(अर्जुन झा)
जगदलपुर, 05 सितम्बर। बस्तर के विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग उत्कृष्ट शिक्षा देने में भले ही नाकाम साबित हो रहा है, लेकिन विभाग का एक अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में महा गुरु जरूर बन गया है। इस अधिकारी पर शासकीय राशि मै भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप लगे हैँ। अपने कई वरिष्ठ अधिकारियो को निपटा चुका यह अधिकारी आज भी एक ही जगह अपने पद डटा हुआ है।सरकार बदलने के साथ ही बस्तर संभाग में विकास एवं निर्माण कार्यों का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। ऐसे कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त राशि आबंटित की जा रही है। बस्तर संभाग के भी प्रायः सभी विभागों को निर्माण एवं विकास कार्यों के लिए शासन भरपूर राशि दे रहा है। इसी के साथ यह देखना भी जरुरी हो गया है कि शासकीय राशि का समुचित उपयोग हो रहा है या नहीं ? बस्तर के शिक्षा विभाग के अंतर्गत बस्तर विकासखंड में सरकारी राशि की लूट मची हुई है। विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक बस्तर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने कार्य क्षेत्र में शिक्षा विभाग को आबंटित कई करोड़ की राशि को मनमाने ढंग से खर्च किये जाने का मामला सामने आया है। यह अधिकारी बस्तर जिले में अपनी पदस्थापना से पहले दंतेवाड़ा जिले में पदस्थ थे। सन् 2017 में कई करोड़ रुपए की अफरातफरी करने के कारण उन्हें दंतेवाड़ा कलेक्टर द्वारा निलंबित भी किया गया था, किन्तु तत्कालीन भाजपा सरकार के शिक्षामंत्री के काफी करीबी होने के कारण उन्हें संरक्षण दे कर बस्तर जिले के मुख्यालय विकासखंड में पदस्थ कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि ये अधिकारी गीदम विकासखंड के अलावा बस्तर जिले में अपनी पदस्थापना के दौरान उन्होंने निर्माण कायों में करोड़ों रुपए की राशि अपनों के बीच तथा अपने संरक्षण दाताओं में कथित रूप से बांटकर अपने आप को सुरक्षित बचाये रखा। लेकिन सरकार बदलने के बाद इस अधिकारी ने भी पाला बदल लिया और कांग्रेसी नेताओं के वे करीबी बन गए।*टिक नहीं पाते ईमानदार अफसर* इस अधिकारी के हौसले इस हद तक बुलंदी पर हैं कि उन्हों ने जिला शिक्षा अधिकारी को भी जेब में रखने का दावा करते हुए तत्कालीन शिक्षा अधिकारियों को अपने सहयोगियों के माध्यम से उलझा कर रखा। पिछले वर्ष के दौरान दो जिला शिक्षा अधिकारी या तो बदले गए या निलंबित हुए। इस अधिकारी ने स्थानीय अपने स्थानीय करीबी कांग्रेसी नेताओं के साथ मिलकर शिक्षा विभाग को दी जाने वाली राशि का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। इस अधिकारी ने अपने कई साथी विकासखंड शिक्षा अधिकारियो की मदद से जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार एक ऐसी महिला को दिलवाने में कामयाब हो गए, जो उनके लिए केवल कठपुतली साबित हो रही है। शिक्षा विभाग द्वारा आबंटित राशि से बस्तर जिले के कई विकासखंडों में जारी निर्माण कार्यों में राशि की गड़बड़ी की जानकारी अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। जगदलपुर विकासखंड के शिक्षा विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षा मद से जारी राशि के माध्यम से निर्माण कार्यों के लिए निविदा निकाली गई थी एवं अपने चहेते ठेकेदारों को कार्य करने का अवसर भी प्रदान कर दिया गया। बताते हैं कि सत्ताधारी दल से जुड़े जिले के अनेक नेताओं से सीधा संपर्क होने के कारण उक्त मद से आधा-अधूरा निर्माण कार्य करवा कर स्वीकृत पूरी राशि का आहरण कर लिया गया। सत्ताधारी नेताओं का दामन पकड़ कर पिछली सरकार के दौरान इस अधिकारी ने मलाई खाई थी, उसी तर्ज पर ही वे अब विगत तीन वर्षों से वैसा ही खेल खेल रहे हैं। शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि इन विकासखंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी पर दबाव डालकर आहरित राशि कि बंदरबांट की जाती है।*अफसर की संदिग्ध मौत* जिला शिक्षा विभाग में महिला अधिकारी की नियुक्ति के साथ ही ज्वाइंट डायरेक्टर के रूप में एक अधिकारी की नियुक्ति भी हुई थी। इस बड़े अधिकारी ने ऐसे गड़बड़ घोटालों पर लगाम लगाने की कोशिश की और ऐसे दागदार विकास खंड अधिकारियों की एक विस्तृत रिपोर्ट शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी को भेजी गई थी। इससे नाखुश इन विकासखंड अधिकारियों ने इस उच्च अधिकारी पर जिले के बड़े नेताओं एवं प्रदेश स्तर के नेताओं के माध्यम से काफी दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया। लगातार राजनैतिक दबाव से परेशान हो कर यह वरिष्ठ अधिकारी बार बार छुट्टी पर चले जाते थे इसका भरपूर लाभ भ्रष्ट अधिकारीयों ने उठाया। कुछ दिनों पूर्व इस वरिष्ठ अधिकारी की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई थी। अनेक नागरिक इस वरिष्ठ अधिकारी की मौत के पीछे किसी साजिश का अंदेशा जाता रहे हैं। लोगों को अब यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या उक्त वरिष्ठ अधिकारी ऐसे विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की मनमानी और ग़फ़लतबाजी के कारण परेशान थे। अनुचित तरीके से कमाये गए धन के दम पर स्थानीय नेताओं के जरिये बनाये जा रहे दबाव के चलते उक्त वरिष्ठ अधिकारी मानसिक रूप से परेशान चल रहे थे। ये वरिष्ठ अधिकारी इस कदर मानसिक रूप से त्रस्त हो चले थे कि इन्ही परिस्थितियों के बीच एक दिन अचानक उनकी संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई। उनकी मृत्यु के लिए अनआवश्यक राजनैतिक दबाव और मातहत अधिकारियो की मनमानी और ग़फ़लतबाजी को जिम्मेदार माना जा था है। मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी इस ग़फ़लतबाजी पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही हैं, या यों कहे कि मातहत अफसरों को उनका संरक्षण भी मिल रहा है। शासन से शिक्षा विभाग को स्कूलों मे शिक्षा का स्तर सुधारने तथा विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राशि मिलती है लेकिन इस राशि से अधिकारियों का जीवन स्तर सुधर रहा है तथा वे सुविधा संपन्न हो रहे हैं।