डौंडी :- देश सेवा कर रिटायर हो चुके डौंडी ब्लाक के ग्राम झीका टोला निवासी आर्मी जवान कोमलसिंह मंडावी ने खास मुलाकात में कारगिल युद्ध संदर्भ अपनी बात साझा करते हुए बताया कि जब वो आर्मी में दाहगाव पर पदस्थ थे। तब ड्यूटी के दौरान 18000 फीट ऊंची बर्फ पहाड़ी पर दुश्मनों से लोहा लेने चढ़ रहे थे।उस वक्त काड़ी मिठाई, केला खाकर और कुछ नहीं मिलने पर बर्फ को ही आहार बनाते थे। एक वक्त ऐसा भी आया जब ड्यूटी दौरान बिना ट्रेनिग वाला लोकल कुत्ता भौंकने लगा,उसके भौंकने की आवाज से सामने दुश्मन होने का अहसास हुआ तभी 11 की संख्या में भारतीय जवानों ने पोजीसन बनाकर 14 पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया। एक अन्य युद्ध में कर्नाटक रहवासी मेजर ऐम सर्वानंद को 9 गोली लगने पश्चात भी वो जीवित रहे, उन्हें उनके वीरता के लिए वीर चक्र से नवाजा गया।
स्वयं कोमल सिंह मंडावी को विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।उन्होंने बताया कि सन् 1986 में वे दानापुर पर आर्मी ट्रेनिग लिए पोस्टिंग दिल्ली में हुआ जहां वो 3 वर्ष रहे, 1991 मे साउथ अफ्रीका पर 16 माह फिर इंडिया के कश्मीर श्रीनगर में 6 साल, भूटान में 18 माह बाद पुनः कश्मीर में पदस्थ रहे जहां 1999 कारगिल लड़ाई लड़ने बाद दानापुर मे नए युवा जवानों को ट्रेनिंग देने का कार्य किए और 2007 मे रिटायर हो गए।अब उनकी दिली ख्वाहिश है कि गांव के युवाओं को आर्मी या सेना भर्ती हेतु निशुल्क ट्रेनिंग देंगे। जिससे युवा वर्ग देश सेवा में अपना योगदान दे सके। उन्होंने यह भी बताया कि जब वो 1986 इंडियन आर्मी में भर्ती होने जा रहे थे उस वक्त क्षेत्र के लोग फौज के बारे में जानते ही नहीं थे और भर्ती होने के मामले में बहुत ही ज्यादा डरते थे। वे स्वयं अपने दोस्त रोहिदास द्वारा दिए गए फार्म भरकर बचपन का सपना पूर्ण करते हुए आर्मी ज्वाइन किए और कड़ी परिश्रम कर देश सेवा के काम आए।