लेबोरेटरी को बनाया मौत की प्रयोगशाला

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पॉलिटेक्निक कॉलेज क़े लिए प्रयोगशाला उपकरण खरीदी में घालमेल

जांच में स्तरहीन पाए गए उपकरण, फिर भी प्राचार्य ने लैब में खपा दिया

घटिया उपकारणों क़े उपयोग से मंडरा रहा है विद्यार्थियों की जान पर खतरा

जगदलपुर/दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा जिले के गीदम जावंगा में संचालित एनएमडीसी डीएवी पॉलिटेक्निक कॉलेज में इलेक्ट्रीकल एवं मैकेनिकल विभाग की प्रयोगशाला क़े लिए उपकरण खरीदी में घालमेल का मामला उजागर हुआ। जब क्रय की गई सामग्री की गुणवत्ताा की जांच की गई, तो सारी सामग्री बहुत ही स्तरहीन ( डिग्रेड ) पाई गई. बावजूद संस्था क़े प्राचार्य ने जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर सारे उपकरणों को मंजूरी देते हुए उन्हें विद्यार्थियों क़े प्रायोगिक कार्य क़े लिए प्रयोगशाला में रखवा दिया. प्रयोगशाला में कभी भी भीषण दुर्घटना हो सकती है और विद्यार्थियों की जान क़े लाले पड़ सकते हैं. वहीं जिला प्रशासन मामले की जांच क़े नाम पर महज खानापूर्ति करने में जुटा हुआ है.

ज्ञातव्य हो कि शासन आदिवासी बाहुल क्षेत्र के बच्चों को तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराकर उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास में जुटा है. वहीं उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारी तकनीकी शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति कर आदिवासियों की जिंदगी से खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं। ऐसा ही एक मामला दंतेवाड़ा जिले के गीदम में संचालित पॉलिटेक्निक कॉलेज का उजागर हुआ है, जहां प्रयोगशाला में घटिया सामग्री का उपयोग कर लाखों के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं।

प्राचार्य ने डिग्रेड सामग्री को किया मंजूर

जानकारी के अनुसार अगस्त 2021में उक्त कॉलेज की जरूरतों को देखते हुए प्रयोगशाला उपकरण के लिए जिला प्रशासन द्वारा टेण्डर बुलाया गया था। टेंडर क़े अनुसार 50 लाख की लैब सामग्री की खरीदी की जानी थी। टेण्डर प्रक्रिया पूर्ण होने के छह माह बाद लैब सामग्री सप्लाई का कार्य रायपुर के हनुमान पेपर वर्क्स को सामग्री आपूर्ति का आदेश दिया गया था. इस फर्म ने छह माह बाद उपकरण की सप्लाई की थी. कॉलेज के अनुभवनी स्टाफ द्वारा उक्त उपकारणों की जांच की गई, तो उपकरण डिग्रेड पाए गए थे। जांच दल ने प्राचार्य क़े समक्ष लिखित में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। प्रतिवेदन में कहा गया था की सामग्री अमानक स्तर की है, जिन्हें प्रयोगशाला में उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसके उपयोग से हादसे का भी आशंका पत्र में जाहिर की गई थी। उक्त सामग्री जनवरी 2022 में सप्लाई होने की बात लिखी गई थी।

प्राचार्य ने जांच रिपोर्ट ठुकराई

विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दो अनुभवी विभाग प्रमुखों द्वारा जांच उपरांत सौंपी गई रिपोर्ट और जताई गई खतरे की आशंका को प्राचार्य ने दरकिनार कर दिया. खबर है कि उस दौरान अवकाश पर रहे प्राचार्य के करीबी इलेक्ट्रीशियन विभाग प्रमुख क़े अवकाश से लौटने के बाद पुन: जांच रिपोर्ट तैयार कराकर उपकरणों क़े बेहतर होने का प्रमाण पत्र बनवा लिया गया. इसके बाद प्राचार्य ने सारी सामग्री को प्रायोगिक कार्य क़े लिए प्रयोगशाला में भिजवा दिया।

प्रशासनिक जांच भी संदिग्ध

इस मामले की शिकायत दंतेवाड़ा कलेक्टर तक पहुंच गई है। तत्कालीन कलेक्टर श्री सोनी द्वारा मामले की जांच संयुक्त कलेक्टर से कराई गई थी. लेकिन जांच में क्या निष्कर्ष निकला और क्या कार्रवाई की गई, इसका अब तक क़ुछ भी अता-पता तक नहीं है। फिर दोबारा हुई शिकायत के बाद पुन: उसी संयुक्त कलेक्टर को जांच की जिम्मेदारी वर्तमान कलेकटर द्वारा सौंपी गई है। मामले की जांच क़े लिए निष्पक्ष विशेषज्ञ टीम गठित ना किए जाने से जिला प्रशासन की भी भूमिका संदेह के घेरे में है। चर्चा है कि प्राचार्य जिला प्रशासन के जांच अधिकारी से सांठगांठ कर मामले की लीपापोती करने में जुटे हैं. कॉलेज के प्राचार्य से इस मामले में प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।