रकम कम या ज्यादा होने से अपराध नहीं होता कम – अधिवक्ता
जगदलपुर
बस्तर पुलिस के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ होगा कि एक ही प्रकृति के दो आवेदनों में अलग-अलग थानों में अलग-अलग कानून का प्रयोग किया गया है. कानून को सभी के लिए बराबर माना गया है, बावजूद शहर के मुख्य दो थानों में एक ही प्रकृति के दो आवेदनों में से एक में फायना का काटा जाना और दुसरे में बयान उपरांत ऍफ़आईआर का होना अजूबा सा प्रतीत हो रहा है. कानूनविदों के मुताबिक, दोनों ही आवेदन ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़े हुए हैं और ऐसे आवेदनों में फ्रॉड व साइबर अपराध के तहत कार्यवाई होनी चाहिए.
दरअसल, शहर के कुछ लोग विगत तक़रीबन दो-तीन माह से केरिल एसेट मैनेजमेंट सिस्टम (camasmgt.com) नामक वेबसाइट में मोटी रकम निवेश कर रहे थे. इस वेबसाइट के नियमानुसार ऐसे लोगों को कंपनी रोजाना निवेश किये गए पैसों पर एक निश्चित ब्याज देती थी. साथ ही अन्य जनों को कंपनी से जोड़ने पर अतिरिक्त राशि मिलती थी. इसी लालच में शहर के कई युवा इससे जुड़ गए और लाखों रुपये कंपनी में ऑनलाइन माध्यम से भेज दिए. तक़रीबन एक माह पूर्व कंपनी का वेबसाइट अचानक बंद हो गया और लोगों के निवेश के पैसे आने बंद हो गए. इसके बाद कुछ आवेदकों ने स्थानीय बोधघाट व कोतवाली थाने में पृथक-पृथक शिकायत आवेदन पत्र दिया और पुलिस से कार्यवाई कि मांग की.
बोधघाट थाने में दिए गए तीन में से एक आवेदन पर वहां के कर्मी ने फायना काट दिया. आपको बता दें कि फायना वह दस्तावेज होता है जिसमें पुलिस, आवेदक को कोर्ट कि शरण लेने को कहती है, यूँ माने तो पुलिस हस्तेक्षेप योग्य मामला. इसी मामले में कोतवाली थाने में दिए गए आवेदन पर थाना प्रभारी एमन साहू के निर्देश पर गुरुवार को प्रार्थी का बयान दर्ज किया गया है. जिसमें एमन का कहना है कि साइबर सेल से जानकारी प्राप्त होने के बाद साइबर फ्रॉड अथवा धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जायेगा.
मामले में फायना काटे जाने के बाद थाना प्रभारी बोधघाट लालजी सिन्हा ने कहा कि जिस आवेदन पर फायना काटा गया है उसकी राशि कम है अन्य दो आवेदनों पर राशि लाखों में है, इसलिए उन आवेदनों पर ऍफ़आईआर होगी.
मामले में क़ानूनी मत देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता तरुण चौहान ने बताया कि ऐसे मामलों में साइबर अधिनियम व धोखाधड़ी के तहत मामला दर्ज होना चाहिए. रही बात पुलिस राशि कम या ज्यादा होने कि बात कहते हुए अपना पल्ला नहीं झाड सकती, अपराध तो अपराध है चाहे हजारों कि बात हो या लाखों की. सभी आवेदनों में ऍफ़आईआर दर्ज होनी थी.