- सार्वजनिक व निजी जमीन पर एसटीएफ ने किया अतिक्रमण
- चारागाह, तालाब, गोठान और निजी जमीन पर अवैध कब्जा
- बल के जवानों पर महिलाओं से छेड़खानी का भी लगा आरोप
जगदलपुर राजस्व निरीक्षक मंडल बस्तर के पटवारी हल्का नंबर 32 के ग्राम भाटपाल के ग्रामीण तीन साल से एसटीएफ के जवानों द्वारा की जा रही दादागिरी, जमीन कब्जाने, महिलाओं से छेड़खानी जैसी हरकतों से परेशान चले रहे हैं। ग्रामीणों में उपजा आक्रोश कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है। ग्राम भाटपाल में खसरा नं. 200/2 में स्थित 7 हेक्टेयर जमीन का आवंटन तहसीलदार की उपस्थिति में पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों की सहमति से एसटीएफ को बल के जवानों के पारिवारिक आवास निर्माण हेतु किया गया था।
लेकिन एसटीएफ के जवानों ने आवंटित जमीन के साथ ही 11 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। इस अवैध कब्जे वाली जमीन पर निजी तालाब, गोठान, चारागाह, घास भूमि, श्मशान घाट ग्रामीणों के पट्टे वाले भूखंड स्थित हैं। एसटीएफ के जवानों ने पूरी जमीन पर तार फेंसिंग से घेराबंदी कर रखी है। इस जमीन पर प्रशिक्षण केंद्र व एसटीएफ हब बनाने की कवायद चल रही है। ग्रामीणों का कहना है कि एसटीएफ को जवानों के पारिवारिक आवासीय परिसर निर्माण के लिए ही महज 7 हेक्टेयर जमीन शर्तों के आधार पर दी गई है। बल के अधिकारी और जवान सन 2019 से लगातार ग्रामीणों को आतंकित कर ग्रामीणों के सार्वजनिक उपयोग की व निजी जमीन पर कब्जा जमाए बैठे हैं।इन बेजा हरकतों का विरोध करने पर एसटीएफ के जवानों द्वारा ग्रामीणों से मारपीट भी की जाती है। भाटपाल में मारपीट की ऐसी कई घटनाओं को बल के जवान अंजाम दे चुके हैं। गोठान और घास भूमि पर अतिक्रमण किए जाने से ग्रामीणों के मवेशियों की चराई की समस्या पैदा हो गई है। वहीं छ्ग शासन की गोधन न्याय योजना के अमल पर भी इस गांव में विराम लग गया है।*महिलाओं पर बुरी नजर*बस्तर जिला सर्व आदिवासी समाज ने आरोप लगाया है कि एसटीएफ के जवान गांव की महिलाओं और युवतियों पर बुरी नजर डालते हैं। राह चलती तथा स्नान के लिए तालाब में पहुंचने वाली महिलाओं एवं युवतियों से ये जवान छेड़खानी व अश्लील हरकतें और छींटाकशी करते हैं। महिलाओं और लड़कियों का घरों से निकलना दूभर हो गया है। जवानों की पिटाई से अनेक ग्रामीण घायल भी हो चुके हैं। जमीन पर अतिक्रमण, ग्रामीणों से मारपीट, महिलाओं से छेड़खानी की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, क्षेत्रीय विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल से भाटपाल के ग्रामीणों एवं सर्व आदिवासी समाज जिला बस्तर द्वारा की जा चुकी है। लखेश्वर बघेल ने कलेक्टर को पत्र लिखकर तुरंत कार्यवाही करने के लिए कहा है।*नहीं छोड़ी 2 गज भी जमीन*एसटीएफ की दादागिरी और मनमानी का आलम यह है कि गांव के मृत व्यक्तियों के अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन भी इस बल ने नहीं छोड़ी है। भाटपाल गांव के श्मशान घाट की जमीन पर भी एसटीएफ ने बलपूर्वक कब्जा कर लिया है। इसके चलते मृत ग्रामीणों को दफनाने या फिर शव के अग्निदाह के लिए दो गज जमीन भी नसीब नहीं हो पा रही है। पुराने श्मशान घाट में अर्थी लेकर पहुंचने वाले ग्रामीणों को बल के जवानों द्वारा डरा धमका कर भगा दिया जाता है। ग्रामीणों को अब अपने मृत परिजन के शव को गांव से काफी दूर स्थित जंगल में ले जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। जिस परिवार का सदस्य परलोक सिधार जाता है, उस शोक संतप्त परिवार को भी एसटीएफ के जवानों के दुर्व्यव्हार का सामना करना पड़ता है। शोक की घड़ी में भी ये जवान अपने अमनवीय व्यवहार का प्रदर्शन करने से बाज नहीं आते। एसटीएफ के जवान ग्रामीणों की आस्था पर भी प्रहार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। बल के जवानों ने भाटपाल के प्राचीन आस्था स्थल डांडगुड़ी पर भी कब्जा जमा लिया है। इससे ग्रामीण वहां पूजा पाठ नहीं कर पा रहे हैं और उनकी धार्मिक भावना आहत हो रही है।