के नाम पर पड़ा।

आज से करीब 64 साल पहले की बात है जब बस्तर जिले में ही बीजापुर भी आता था तब बीजापुर शहर से भी करीब 75 km दूर इंद्रावती नदी के उस पार बाढ़ की वजह से आदिवासियों का घर हर साल बह जाता था। उस वक्त बस्तर में कलेक्टर थे आर पी नरोन्हा।

1957 में उन्होंने बस्तर मुख्यालय से 200km जीप से सफर किया कच्चे रास्ते पर, फिर 20 km बैलगाड़ी से सफर कर के इंद्रावती नदी के किनारे पहुँचे थे और वहाँ बसे लोगों को नदी से दूर बसने में सरकारी मदद दिलाया। कुल 16 परिवारों को सुरक्षित जगह पर 10 एकड़ प्रति परिवार के हिसाब से जमीन दिया ताकी वो खेती कर के जीवनयापन कर सके। गाँव वालों ने बताया कि हर परिवार को खेती के लिए बैल और खेती के उपकरण जैसे कि हल, फावड़ा, कुदाल, खुरपा, हँसिया आदि भी सरकारी खर्चे से दिलवाया। उन गाँव वालों ने अपने गाँव का नाम ही कलेक्टर के नाम पर नरोनापल्ली रख लिया।

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वो 16 परिवार का गाँव अब 40 परिवार का है और गाँव वालों ने ये भी बताया कि उनके पूर्वजों ने गाँव बसने के कुछ साल बाद खेती का औजार बनाने और समय पर धार देने के लिए एक लोहार परिवार को भी लाकर अपने गाँव में बसाया था। और उसके जीवनयापन के लिए भी 5 एकड़ जमीन की भी व्यवस्था किये। उसके बच्चे भी आज उस गाँव में लोहार का काम करते हैं।

अच्छा लगा उस गाँव जाकर और प्रणाम है ऐसी सोच वाले कलेक्टर को |

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