ग्रामपंचायत क्षेत्र की मतदाता न होने के बावजूद सरपंच पद पर आसीन

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पंचायत राज अधिनियम में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि- उस ग्राम पंचायत क्षेत्र का मतदाता न रहने पर या उसके राज्य विधानसभा के सदस्य या संसद के किसी सदन के सदस्य चुने जाने पर तत्काल अपने पद पर नहीं रह जायेगा ” । परंतु पंचायत राज अधिनियम के नियम कानून को दरकिनार रखते कोंडागांव जिले के बडेराजपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी ब में दूसरे ग्राम पंचायत क्षेत्र के निवासी को सरपंच बनाकर रखा गया है। ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी ब क्षेत्र के लोगों का कहना है की हमारी सरपंच शुरु से ही ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी अ में उसका नाम बाजार पारा बिश्रामपुरी के मतदाता सूची सरल क्र.176पर अंकित है । वह रहती है ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी अ में और सरपंच बनी हुई है ग्राम पंचायत बिश्रामपुरी ब में । उल्लेखनीय है की किसी भी पंचायत का पंच और सरपंच होने के लिए प्रथम नियम एवं शर्त होती है की वह उस ग्राम पंचायत क्षेत्र का निवासी हो पर छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत राज अधिनियम यंहा पर औचित्यहीन सिद्ध हो रहा है।

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गंभीर आर्थिक अनियमितता का भी है आरोप

नगरपंचायत बिश्रामपुरी का विघटन करके नगरपंचायत के अंतर्गत 5 नवीन ग्राम पंचायत का गठन किया गया था। नगरपंचायत विघटन के पूर्व नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से नगर पंचायत बिश्रामपुरी को स्वीकृत विकास कार्यों को करवाने हेतु प्राप्त हुए लाखों लाखों रूपये का आबंटन उपहार बतौर मिल गया। जिसकी बदौलत जो निर्माण कार्य केवल नगरीय क्षेत्र में होता है वह भी ग्राम पंचायत क्षेत्र में करवा पाना संभव हो गया। नगर पंचायत बिश्रामपुरी को 2013-14में प्रदत्त धनराशि से करवाये गये कार्यों में और ग्राम पंचायत बनने के बाद विभिन्न मदों से प्रदत्त धनराशि में खुलकर गंभीर आर्थिक अनियमितता करते गुंणवत्ता विहिन निर्मांण कार्य करवाया गया। करवाये गये कार्यों का भौतिक सत्यापन करते उसके एम बी बुक की जांच करने बहुत बड़े आर्थिक अनियमितता का मामला उजागर हो सकता है।ग्राम पंचायत में बनाये गये पुष्प वाटिका , मुक्ति धाम, स्टेडियम पवेलियन उन्नयन सहित अधिकतर कामों में काम की गुणवत्ता की बजाय अधिक से अधिक लाभांश अर्जित कर लेना उद्देश्य रहा यह कामों को देखकर स्पष्ट जाहिर हो जाता है।

शौचालयों का नहीं हुआ पूरा निर्मांण

ग्रामपंचायत बिश्रामपुरी ब में ग्रामवासियों के घरों में बनवाये जाने वाले शौचालयों का निर्माण कार्य भी भ्रष्टाचार और भर्राशाही के भेंट चढ़ गया। बनवाये जा रहे शौचालय आधे अधूरे अधर में पड़े रह गये जिसके चलते आज भी लोगों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है ।जिसके चलते इसकों लेकर कलेक्टर को ग्रामवासियों ने लिखीत शिकायत प्रेषित किया है पर इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इसकी भी जांच आरंभ नहीं हो पाई है।