साहूकार ने नौकर से दगाबाजी कर करोड़ों की जमीन पर जमाया कब्ज़ा

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पूंजीपतियों ने कौड़ियों के दाम खरीदी बताकर उक्त भूमि को करोड़ों में बेचा

आदिवासी भूमि स्वामी अपनी जमीन पर हक़ पाने दफ्तर का लगा रहा चक्कर

जगदलपुर। शहर के एक साहूकार ने सन् 1964 में जमीन मालिक को बना रखा था नौकर फिर कई वर्षों बाद सन् 1984 में उक्त नौकर के साथ दगाबाजी कर धरमपुरा स्थित साई मंदिर के समीप करोड़ों की आदिवासी भूमि को कौड़ियों के दाम खरीदी बताकर पूंजीपति ने कराया अपने नाम। उक्त भूमि को साहकार ने वर्ष 2019 में डायवर्सन कराने के बाद शहर के 8 पूंजीपतियों के नाम करोड़ों में बेचा। जमीन मालिक अब अपनी ही भूमि पर कब्जा पाने दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है।

कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 1932-33 के रिकार्ड में अपनपुर धरमपुरा स्थित सांई मंदिर के समीप खसरा नं. 09 रकबा 4.23 एकड़ जो बेनवा भतरा पिता बोटी भतरा के नाम दर्ज है। इनके परिजनों ने बताया कि बेनवा के दो पुत्र थे धरमदास एवं चंदर। जानकारी के अनुसार होनवा का पुत्र धमरदास अपने परिवार का पालन पोषण के लिए शहर के साहूकार दाऊ मिल के संचालक त्रिलोकीनाथ अग्रवाल के घर 1964-65 में नौकर के रूप में काम करता था। बताया जा रहा है कि धरमदास ने अपने रसीद बही (पट्टा)को मालिक के पास रखवा दिया था। इनके परिजनों का आरोप है कि धरमदास के साथ दगाबाजी कर इनके स्थान पर दूसरे व्यक्ति को उपस्थित कराकर खसरा नं. 09 के रकबा 4.23 एकड़ में से लगभग एक एकड़ भूमि साहूकार द्वारा खरीदी कर उक्त भूमि लगभग एक एकड़ 1 जून 1984 को उमाबाई पति त्रिलोकीनाथ के नाम दर्ज करा दिया गया है।

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भूमि स्वामी का आरोप:

उक्त भूमि के मालिक नीलम पिता मनबोध रामप्रसाद पिता मनबोध एवं गजमनि पिता मनबोध जो नवा पिता बोटी के वंजश है। जमीन मालिको ने आरोप लगाया है हमारे पूर्वजो के साथ छल पूर्वक जमीन की बिक्री की गई है। जमीन मालिक अपने ही जमीन पर कब्जा पाने के लिए काफी समय से दफ्तर का चक्कर लगाते फिर रहे है। क्या उक्त आदिवासी को जमीन का मालिकाना हक मिल पायेगा या फिर साहूकार का कब्जा बरकरार रहेगा यह तो वक्त ही बतायेगा।

कौड़ियों की जमीन करोड़ों में बिकी:

कार्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खसरा नं.09 के रकबा 4.23 एकड़ में से खसरा नंबर 9/2 जो रकबा लगभग एक एकड़ भूमि जो कार्यालय दफ्तावेज में उमा बाई पति त्रिलोकीनाथ के नाम दर्ज है। उक्त भूमि को डायवर्सन कर शहर के 8 पूंजीपतियों के नाम 8 करोड़ से अधिक के दामों पर बिक्री किया जा चुका है जिसमें पहली रजिस्ट्री एक अक्टूबर 2019 को हुई थी जिसका बिक्री मूल्य 2 करोड़ 50 लाख दर्ज किया गया है तो वहीं दूसरी रजिस्ट्री 14 अक्टूबर 2019 को चार व्यक्तियों के नाम दर्ज कराई गई थी जिसका मूल्य 2 करोड़ 10 लाख दर्शाया गया है।

दफ्तरों के चक्कर के बाद निर्माण कार्य तेजः

धरमपुरा मार्ग पर साई मंदिर के समीप शहर के मुख्य मार्ग के वास्तविक जमीन मालिक जिनका 1932-33 के रिकार्ड में भूमि स्वामी का नाम दर्ज है उनके परिजनों ने जब अपनी जमीन पर कब्जा जमाना चाहा तो शहर के पूजिपतियों के आगे आदिवासी परिवार विवश साबित हुआ और आज आलम यह है कि दफ्तरों में कब्जा दिलाने की गुहार लगाना शुरू होते ही साहूकारों ने निर्माण कार्य तेज कर आवास निर्माण शुरू कर दिया है लेकिन प्रशासन के नुमाइंदो ने उक्त निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे है।

साई मंदिर के समीप जमीन खरीदने वाले कुछ क्रेताओं से उनकी प्रतिक्रिया जानने दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया जिसके चलते उनकी प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी।

करोड़ों में किसने खरीदी जमीनः

कार्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उमा बाई पति त्रिलोकीनाथ ने साई मंदिर स्थित भूमि 2 करोड़ 50 लाख में 28 हजार 610 वर्गफीट भूमि को शहर के नीरज बाफना पिता रेखाचंट बाफना, प्रीति बाफना पति नीरज बाफना, नीतू जैन पति अविनाश जैन एवं विकास चांडक पिता स्व.किशनलाल चांडक का अक्टूबर 2019 को 14950 वर्गफीट जमीन शहर के अविनाश जैन पिता विनोद जैन, सुमन चांडक पिता किसन लाल चांडक,हर्ष बाफना पिता रेखाचंट बाफना एवं नीरज बाफना पिता रेखचंट बाफना के द्वारा क्रय किया गया है। सभी क्रेतागण गैर आदिवासी सामान्य वर्ग से आते है उक्त भूमि पर वर्तमान में निर्माण कार्य जारी है।

विवादित होने पर निरस्त माना जायेगाः

नौकर से दगाबाजी कर जमीन जमीन पर कब्जा जमाया गया था उस जमीन के मालिक के द्वारा बस्तर कलेक्टर से खारीटी बिक्री की अनुमति मांगी गई थी। परिवर्तित जमीन को कलेक्टर के आदेशानुसार खरीदी बिक्री का प्रावधान है। तत्कालिन कलेक्टर तंबोली के द्वारा 7 सितंबर 2019 को खरीदी बिक्री की अनुमति तो दी गई थी लेकिन एक शर्त उल्लेखित किया गया था कि विवाद की स्थिति में खरीदी बिक्री का आदेश स्वतः निरस्त माना जायेगा।