आदिवासी समाज का संस्कृति शराब नहीं है पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का बयान गलत है और घोर निंदनीय है वोट की राजनीति छोड़ें: शंकरलाल नेताम राष्ट्रीय प्रवक्ता राजपा

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कोण्डागांव राष्ट्रीय जनसभा पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शंकरलाल नेताम ने दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर का घोर आपत्ति जताते हुए कहा है कि मोहन मरकाम प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस कमेटी का बयान घोर निंदनीय है सरासर गलत है, इससे पूरे आदिवासी समाज को गहरा आघात पहुंचा है। मोहन मरकाम ने पत्रकारों को सवाल के जवाब में यह कहना कि शराब आदिवासी की संस्कृति है और शराब आदिवासी समाज में रची बसी व्यवस्था है उक्त बयान एक जिम्मेदार कांग्रेस नेता का कहना अशोभनीय है सरासर गलत है। आदिवासी समाज में शराब किसी भी प्रकार का संस्कृति नहीं है ऐसे घटिया बयानबाजी पर मोहन मरकाम को माफी मांगना चाहिए। आदिवासी समाज जो सैकड़ों वर्षाे से गलत परंपरा रीति रिवाज के कारण देश की मुख्य विकास की धारा में नहीं जुड़ा है पीछे है उसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

आदिवासी समाज सदियों से दारु शराब के नशे में लत रहे हैं इस के बयान से आदिवासी समाज के महिलाओ,ं पुरुषों, युवाओं में नशा पान नशाखोरी को आदिवासी संस्कृत में जोड़ना चाहता है। यह सभ्य समाज की सोच नहीं है। आदिवासी समाज में शराब की संस्कृति है उन्हें पिलाओ और इन्हीं के ऊपर राज करो कि नीति कांग्रेस पार्टी की परंपरा राजनीति को आदिवासी समाज में जोडना चाहते हैं जिससे आज का युवा पीढ़ी बर्दाष्त नहीं करेगा और न हीं किसी प्रकार के शराब जैसे बुरी चीज को बढ़ावा दिया जाएगा। बल्कि पूरे जन जागरण लाकर शराबबंदी की ओर सोच बदलना होगा नहीं तो यह दारू संस्कृति आदिवासी समाज को गर्त में गड्ढे में धकेल देगा फिर यह समाज कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। हम मोहन मरकाम से पूछना चाहते हैं कि यह बताएं कि शराब दारु नशा पानी पीने से आदिवासी समाज का क्या भलाई या विकास होगा क्या शराब की संस्कृति में भविष्य में यह आदिवासी जनजाति समुदाय देश की मुख्य धारा में जुड़ पाएगा सदियों से नशे में चूर महिला बच्चे बूढ़े जवान सब नशा पान के कारण हमारा समाज देश की मुख्यधारा से कोसों दूर है।

राष्ट्रीय जनसभा पार्टी के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आगे राष्ट्रीय प्रवक्ता शंकर लाल नेताम ने कहा कि हमारी पार्टी शराब बंदी के पक्ष में है पूरे छत्तीसगढ़ में शराबबंदी होना चाहिए लेकिन जिस प्रकार कांग्रेश सरकार के द्वारा अपने घोषणापत्र में पूर्ण शराबबंदी की बात कहना पूरे छत्तीसगढ़ को अंधेरे में रखा गया है जिसे पूरा समाज प्रदेष कभी माफ नहीं करेगा। मरकाम वोट की राजनीतिक बयान देना बंद करना चाहिए नहीं तो आदिवासी समाज कभी भी माफ नहीं करेगी। शराब जैसे बुरी आदत से आज के युवा पीढ़ी बड़े पैमाने पर विकास की गति से कोसों दूर हैं नशा ही नाश का जड़ है जिसको छोडने पर ही समाज तरक्की करेगा। लेकिन आरक्षित सीट से जीत कर आदिवासी समाज को नशा से दूर करने की पाठ पढ़ाने के बजाय पूरे आदिवासी समाज की महिलाओं युवाओं पुरुषों को पूरे छत्तीसगढ़ के 60 प्रतिषत अनुसूचित क्षेत्रों के आदिवासियों को शराब संस्कृति बताकर उनका रचा रचा इतिहास है कहकर, गलत परंपरा को जोड़ कर पूरे समाज को गलत दिषा देना यह बयान घोर निंदनीय है। जबकि 21वीं सदी में समाज को शिक्षा के क्षेत्र में ,राजनीति के क्षेत्र में, व्यवसायिक सोच बढ़ाने का समय है। शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाकर युवाओं को आईएएस आईपीएस, आईएफएस, डॉक्टर ,इंजीनियर बनाने की दिशा निर्देश की जरूरत है उन्हें यह कहना कि अनुचित क्षेत्र की आदिवासी समाज की शराब संस्कृति है कहना मोहन मरकाम द्वारा आदिवासी समाज को हजारों साल पीछे धकेलना चाहता है इन्हें बर्बाद करना चाहता है या वोट की राजनीति करना चाहता है। दारू पिलाकर जीत हासिल करना कांग्रेस पार्टी नीति रहा है जब शराब आदिवासी संस्कृति है तो फिर चुनावी घोषणा पत्र में 60 प्रतिषत अनुसूचित अनुसूचित क्षेत्रों में शराब खोला जाएगा और 40 प्रतिषत क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करने की बात घोषणा करना चाहिए था, कांग्रेस सरकार कभी भी आदिवासी समाज को आगे बढ़ाना नहीं चाहता है विकास नहीं करना चाहता है हमेशा इन्हें गलत परंपरा की आड़ में वोट की राजनीति रोटी सेक रहे हैं आगे श्री शंकर नेताम ने कहा कि पूरे आदिवासी समाज को ऐसे बयान बाजी पर घोर विरोध करना चाहिए और मोहन मरकाम को आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए शराब जैसे बुरी आदत से कोई भी समाज तरक्की या विकास नहीं करेगा।