इस जंगल वाले साहब ने तो हद ही कर दी.

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  • खुद के लिए विभागीय आवास का निर्माण पांच साल में पूरा नहीं करा पाए बकावंड के फारेस्ट रेंजर
  • 40 लाख रुपए की लागत से कराया जा रहा है आवास निर्माण

अर्जुन झा

बकावंड। देवी देवताओं के वास स्थल, जंगलों की सुरक्षा के लिए तटबंध निर्माण, पर्यटन केंद्र प्रोजेक्ट के बाद खुद के लिए बनाए जा रहे आवसीय भवन के निर्माण में भी वन अधिकारी भ्रष्टाचार को अंजाम देने से नहीं चूक रहे हैं। सचमुच वन परिक्षेत्र अधिकारी ने भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। 40 लाख की लागत वाला आवसीय भवन पांच साल में भी तैयार नहीं हो पाया है। ऐसा विलंब शायद इसलिए किया जा रहा है कि काली कमाई करते -करते साहब का जी अभी भरा नहीं है। निर्माण में जितनी देरी होगी, उतनी ही लागत भी बढ़ती जाएगी और जंगल वाले साहब की अवैध कमाई भी उतनी ही बढ़ेगी।
बकावंड विकासखंड के अंतर्गत वन क्षेत्र कार्यालय के समीप वन परिक्षेत्र अधिकारी का आवासीय मकान तैयार किया जा रहा है। इस आवसीय भवन का निर्माण कार्य पांच साल पहले शुरू किया गया था। तब इसकी आरंभिक लागत 40 लाख रुपए थी। आवसीय भवन निर्माण के लिए यह राशि केंद्रीय कैंपा मद से स्वीकृत की गई है। भवन का निर्माण पांच साल की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। जबकि आज विज्ञान के युग में इतने सारे तकनीकी संसाधन उपलब्ध हो चुके हैं कि मशीनी उपकरणों की मदद के साथ ही मानवीय श्रम के जरिए भी बहुमंजिली इमारत भी महज दो चार माह में ही तैयार की जा सकती हैं। निर्माण में देरी के अलावा इसमें घटिया निर्माण सामग्री का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं इस आवासीय भवन के जल्द पूर्ण आकार ले पाने के आसार दूर – दूर तक भी नजर नहीं आ रहे हैं। एक आवसीय भवन बनाने के लिए 40 लाख रुपए कोई मामूली रकम नहीं है। इतनी बड़ी रकम से अच्छा खासा बंगला भी तैयार किया जा सकता, बशर्ते बनवाने वाले की नीयत में कोई खोट न हो। पर वन विभाग के जिस रेंजर की देखरेख में आवसीय भवन का निर्माण कराया जा रहा है, उनके दामन में तो भ्रष्टाचार के दाग ही दाग हैं। इस रेंजर पर बकावंड वन परिक्षेत्र के ग्राम जुनावनी, झार उमरगांव, कोसमी, उलनार आदि के जंगलों में पेड़ों की छंटाई के नाम पर अवैध कटाई कराने के गंभीर आरोप लग चुके हैं. इसके अलावा जंगल की सुरक्षा के लिए तटबंध निर्माण तथा कोसमी के एकटगुड़ा पारा में देवगुड़ी स्थल संवर्धन कार्य में भी भारी गड़बड़ी की जाने की शिकायत सामने आ चुकी है।
विधायक लगा चुके हैं फटकार
बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा बस्तर क्षेत्र के विधायक लखेश्वर बघेल भी उक्त रेंजर की कार्यप्रणाली से बेहद खफा हैं। इसे लेकर बघेल रेंजर को सरेआम फटकार भी लगा चुके हैं। बताते हैं कि प्राकृतिक उपजन कुंड दुरकाबेड़ा तथा तोंगकोंगेरा पर्यटन स्थलों के संवर्धन के लिए विधायक बघेल ने करोड़ों रुपए स्वीकृत कराए हैं। इन पर्यटन स्थलों का विकास बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार है तथा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसमें विशेष रूचि दिखाई है। इस कार्य की जवानदेही इसी रेंजर को सौंपी गई है, लेकिन साहब हैं कि अपने भ्रष्ट आचरण से बाज ही नहीं आ रहे हैं। कई करोड़ रु. खर्च कर चुकने के बाद भी कोई खास काम नहीं हो पाया है। काम की धीमी गति और उसमें की जा रही आर्थिक गड़बड़ी को लेकर विधायक श्री बघेल बेहद नाराज हैं और इसीलिए उन्होंने रेंजर की क्लास लगा डाली थी।